भारतीय नौसेना को उसका बहुप्रतीक्षित मल्टी-रोल स्टील्थ फ्रिगेट INS तमाल अब सौंप दिया गया है. यह जहाज मंगलवार को रूस के कलिनिनग्राद से रवाना हुआ और बुधवार, 9 सितंबर को भारत पहुंच रहा है. इसके साथ ही भारत द्वारा विदेश में तैयार किया गया अंतिम युद्धपोत भी नौसेना का हिस्सा बन जाएगा.
यह न सिर्फ एक युद्धपोत की वापसी है, बल्कि भारतीय नौसेना के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है. अब भविष्य में भारतीय जलसेना के लिए सभी युद्धपोत स्वदेश में ही बनाए जाएंगे.
INS तमाल को करवार में किया जाएगा तैनात
INS तमाल को करवार नौसैनिक अड्डे पर रखा जाएगा और इसे पश्चिमी नौसैनिक कमान में शामिल किया जाएगा. इस फ्रिगेट ने रूस से रवाना होकर रास्ते में कई देशों की नौसेनाओं के साथ युद्धाभ्यास किया है. इसकी कमिशनिंग 1 जुलाई को यांतर शिपयार्ड (कलिनिनग्राद, रूस) में की गई थी, जहां भारतीय नौसेना का झंडा औपचारिक रूप से इस पर लहराया गया. कैप्टन श्रीधर टाटा इसके कमिशनिंग कमांडिंग ऑफिसर (CO) हैं.
पौराणिक अस्त्र से मिला है नाम
INS तमाल का नाम देवताओं के राजा इंद्र की पौराणिक तलवार 'तमाल' से प्रेरित है. यह तलवार वीरता, शक्ति और अजेयता की प्रतीक मानी जाती है — और यही खूबियां इस युद्धपोत को भी दर्शाती हैं.
INS तमाल की तकनीकी विशेषताएं
INS तमाल को आधुनिक युद्ध की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. इसकी कुछ मुख्य खूबियां हैं. अत्याधुनिक सर्विलांस रडार और सेंसर, जो दुश्मन की हर हलचल पर नजर रखते हैं. स्टेल्थ डिज़ाइन, जिससे यह रडार पर न के बराबर दिखाई देता है. लंबी दूरी तक मार करने वाली एंटी-शिप और सरफेस-टू-एयर मिसाइलें, जो इसे बहुपरतीय सुरक्षा देती हैं. उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और स्वदेशी नेविगेशन तकनीक, जो इसे दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक हथियारों से बचाती हैं. पनडुब्बियों और जहाजों को निशाना बनाने की अत्यधिक सटीक क्षमता. हेलिकॉप्टर संचालन के लिए आधुनिक डेक, जो इसे और ज्यादा बहु-उपयोगी बनाता है.
रूस से भारत तक का सफर: INS तमाल की श्रृंखला का अंत
2016 में भारत और रूस के बीच चार 'तलवार क्लास' फ्रिगेट के निर्माण को लेकर समझौता हुआ था. इनमें से दो जहाज रूस में बनने थे और दो भारत में. पहले रूस में बना INS तुशील पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल हो चुका है. अब INS तमाल के साथ इस समझौते का अंतिम चरण पूरा हो गया. इस परियोजना के पूरे होने के बाद अब भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में कोई भी वॉरशिप विदेश से नहीं खरीदा जाएगा.
पश्चिमी समुद्री सीमाओं पर भारत की पकड़ होगी और मजबूत
INS तमाल की तैनाती से पश्चिमी नौसेना कमान को एक बड़ी ताकत मिलेगी. यह युद्धपोत हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की निगरानी, गश्त और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाएगा. इसके ज़रिये भारत न सिर्फ समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को भी नई मजबूती देगा.
एक युग का अंत, आत्मनिर्भरता की नई शुरुआत
INS तमाल का भारत में आगमन एक ऐतिहासिक मोड़ है — यह उस दौर का समापन है, जब भारत को अपनी नौसेना के लिए युद्धपोतों के निर्माण में विदेशी तकनीक और सहयोग की ज़रूरत थी. अब अगली पंक्ति के जहाज, विध्वंसक, फ्रिगेट और पनडुब्बियां पूरी तरह देश में ही डिजाइन और निर्मित की जाएंगी, जो भारत को वैश्विक समुद्री ताकत के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक कदम होगा.
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