आयरन डोम के बाद अब अमेरिका का गोल्डन डोम... लेजर वेपन से दुश्मनों का करेगा खात्मा; एलन मस्क के पास कमान

    21वीं सदी की बदलती सैन्य तकनीक और अंतरिक्ष से आने वाले खतरों के बीच अमेरिका ने एक अभूतपूर्व सुरक्षा कवच की नींव रख दी है.

    Iron Dome America Golden Dome destroy enemies with laser weapon Elon Musk
    एलन मस्क | Photo: ANI

    वाशिंगटनः 21वीं सदी की बदलती सैन्य तकनीक और अंतरिक्ष से आने वाले खतरों के बीच अमेरिका ने एक अभूतपूर्व सुरक्षा कवच की नींव रख दी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विज़न के तहत अमेरिका अब एक ऐसा मल्टी-लेयरड मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित कर रहा है, जो भविष्य के सबसे खतरनाक हथियारों—जैसे हाइपरसोनिक मिसाइल्स, एआई-नियंत्रित ड्रोन स्वॉर्म्स, और स्पेस-बेस्ड अटैक्स—से देश को सुरक्षित रखेगा. इस मिशन को नाम दिया गया है "गोल्डेन डोम", और इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है दुनिया के सबसे इनोवेटिव उद्यमी एलन मस्क को.

    रॉयटर्स की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, एलन मस्क की स्पेसएक्स को इस हाई-टेक डिफेंस सिस्टम का लीड कॉन्ट्रैक्ट मिल चुका है. इस प्रोजेक्ट में स्पेसएक्स के साथ दो और प्रमुख अमेरिकी टेक कंपनियां, पलांटिर और एंडुरिल, भी मिलकर काम करेंगी. इन तीनों कंपनियों के संस्थापक ट्रंप समर्थक माने जाते हैं और इस महत्वाकांक्षी सुरक्षा ढांचे को ट्रंप के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देखा जा रहा है.

    गोल्डेन डोम: सिर्फ डिफेंस नहीं, फ्यूचर सिक्योरिटी आर्किटेक्चर

    इस सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत है कि यह सिर्फ धरती से लॉन्च की गई मिसाइलों को ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष से दागे गए हाइपरसोनिक हथियारों और AI-ड्रिवन हमलों को भी रोकने में सक्षम होगा. जहां इजरायल का 'आयरन डोम' सिर्फ मानव जीवन के लिए खतरे वाली मिसाइलों को ही इंटरसेप्ट करता है, वहीं 'गोल्डेन डोम' हर संभावित ख़तरे को नष्ट करेगा, चाहे वह किसी भी कैटेगरी में आए.

    इस प्रोजेक्ट के तहत:

    • 1000 सैटेलाइट्स तैनात किए जाएंगे जो पूरी पृथ्वी पर नजर रखेंगे.
    • इनमें से 200 स्पेशलाइज्ड सैटेलाइट्स मिसाइलों और ड्रोन को डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स यानी लेज़र्स से मार गिराने में सक्षम होंगे.
    • AI-आधारित सेंसर नेटवर्क 360-डिग्री थ्रेट डिटेक्शन प्रदान करेगा.
    • स्पेस-बेस्ड अलर्ट सिस्टम तत्काल अलर्ट भेजेगा जैसे ही कोई ख़तरा अमेरिका की ओर बढ़ता दिखे.
    • मल्टी-लेयर इंटरसेप्टर्स शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग रेंज की मिसाइलों को अलग-अलग स्तरों पर नष्ट करेंगे.

    "कस्टडी लेयर": ट्रैकिंग और टारगेटिंग की रीढ़

    स्पेसएक्स इस प्रोजेक्ट के एक महत्वपूर्ण हिस्से कस्टडी लेयर को विकसित कर रही है. यह एक सैटेलाइट नेटवर्क होगा जो किसी भी मिसाइल के प्रक्षेपण को ट्रैक करेगा, उसका रूट एनालाइज़ करेगा और यह तय करेगा कि वह अमेरिका की ओर आ रही है या नहीं. हालांकि स्पेसएक्स हथियार खुद नहीं बनाएगी, लेकिन वह उन सैटेलाइट्स की बुनियादी तकनीक विकसित करेगी जो आगे चलकर इंटरसेप्शन में इस्तेमाल होंगे.

    2030 तक गोल्डेन डोम की डिलीवरी, लागत होगी खगोलीय

    पेंटागन ने 2030 तक इस सिस्टम को ऑपरेशनल करने की योजना बनाई है. शुरुआती डिजाइन और इंजीनियरिंग लागत 6 से 10 अरब डॉलर के बीच आंकी गई है. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि पूरा सिस्टम बनने में सैकड़ों अरब डॉलर तक खर्च हो सकता है.

    गोल्डेन डोम की वैश्विक भूमिका

    इस प्रोजेक्ट को सबसे पहले व्हाइट हाउस, पेंटागन और अन्य क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए लगाया जाएगा. अमेरिका इसके एडवांस वर्जन को नाटो, इज़रायल, जापान और संभवतः भारत के साथ भी साझा कर सकता है.

    ये भी पढ़ेंः 'देश बचाना है तो…', ईरान ने एक लाइन में बंद कर दी ट्रंप की बोलती; क्या भड़केंगे अमेरिकी राष्ट्रपति?