'इजराइल पर दबाव बनाए भारत', युद्ध के बीच ईरान ने भारत से की बड़ी अपील

    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और इज़रायल-ईरान टकराव के बीच, संयुक्त राष्ट्र में ईरान के उप-राजदूत मोहम्मद जवाद हुसैनी ने भारत से एक बड़ी अपील की है. उन्होंने भारत से इज़रायल की निंदा करने और क्षेत्रीय शांति के समर्थन में निर्णायक रुख अपनाने का आह्वान किया.

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    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और इज़रायल-ईरान टकराव के बीच, संयुक्त राष्ट्र में ईरान के उप-राजदूत मोहम्मद जवाद हुसैनी ने भारत से एक बड़ी अपील की है. उन्होंने भारत से इज़रायल की निंदा करने और क्षेत्रीय शांति के समर्थन में निर्णायक रुख अपनाने का आह्वान किया. हुसैनी ने भारत को वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बताते हुए कहा कि नई दिल्ली को शांतिप्रिय और जिम्मेदार राष्ट्र की भूमिका निभानी चाहिए. उनका बयान उस समय आया है जब इज़रायल की सैन्य कार्रवाइयों को लेकर वैश्विक बिरादरी में गहमागहमी तेज़ है.

    “भारत बोले तो असर होगा”

    हुसैनी ने कहा कि अगर इज़रायल के अक्टूबर में हमास के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई की व्यापक आलोचना की गई होती, तो शायद वह आज ईरान जैसे संप्रभु देश को निशाना बनाने की हिम्मत न करता. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत जैसे प्रभावशाली देश की चुप्पी से गलत संकेत जाते हैं, इसलिए उसे अब खुलकर शांति के पक्ष में बोलना चाहिए.

    IAEA की भूमिका पर सवाल, निष्पक्षता पर संदेह

    ईरान के उप-राजदूत ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) पर भी गहरा अविश्वास जताया. उन्होंने कहा कि एजेंसी ने स्वयं यह माना है कि ईरान में किसी भी प्रकार की सैन्य परमाणु गतिविधि नहीं चल रही, इसके बावजूद वह इज़रायल की लाइन पर चलते हुए ईरान के खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराती है. यह स्थिति वैश्विक संस्थानों की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

    “परमाणु हथियार हमारी नीति में नहीं”

    हुसैनी ने दोहराया कि ईरान की रक्षा रणनीति में परमाणु हथियारों की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने यूरेनियम संवर्धन को लेकर लगाए जा रहे सभी आरोपों को खारिज किया और इसे एक सोची-समझी अंतरराष्ट्रीय साजिश बताया. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ शक्तियाँ खुले तौर पर ईरान में सत्ता परिवर्तन की मांग कर रही हैं, जो उनकी असली मंशा को उजागर करता है.

    पाकिस्तान से उम्मीद और भरोसा

    एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में हुसैनी ने पाकिस्तान के रुख पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि पाकिस्तान किसी भी परिस्थिति में इज़रायल के साथ नहीं जाएगा और क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के लिए ईरान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा.

    “हमारी क्षमताएं अभी उजागर नहीं हुई हैं”

    अंत में, हुसैनी ने इज़रायल और उसके सहयोगियों को सीधे शब्दों में चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि ईरान के पास कुछ रणनीतिक क्षमताएं हैं जिन्हें अभी उजागर नहीं किया गया है, लेकिन अगर हालात बिगड़ते हैं तो उनका इस्तेमाल किया जा सकता है. उनका बयान एक स्पष्ट संकेत था कि ईरान अपने आत्म-सम्मान और संप्रभुता से किसी तरह का समझौता नहीं करेगा.

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