मध्य पूर्व में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इजरायली एयरफोर्स ने ईरान पर एक और निर्णायक हमला करते हुए हमदान स्थित ईरान की सबसे बड़ी एयरबेस को नष्ट करने का दावा किया है. इसके साथ ही, फोर्दो की उस भूमिगत न्यूक्लियर साइट पर भी हमला किया गया है, जिसे अब तक ईरान का सबसे सुरक्षित और संवेदनशील परमाणु ठिकाना माना जाता था.
इस सैन्य अभियान में ईरान के कई अन्य अहम ठिकानों को भी निशाना बनाया गया, जिनमें कासर-ए-शीरिन और कांजावर जैसे सैन्य व परमाणु प्रतिष्ठान शामिल हैं. इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने साइबर हमलों और लक्षित हत्याओं (targeted killings) के माध्यम से ईरान की सैन्य संरचना को कमजोर करने की रणनीति पर भी काम किया है.
सुरक्षा परिषद की आपात बैठक, दुनिया दो धड़ों में बंटी
तेजी से बढ़ते तनाव के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) आज रात भारतीय समयानुसार 1:23 बजे इस मसले पर आपात बैठक करने जा रही है. वैश्विक स्तर पर इस मुद्दे पर गहरी खाई दिखाई दे रही है. अमेरिका और यूरोपीय देश जहां इजरायल को खुला समर्थन दे रहे हैं, वहीं चीन और रूस ईरान के पक्ष में खड़े हैं.
भारत ने अब तक इस मामले में संतुलन बनाए रखा है, क्योंकि दोनों देशों—ईरान और इजरायल—से उसके मजबूत रिश्ते हैं. चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हम ईरान के साथ हैं और बातचीत के ज़रिए समाधान का समर्थन करते हैं.” वहीं, रूस ने ईरान को 'शांति का पैरोकार' बताते हुए उसे समर्थन देने की बात कही. दूसरी ओर, अमेरिका ने इजरायल को हाई-टेक हथियार और खुफिया सूचनाएं मुहैया कराईं हैं. यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने भी कहा है कि “इजरायल को आत्मरक्षा का अधिकार है.”
ट्रंप की पुरानी चेतावनी हुई सच
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि अगर ईरान परमाणु समझौते पर राज़ी नहीं हुआ, तो उसे भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. माना जा रहा है कि फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर हुआ यह हमला उसी रणनीति का हिस्सा है. इस बीच, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक इजरायली हमलों में ईरान के 70 से ज्यादा लोग, जिनमें कई सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक भी शामिल हैं, मारे जा चुके हैं.
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