मध्य पूर्व में हालात अब पूरी तरह से बदल चुके हैं. इजरायल की सेना ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसने देशभर में "सभी युद्ध क्षेत्रों" में सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी है. इसके साथ ही, विभिन्न सैन्य इकाइयों से रिजर्व सैनिकों को बुलाया जा रहा है ताकि संभावित जवाबी हमलों से निपटा जा सके. यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब ईरान और उससे जुड़े गुटों की ओर से पलटवार की आशंका तेजी से बढ़ रही है.
शुक्रवार तड़के शुरू हुआ हमला
इजरायल ने शुक्रवार सुबह ईरान के अंदर कई सामरिक और परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त हवाई हमला किया. इस हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई, जबकि नतांज जैसी महत्वपूर्ण परमाणु संवर्धन सुविधा से धुएं के बादल उठते देखे गए. इसे ईरान पर 1980 के दशक में इराक के साथ युद्ध के बाद सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है.
मोसाद का गुप्त ऑपरेशन: ड्रोन से पहले ही तय किए गए थे निशाने
जानकारी के अनुसार, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई. दो वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि ईरान के भीतर पहले से विस्फोटक ड्रोन तैनात किए गए थे, जिन्हें समय आने पर सक्रिय कर तेहरान के पास मिसाइल लॉन्चर और हथियार भंडारों को निशाना बनाया गया. यह एक जटिल और गोपनीय मिशन था, जिसकी पुष्टि फिलहाल आधिकारिक तौर पर नहीं की गई है.
200 से ज्यादा विमानों ने 100 से अधिक ठिकानों को बनाया निशाना
इजरायली रक्षा बलों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में करीब 200 लड़ाकू विमान शामिल थे, जिन्होंने पूरे ईरान में 100 से अधिक सैन्य और रडार ठिकानों को निशाना बनाया. इनमें पश्चिमी ईरान के रडार स्टेशन, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, और हथियारों की सप्लाई चेन भी शामिल हैं.
ईरान के तीन बड़े सैन्य नेता मारे गए
इस हमले में ईरान की सेना को बड़ा झटका लगा है. मारे गए वरिष्ठ अधिकारियों में शामिल हैं—
खामेनेई की चेतावनी और वैश्विक प्रतिक्रिया
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इस हमले के बाद तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इजरायल को इसकी "कड़ी सजा" दी जाएगी. क्षेत्रीय देशों ने इस कार्रवाई की निंदा की है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तनाव को तुरंत कम करने की अपील कर रहा है.
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