इजरायल-ईरान युद्ध में चीन की एंट्री? तेहरान पहुंचते ही ड्रैगन के कई विमान रडार से गायब; कुछ बड़ा होने वाला है!

    Iran and Israel War: ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध अब एक नए मोड़ पर पहुंचता नजर आ रहा है. जहां एक ओर जमीनी और हवाई संघर्ष जारी है, वहीं दूसरी ओर कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल तेज हो गई है.

    Iran and Israel War mystery for  747 flights amid war tensions
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    Iran and Israel War: ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध अब एक नए मोड़ पर पहुंचता नजर आ रहा है. जहां एक ओर जमीनी और हवाई संघर्ष जारी है, वहीं दूसरी ओर कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल तेज हो गई है. चीन और रूस के हालिया कदमों ने यह संकेत देना शुरू कर दिया है कि इस टकराव में अब वैश्विक ताकतें अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकती हैं.

    चीन से रहस्यमयी उड़ानें, बढ़ी अंतरराष्ट्रीय चिंता

    बीते कुछ दिनों से चीन से उड़ान भरने वाले कई बोइंग 747 विमानों ने ईरान की ओर गुप्त उड़ानें भरी हैं. FlightRadar24 के आंकड़ों के मुताबिक, 14 जून से अब तक कम से कम पांच मालवाहक विमान चीन के उत्तरी हिस्से से उड़ान भरकर मध्य एशियाई देशों को पार करते हुए ईरान की सीमा तक पहुंचे और फिर रडार से अचानक गायब हो गए. इन विमानों की मंज़िल "लग्जमबर्ग" दिखाई गई थी, लेकिन वास्तविकता यह है कि कोई भी विमान यूरोप के हवाई क्षेत्र में दाखिल नहीं हुआ. इससे इन उड़ानों की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह ईरान को सामरिक या तकनीकी सहायता पहुंचाने की एक गुप्त प्रक्रिया हो सकती है.

    चीन-ईरान के बीच मजबूत होते रिश्ते

    इस घटनाक्रम ने 2021 में ईरान और चीन के बीच हुए 25 साल के रणनीतिक समझौते को भी चर्चा में ला दिया है. तेहरान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद मरांदी के मुताबिक, यह साझेदारी केवल आर्थिक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है. विशेषकर अमेरिका को. उनका कहना है कि अमेरिका जितना प्रयास करेगा इन दोनों देशों को अलग करने का, उतना ही ये देश करीब आते जाएंगे.

    रूस की मध्यस्थता की पेशकश और ट्रंप की प्रतिक्रिया

    वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस युद्ध में मध्यस्थता की पेशकश की है. उन्होंने साफ किया कि ईरान ने अब तक रूस से सैन्य सहायता नहीं मांगी है, लेकिन वह संघर्ष को खत्म कराने के प्रयास में रुचि रखते हैं. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिलहाल इस पहल को नकार दिया है. पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हालिया संवाद ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है.

    संदेह और संतुलन

    हालांकि, अटलांटिक काउंसिल के विशेषज्ञ तुविया गेयरिंग इस घटनाक्रम को ज्यादा गंभीर मानने से इनकार करते हैं. उनके अनुसार, ये केवल एक अंतरराष्ट्रीय कार्गो कंपनी की नियमित उड़ानें हो सकती हैं, जिनका सिग्नल तकनीकी कारणों से ट्रैकिंग सिस्टम पर गायब हो जाता है. वहीं, हेरिटेज फाउंडेशन के डिफेंस डायरेक्टर रॉबर्ट ग्रीनवे का मानना है कि यह गतिविधि चीन और ईरान के बीच चल रही सामरिक साझेदारी का हिस्सा हो सकती है. उनके अनुसार, चीन मध्य पूर्व से प्रतिबंधित और सस्ता तेल हासिल करने की रणनीति पर काम कर रहा है, जिसमें ईरान उसकी अहम कड़ी है.

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