आधी रात को दहल गया ईरान, इतिहास के सबसे बड़े धमाके से जाग गई पूरी दुनिया; क्या सीजफायर मुमकिन है?

    मिडिल ईस्ट एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर खड़ा है. इज़रायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने अब भीषण टकराव का रूप ले लिया है, और हालात दिन पर दिन और गंभीर होते जा रहे हैं.

    Iran shaken at midnight biggest explosion ceasefire
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    मिडिल ईस्ट एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर खड़ा है. इज़रायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने अब भीषण टकराव का रूप ले लिया है, और हालात दिन पर दिन और गंभीर होते जा रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति की ओर से संघर्षविराम की अपील के बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है—दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई लगातार जारी है.

    इज़रायल के ताबड़तोड़ हमले, ईरान का पलटवार

    ईरानी मीडिया के अनुसार, बीते 12 दिनों में इज़रायल ने ईरान पर अब तक का सबसे भीषण हमला किया है. तेहरान और कराज जैसे बड़े शहरों में रात के समय जोरदार धमाकों की आवाज़ें सुनी गईं. मेहराबाद और फतह हाईवे पर तड़के 3:20 बजे हुए इन विस्फोटों से पूरे इलाके में दहशत फैल गई.

    ईरान का कहना है कि इज़रायल ने उसके परमाणु ठिकानों को निष्क्रिय करने के इरादे से यह हमला किया है ताकि उसे न्यूक्लियर हथियार विकसित करने से रोका जा सके. जवाबी कार्रवाई में ईरान ने भी इज़रायल के कई प्रमुख शहरों को मिसाइल हमलों का निशाना बनाया, जिससे दोनों ओर व्यापक तबाही हुई है.

    तेल अवीव से तेहरान तक तबाही के दृश्य

    तेहरान और कराज में हुए हमलों के चलते व्यापक नुकसान की आशंका जताई जा रही है, जबकि इज़रायली मीडिया के अनुसार, तेल अवीव जैसे बड़े शहरों में ईरानी मिसाइल हमलों से नागरिक इलाकों और सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान हुआ है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोग दहशत में अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं.

    अमेरिका का हस्तक्षेप: परमाणु ठिकानों पर 'GBU-57' से हमला

    इस पूरे संघर्ष में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब अमेरिका ने खुलकर इज़रायल का समर्थन करते हुए जंग में प्रवेश किया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिकी वायुसेना के B-2 बमवर्षक विमानों ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्दो, नतांज और इस्फाहान—पर ‘मदर ऑफ ऑल बॉम्ब’ कहे जाने वाले GBU-57 बमों से हमला किया.

    यह बम तकरीबन 13,600 किलोग्राम वजनी होता है और इसे भूमिगत ठिकानों को तबाह करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फोर्दो स्थित गहरे भूमिगत ठिकाने को भारी नुकसान पहुंचा है, हालांकि वहां से किसी भी प्रकार की रेडिएशन लीक की पुष्टि नहीं हुई है. इससे विशेषज्ञों में यह बहस छिड़ गई है कि यदि वहां संवेदनशील न्यूक्लियर सामग्री मौजूद थी, तो रेडिएशन क्यों नहीं फैला?

    13 जून से शुरू हुआ संघर्ष, अब पूरे क्षेत्र को चपेट में ले चुका है

    इस सैन्य टकराव की शुरुआत 13 जून को हुई, जब इज़रायली लड़ाकू विमानों ने ईरान पर पहला हमला किया था. इस हमले में ईरान के कई सैन्य जनरल और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए थे. इसके जवाब में ईरान ने भी इज़रायल के सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाते हुए मिसाइल हमले किए.

    अब जब अमेरिका भी इस संघर्ष का हिस्सा बन चुका है, मिडिल ईस्ट में हालात और अधिक विस्फोटक हो गए हैं. क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है, और वैश्विक शक्तियां इस संकट को कूटनीतिक तरीके से हल करने की कोशिश में लगी हैं.

    क्या होगा अगला कदम?

    संघर्षविराम की घोषणा के बावजूद जमीनी हालात इस ओर इशारा नहीं कर रहे कि तनाव जल्द खत्म होगा. इज़रायल-ईरान की यह टकराव अब केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूरे मिडिल ईस्ट की स्थिरता के लिए खतरा बनता जा रहा है.

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