PM Modi On Nepal Protests: नेपाल की राजधानी काठमांडू में राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा ने नये रूप ले लिया है. जेन-जी आंदोलन, जो शुरू हुआ था सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ, अब एक बड़े व्यापक संघर्ष में बदल चुका है. देश की सुरक्षा और स्थिरता को लेकर भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय गंभीर चिंतित है. इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल में बढ़ते तनाव पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है और सुरक्षा मामलों की समीक्षा के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई.
हिमाचल प्रदेश और पंजाब से लौटने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा मामलों की उच्चस्तरीय बैठक में नेपाल की जटिल स्थिति पर विस्तार से चर्चा की. इस बैठक में नेपाल में बढ़ रही हिंसा, अस्थिरता और उसके भारत पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों का विश्लेषण किया गया. मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नेपाली भाषा में भी जनता से शांति बनाए रखने की अपील की.
उन्होंने लिखा कि नेपाल में हिंसा हृदयविदारक है और कई युवाओं की जानें गईं, जिससे वह बेहद व्यथित हैं. उन्होंने कहा, ‘नेपाल की स्थिरता, शांति और समृद्धि भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.’ पीएम मोदी ने नेपाल के सभी नागरिकों से अपील की कि वे संयम और शांति बनाए रखें. उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत हालात पर नजदीकी नजर बनाए हुए है और नेपाल के लोगों के साथ है.
आज दिनभरीको भ्रमणबाट फर्किएपछि सुरक्षा सम्बन्धी मन्त्रिपरिषद् समितिको बैठकमा नेपालको घटनाक्रमहरुको बारेमा विस्तृत छलफल भयो । नेपालमा भएको हिंसा हृदयविदारक छ । धेरै युवाहरुले आफ्नो ज्यान गुमाउनु परेकोमा मेरो मन अत्यन्तै विचलित छ । नेपालको स्थिरता, शान्ति र समृद्धि अत्यन्त…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 9, 2025
काठमांडू में उग्र प्रदर्शन और सरकारी संस्थानों पर हमले
नेपाल में राजनीति का संकट तब गहराया जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया, लेकिन इससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा कम नहीं हुआ. विरोध प्रदर्शन अब हिंसक हो गए और प्रदर्शनकारियों ने संसद, अदालतों और कई राजनीतिक नेताओं के आवासों में आग लगा दी. पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर पर हमले में उनकी पत्नी की मौत ने स्थिति और बिगाड़ दी. काठमांडू और ललितपुर के कई इलाकों में सड़कों पर टायर जलाकर जाम लगा दिया गया, जिससे आम जनता की जिंदगी प्रभावित हुई.
प्रदर्शनकारियों की मौत और हिंसा का बढ़ता ग्राफ
प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों में अब तक 19 लोगों की जान जा चुकी है. यह संख्या हिंसा की भयावहता को दर्शाती है. पुलिस के सख्त रुख ने आक्रोश को और बढ़ा दिया है, और प्रदर्शनकारी अब भ्रष्टाचार, असमानता और राजनीतिक घमंड के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेज कर रहे हैं.
सेना का हस्तक्षेप और राष्ट्रपति की अपील
नेपाल की सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें शांति और संवाद के माध्यम से समाधान की बात कही गई. सेना प्रमुख अशोक राज सिगदेल ने कहा कि अब और नुकसान नहीं होना चाहिए. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी देशवासियों और प्रदर्शनकारियों से शांति और एकजुटता की अपील की है, ताकि देश इस कठिन दौर से निकल सके.
नेपाल संकट का क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
नेपाल में जारी यह राजनीतिक संकट न केवल वहां के नागरिकों के लिए चुनौती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा है. भारत और अन्य पड़ोसी देशों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि कैसे नेपाल इस संकट का समाधान निकालता है. प्रधानमंत्री मोदी की चिंता इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के लिए नेपाल एक संवेदनशील पड़ोसी देश है, जहां स्थिरता और विकास दोनों जरूरी हैं.
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