हूती और हमास से ईरान का मोह खत्म! इजरायल के खिलाफ इस नए हथियार को तैयार कर रहे खामेनेई, मोसाद सतर्क

    Israel Iran Conflict: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने एक बार फिर अपनी रणनीति बदल दी है. इस बार तेहरान ने अपने प्रभाव को इराक की शिया मिलिशियाओं तक फैलाया है. यह न तो हूती विद्रोही हैं, न हमास, न ही हिजबुल्लाह, बल्कि इराक की स्थानीय शिया मिलिशियाएं हैं, जिन्हें ईरान भविष्य में इज़राइल के खिलाफ संभावित हमलों के लिए तैयार कर रहा है.

    Iran fascination Houthi Hamas is over Khamenei preparing this new weapon against Israel
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    Israel Iran Conflict: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने एक बार फिर अपनी रणनीति बदल दी है. इस बार तेहरान ने अपने प्रभाव को इराक की शिया मिलिशियाओं तक फैलाया है. यह न तो हूती विद्रोही हैं, न हमास, न ही हिजबुल्लाह, बल्कि इराक की स्थानीय शिया मिलिशियाएं हैं, जिन्हें ईरान भविष्य में इज़राइल के खिलाफ संभावित हमलों के लिए तैयार कर रहा है.

    इज़रायल नेशनल रेडियो की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में ईरान ने इराकी शिया मिलिशियाओं को आधुनिक हथियार और सैन्य प्रशिक्षण देना तेज कर दिया है. कुद्स फोर्स (IRGC-QF) सीधे तौर पर इन समूहों को संचालित कर रही है.

    सूत्रों का दावा है कि यदि पश्चिम एशिया में कभी निर्णायक संघर्ष होता है, तो ये मिलिशियाएं इज़रायल पर हमले के लिए सक्रिय हो सकती हैं. तेहरान की यह रणनीति अब लेबनान, सीरिया और गाजा में हुए नुकसान के बाद अपना नया केंद्र इराक में बना रही है.

    तेहरान की नई रणनीति: इराक कार्ड

    The Jerusalem Post और इज़राइली वेबसाइट Vala की रिपोर्टों के मुताबिक, इज़रायल की सेना और मोसाद इस नए खतरे के खिलाफ पहले से तैयारी में जुट गई हैं. ईरान का मकसद इराक में आतंकी ढांचे को मजबूत करना है, ताकि किसी बड़े संघर्ष की स्थिति में इज़राइल को जमीन और हवा दोनों से निशाना बनाया जा सके.

    डरे हुए लेकिन शक्तिशाली मिलिशिया

    इराकी सूत्रों के अनुसार, ये मिलिशियाएं अमेरिकी और इज़रायली हमलों से डरती हैं, लेकिन उनकी सैन्य ताकत इराकी सेना से अधिक बताई जा रही है. इन समूहों का सीधा नियंत्रण ईरान की कुद्स फोर्स के हाथ में है और वे इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी के आदेशों का कम पालन करते हैं.

    राजनीतिक परिदृश्य और आगामी चुनाव

    11 नवंबर को होने वाले इराकी संसदीय चुनावों से पहले यह मुद्दा और भी संवेदनशील बन गया है. अल-मदी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 20 राजनीतिक दल या गठबंधन चुनाव में हैं, जिनका सैन्य विंग है या जो ईरान समर्थित हैं. हालांकि प्रधानमंत्री सुदानी का कहना है कि इराक की स्थिति लेबनान जैसी नहीं है और कोई भी बाहरी ताकत बगदाद को किसी युद्ध में नहीं घसीट सकती.

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