ओमान एक बार फिर शांतिपूर्ण बातचीत का केंद्र बना है. शनिवार को मस्कट में ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष लेकिन उच्च स्तर की बातचीत शुरू हुई. इस बातचीत का मकसद परमाणु मुद्दे पर कोई नया समाधान निकालना है. खास बात यह है कि ये बातचीत ऐसे वक्त हो रही है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर से धमकी भरे तेवर में नजर आ रहे हैं.
'अगर बातचीत चाहिए तो...'
ईरान ने अमेरिका को साफ शब्दों में कहा है कि अगर बातचीत चाहिए तो धमकियों की भाषा बंद करनी होगी. ईरानी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची कर रहे हैं. उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर अमेरिका बातचीत में इज्जत और गंभीरता के साथ शामिल होता है तो शुरुआत अच्छी हो सकती है, लेकिन अगर दबाव और धमकियों के साथ आता है तो बात नहीं बनेगी.
इस बातचीत में ओमान के विदेश मंत्री बद्र अल-बुसैदी मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं. ओमान लंबे समय से पश्चिमी देशों और ईरान के बीच एक चुपचाप पुल का काम करता आ रहा है, बिना किसी दिखावे के.
अमेरिका का रवैया अब भी सख्त
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और वह किसी भी तकनीकी संदेह को दूर करने के लिए तैयार है. वहीं अमेरिका का रवैया अब भी सख्त है. हाल ही में ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर ईरान ने बातचीत से इनकार किया तो उस पर बड़ा सैन्य हमला किया जा सकता है.
दरअसल, ट्रंप पहले भी 'अधिकतम दबाव' की नीति अपनाकर कुछ खास हासिल नहीं कर पाए थे. 2015 में हुई ऐतिहासिक जेसीपीओए परमाणु डील को उन्होंने 2018 में तोड़ दिया था. तभी से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है.
ये भी पढ़ेंः मुर्शिदाबाद हिंसा में 3 लोगों की मौत, अब तक क्या-क्या हुआ? जानिए एक-एक अपडेट