Iran Israel War: मध्य पूर्व में चल रहे ईरान-इजराइल संघर्ष ने एक नया मोड़ ले लिया है. कई दिनों की कूटनीतिक खामोशी और सैन्य अटकलों के बाद, अमेरिका ने आखिरकार सीधी सैन्य कार्रवाई करते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों को निशाना बनाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह हमला "विश्व शांति और सुरक्षा की दिशा में निर्णायक कदम" है.
किन ठिकानों पर हुआ हमला?
ट्रंप के अनुसार, अमेरिकी एयरफोर्स के बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने ईरान के फोर्डो, नटांज और इस्फहान में स्थित परमाणु केंद्रों पर बमबारी की. ये सभी स्थल ईरान के संवेदनशील यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का हिस्सा माने जाते हैं.
बी-2 स्टील्थ बॉम्बर: अमेरिका की अदृश्य मारक शक्ति
बी-2 बॉम्बर को अमेरिकी सेना का सुपर सीक्रेट हथियार माना जाता है. नॉर्थरोप ग्रुम्मन द्वारा विकसित यह विमान 1989 से सेवा में है और अब भी आधुनिकतम स्टील्थ तकनीक का प्रतीक बना हुआ है. यह दुश्मन के रेडार सिस्टम को चकमा देने में सक्षम है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) जैसे 30,000 पाउंड वजनी बमों को ले जा सकता है, जो बंकरों को ध्वस्त करने में सक्षम हैं.
हमले में कौन से हथियार इस्तेमाल हुए?
हालांकि ट्रंप ने इस बारे में स्पष्ट नहीं किया कि हमले में कौन से बमों का इस्तेमाल हुआ, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि फोर्डो जैसे भूमिगत केंद्रों को निष्क्रिय करने के लिए MOP जैसे गहराई तक मार करने वाले हथियारों का उपयोग किया गया होगा.
भविष्य की आहट: बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता
ईरान ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अमेरिका का कोई भी हस्तक्षेप उसके लिए "लाल रेखा पार करने" जैसा होगा. अब इस हमले के बाद, जवाबी कार्रवाई की आशंका और भी अधिक बढ़ गई है. संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक शक्तियां फिलहाल स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं, क्योंकि यह कार्रवाई न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता, बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है.
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