अजरबैजान-आर्मेनिया की शांति से परेशान हो रहा ईरान! दोड़े-दोड़े येरेवन पहुंचे राष्ट्रपति पेजेश्कियन

    काकेशस क्षेत्र में दशकों से जारी तनाव के बीच एक ऐतिहासिक मोड़ देखने को मिला है. 8 अगस्त को अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान ने वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में एक अहम शांति समझौते पर हाथ मिलाया.

    Iran President Visit armenia for peace with azerbaijan
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    काकेशस क्षेत्र में दशकों से जारी तनाव के बीच एक ऐतिहासिक मोड़ देखने को मिला है. 8 अगस्त को अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान ने वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में एक अहम शांति समझौते पर हाथ मिलाया. इस समझौते के तहत दोनों देश पुराने विवादों को पीछे छोड़ते हुए आपसी सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमत हुए हैं. हालांकि यह पहल अमेरिका के प्रभाव को दर्शाती है, लेकिन इससे ईरान की चिंता भी गहरा गई है.

    अमेरिकी मध्यस्थता से हुए इस समझौते के तुरंत बाद ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए आर्मेनिया का रुख किया. उन्होंने येरेवन में साफ तौर पर कहा कि काकेशस क्षेत्र में अमेरिका जैसे बाहरी ताकतों का हस्तक्षेप सही नहीं है. पेजेश्कियन का मानना है कि बाहरी दबावों से क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ सकता है. आर्मेनियाई प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वस्त करने की कोशिश की कि यह समझौता देश की संप्रभुता को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन ईरान की चिंता बनी हुई है.

    समझौते का रणनीतिक पक्ष

    इस नई संधि में दक्षिणी आर्मेनिया से होकर गुजरने वाला एक अहम ट्रांजिट कॉरिडोर शामिल है, जो अजरबैजान को उसके नखचिवन एन्क्लेव से जोड़ेगा. यह कॉरिडोर सीधे ईरानी सीमा से सटे इलाके से होकर गुजरेगा, जिससे ईरान को आशंका है कि उसके प्रभाव क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य या व्यावसायिक उपस्थिति बढ़ सकती है. इस मार्ग के विकसित होने से रूस और ईरान दोनों को दरकिनार किया जा सकता है, जो परंपरागत रूप से इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभाते आए हैं.

    अमेरिकी कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी

    खबर है कि अमेरिका की बड़ी कंपनियां इस समझौते के तहत ईरान की सीमा से सटे आर्मेनियाई क्षेत्र में निवेश की तैयारी कर रही हैं. ऐसे में ईरान को यह डर सता रहा है कि अजरबैजान, जो पहले से ही इजरायल और अमेरिका का करीबी है, उसे कूटनीतिक और भू-राजनीतिक फायदा मिल सकता है.

    ईरान की भू-राजनीतिक चिंता

    इस गलियारे पर अमेरिकी नियंत्रण से ईरान को यह भी खतरा है कि उसकी ब्लैक सी और जॉर्जिया के रास्ते यूरोप तक की व्यापारिक पहुंच सीमित हो सकती है. साथ ही, आर्मेनिया द्वारा तुर्की के साथ अपनी सीमा खोलने से "मिडल कॉरिडोर" योजना को बल मिलेगा, जो चीन से लेकर यूरोप तक व्यापार और ऊर्जा मार्ग को सुगम बनाएगा. इसमें रेल, सड़क, गैस पाइपलाइन और डिजिटल संचार तंत्र शामिल होंगे. यह अमेरिकी व्यापारिक उपस्थिति ईरान और रूस जैसे देशों के लिए एक नई चुनौती बनकर उभर रही है.

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