तेहरान/वॉशिंगटन: ईरान के एक वरिष्ठ धार्मिक सलाहकार द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर दिए गए एक बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है. यह बयान न केवल व्यक्तिगत हमले की बात करता है, बल्कि इसके पीछे एक संगठित ऑनलाइन अभियान का भी हवाला दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ट्रंप को निशाना बनाना बताया जा रहा है.
खामेनेई के सलाहकार की विवादास्पद टिप्पणी
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के वरिष्ठ सलाहकार जवाद लारीजानी ने ईरानी राष्ट्रीय टेलीविजन पर एक बयान में संकेत दिया कि ट्रंप की जान को खतरा है. उन्होंने 2020 में ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी ड्रोन हमले में हत्या का हवाला देते हुए कहा कि ट्रंप अब खुद भी “ड्रोन हमले का संभावित लक्ष्य” बन सकते हैं.
लारीजानी ने कहा, "ट्रंप ने ऐसा अपराध किया है कि वह अब अपनी नाभि पर धूप भी नहीं सेंक सकते. एक छोटा ड्रोन उन्हें निशाना बना सकता है."
ब्लड पैक्ट: ट्रंप के खिलाफ फंडिंग कैंपेन
इस बयान के साथ एक वेबसाइट का जिक्र भी सामने आया है जिसे ‘ब्लड पैक्ट’ नाम दिया गया है. इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का दावा है कि उसने अब तक 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹330 करोड़) जुटा लिए हैं और उसका लक्ष्य 100 मिलियन डॉलर (₹857 करोड़) है. वेबसाइट का कथित उद्देश्य “ईश्वर के दुश्मनों से बदला लेना” बताया गया है.
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस वेबसाइट को कौन संचालित कर रहा है, लेकिन ईरान की अर्द्ध-सरकारी समाचार एजेंसी फार्स न्यूज, जो रिवोल्यूशनरी गार्ड्स से जुड़ी मानी जाती है, ने इस अभियान का समर्थन किया है.
ईरानी सरकार ने झाड़ा पल्ला
ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने इस अभियान और बयानों से दूरी बनाते हुए कहा कि सरकार या संविधान का इससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने इसे “व्यक्तिगत और गैर-सरकारी गतिविधि” बताया.
हालांकि, कट्टरपंथी अखबार ‘कायहान’, जिसे खामेनेई का करीबी माना जाता है, ने राष्ट्रपति के रुख को नकारते हुए इसे “धार्मिक आदेश” की संज्ञा दी है, न कि केवल व्यक्तिगत राय.
अमेरिका में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
ट्रंप के खिलाफ इस तरह की खुली धमकियों के बाद अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ा दी है. पूर्व राष्ट्रपति पहले से ही सीक्रेट सर्विस की विशेष सुरक्षा के तहत हैं, लेकिन इन बयानों और ऑनलाइन गतिविधियों को देखते हुए अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है.
जनरल सुलेमानी की हत्या और बदला
जनरल कासिम सुलेमानी की 2020 में बगदाद एयरपोर्ट पर अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत के बाद से ही ईरान की ओर से बार-बार चेतावनियां दी जाती रही हैं कि इस कार्रवाई का जवाब दिया जाएगा. ट्रंप उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति थे और उन्होंने ही इस हमले की अनुमति दी थी.
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