Iran and Israel War: अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और भू-राजनीतिक मुद्दों के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर यूक्रेन को लेकर अपने दृढ़ रुख को दोहराया है. सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित "स्पीफ" (SPIEF) अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच में बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि यूक्रेन न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से रूस का हिस्सा है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी उसका अभिन्न अंग बना हुआ है.
यूक्रेन: एकता की बात या विस्तारवाद का संकेत?
पुतिन ने कहा कि रूस और यूक्रेन के लोग एक ही सभ्यता से जुड़े हैं और दोनों में कोई भेद नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा, हम यूक्रेन की संप्रभुता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह भी सच है कि यूक्रेन का झुकाव अब तटस्थता से हटकर नाटो और पश्चिमी देशों की ओर हो गया है. रूसी कहावत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, जहां रूसी सैनिक का पैर पड़ा, वह ज़मीन हमारी हो जाती है. उन्होंने अमेरिका और नाटो पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन देशों ने यूक्रेन में तख्तापलट के लिए अरबों डॉलर झोंक दिए, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा हुई.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रूस का समर्थन
रूसी राष्ट्रपति ने ईरान के साथ जारी परमाणु ऊर्जा सहयोग को पूरी तरह वैध और सुरक्षित बताया. उन्होंने कहा कि बुशहर परमाणु संयंत्र पर काम जारी है और रूस, ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु उद्देश्यों का समर्थन करता रहेगा. ईरान को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा का पूरा अधिकार है. पुतिन ने यह भी खुलासा किया कि इज़रायल-ईरान संघर्ष के समाधान के लिए वह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और ईरान के राष्ट्रपति पेज़ेश्कियान से लगातार चर्चा में हैं.
रूस की भरोसेमंद छवि को लेकर पुतिन की सफाई
कुछ अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए पुतिन ने कहा कि रूस को अविश्वसनीय साझेदार बताना सिर्फ एक 'भ्रामक एजेंडा' है. उन्होंने कहा, रूस हमेशा अपने सहयोगियों के साथ खड़ा रहा है और किसी भी वैश्विक संकट में उसने अपनी जिम्मेदारियां निभाई हैं.
रूस की अर्थव्यवस्था और भारत-चीन के साथ रणनीतिक संबंध
रूस के राष्ट्रपति ने आर्थिक मोर्चे पर भी अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं. उन्होंने बताया कि प्रतिबंधों और युद्ध के बावजूद रूस की GDP 4% से अधिक की दर से बढ़ रही है. 2000 में गरीबी दर 29% थी, जो 2024 में घटकर 7.2% रह गई है. पुतिन ने भारत और चीन के साथ रणनीतिक सहयोग को "21वीं सदी की अनिवार्यता" बताया और कहा कि आने वाले वर्षों में इन साझेदारियों में तकनीकी विकास, ई-कॉमर्स और रक्षा उद्योग जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर संयुक्त प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे.
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