मध्य-पूर्व में 12 दिनों तक चली भीषण जंग के बाद अब बंदूकें खामोश हैं, लेकिन दिलों में खदबदाहट बाकी है. इज़रायल और ईरान के बीच हुए इस हालिया युद्ध ने न केवल दोनों देशों को झकझोर दिया, बल्कि पूरी दुनिया को यह एहसास दिलाया कि युद्ध कोई हल नहीं, बल्कि एक अस्थायी सन्नाटा हो सकता है.
हालांकि गोलीबारी रुक चुकी है, लेकिन ईरान की सेना अब भी पूरी सतर्कता में है. हाल ही में देश के शीर्ष सैन्य अधिकारी बनाए गए मेजर जनरल सैय्यद अब्दुलरहीम मौसवी ने साफ कहा कि युद्ध हमने शुरू नहीं किया, लेकिन अगर दुश्मन ने फिर से ललकारा, तो इस बार भी जवाब पूरी ताकत से मिलेगा.
परमाणु ठिकानों पर इज़रायली हमले, जवाब में मिसाइलों की बरसात
इस तनाव की शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इज़रायल और अमेरिका की संयुक्त कार्रवाई में ईरान के कुछ प्रमुख परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया. उसी दिन ईरान के तत्कालीन सैन्य प्रमुख मोहम्मद बाघेरी की भी इज़रायली हमले में मौत हो गई. यही घटना युद्ध का ट्रिगर बनी.
ईरान ने इस हमले को अपनी संप्रभुता पर सीधा हमला माना और जवाब में बैलिस्टिक मिसाइलों की झड़ी लगा दी. इज़रायल के शहरों पर मिसाइलें गिरीं और दोनों ओर नुकसान हुआ.
"हम युद्धविराम का सम्मान करते हैं, लेकिन भरोसा नहीं कर सकते"
ईरान के नए चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मौसवी ने अपने पहले सार्वजनिक बयान में कहा, "हमने कभी पहल नहीं की, लेकिन अपने देश की रक्षा के लिए हमने कोई कसर नहीं छोड़ी. हम युद्धविराम का सम्मान करते हैं, लेकिन हमें दुश्मन की नीयत पर संदेह है. इसलिए हमारी सेना हर हालात से निपटने के लिए तैयार है."
सऊदी से पहली बार बातचीत, क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा
दिलचस्प बात यह रही कि युद्धविराम के बाद मौसवी ने पहली बार सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान से फोन पर बात की. यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब क्षेत्र पहले से ही बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहा है. ईरानी पक्ष की पहल पर हुई इस बातचीत में दोनों देशों ने रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर विचार-विमर्श किया.
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