तेल अवीव/तेहरान: इजरायल और ईरान के बीच छाया संघर्ष अब एक नए चरण में प्रवेश कर चुका है. शनिवार को इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने दावा किया कि उसने ईरान के पश्चिमी क्षेत्र में एक लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक ऑपरेशन के तहत आईआरजीसी कुद्स फोर्स के कमांडर बेहनाम शहरयारी को मार गिराया है. इस हमले में एक अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सईद इजादी की भी मौत हुई है.
IDF के मुताबिक, यह ऑपरेशन करीब 1,000 किलोमीटर की दूरी से अंजाम दिया गया — जो इजरायल की खुफिया और तकनीकी क्षमता का परिचायक माना जा रहा है.
कौन थे बेहनाम शहरयारी और सईद इजादी?
बेहनाम शहरयारी ईरान की कुद्स फोर्स के उन अधिकारियों में शामिल थे, जो पश्चिम एशिया में ईरान समर्थित समूहों को हथियार और फंडिंग मुहैया कराते थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने हाल के वर्षों में अरबों डॉलर की सहायता से ईरान के गठबंधन नेटवर्क को मजबूत किया.
सईद इजादी, फिलिस्तीन कोर कमांडर, उन लोगों में थे जो ईरानी सैन्य प्रतिष्ठान और हमास के बीच रणनीतिक समन्वय को संचालित कर रहे थे. IDF का दावा है कि वे 7 अक्टूबर को हुए हमास हमले के भी एक प्रमुख योजनाकार थे.
ऑपरेशन की प्रकृति और रणनीतिक संकेत
IDF ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें दावा किया गया है कि शहरयारी की कार को सटीक निशाने पर लेकर नष्ट किया गया. यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव चरम पर है और इजरायल लगातार ईरान के स्ट्रेटेजिक कमांड स्ट्रक्चर को निशाना बना रहा है.
🔴ELIMINATED: Behnam Shahriyari, commander of the Quds Force’s Weapons Transfer Unit in the IRGC, was eliminated in a precise IDF strike in western Iran.
— Israel Defense Forces (@IDF) June 21, 2025
Shahriyari was responsible for all weapons transfers from the Iranian regime to its proxies across the Middle East in order… pic.twitter.com/O9nEjuauuW
इस ऑपरेशन की विशेषता:
इजरायल की बढ़ती सैन्य आक्रामकता
13 जून से इजरायली सेना ने ईरान के भीतर लक्षित हमले शुरू किए थे. शुरुआती हमलों में ही ईरानी सेना के शीर्ष अधिकारियों को निशाना बनाया गया था. अब तक कई IRGC अफसर, परमाणु वैज्ञानिक, और सुरक्षा कोऑर्डिनेटर्स इस अभियान में मारे जा चुके हैं.
इस रणनीति का उद्देश्य स्पष्ट है:
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और सुरक्षा दृष्टिकोण
इजरायल के इन हमलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखी गई हैं. जहां कुछ देश इसे आत्मरक्षा के रूप में जायज़ ठहराते हैं, वहीं अन्य इसे क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ावा देने वाला कदम मान रहे हैं. साथ ही, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह सैन्य रणनीति भविष्य में सीधी ईरान-इजरायल जंग का आधार बन सकती है.
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