Indian Army On LAC: भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात हमारे बहादुर जवान अब पहले से कहीं अधिक सुरक्षित, सशक्त और सुविधा से लैस होंगे. दशकों से दुर्गम पहाड़ियों और हड्डियों तक को जमा देने वाली ठंड में देश की रक्षा कर रहे ITBP (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) के लिए एक बड़ा बदलाव आने वाला है. सरकार अब ऐसी अत्याधुनिक बॉर्डर आउटपोस्ट (BOP) तैयार कर रही है जो न सिर्फ 45 डिग्री सेल्सियस की सर्दी झेल सकेंगी, बल्कि 19,000 फीट की ऊंचाई पर भी टिकाऊ और प्रभावी साबित होंगी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन विशेष चौकियों के डिज़ाइन के लिए एक विशेषज्ञ कंसल्टेंट की नियुक्ति की जा रही है, जिस पर लगभग 1.25 करोड़ रुपये खर्च होंगे. यह कदम न केवल बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों के जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि उनकी रणनीतिक क्षमता और मनोबल को भी नया बल देगा.
तकनीक और सुविधा का आधुनिक संगम
इन नए बॉर्डर आउटपोस्ट्स में इंटीग्रेटेड हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर-कंडीशनिंग (HVAC) सिस्टम शामिल होंगे, जिससे जवानों को भीषण ठंड में भी आरामदायक वातावरण मिलेगा. साथ ही, पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी निभाते हुए इन चौकियों में सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग किया जाएगा, ताकि जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम हो सके.
सरकार की योजना इन चौकियों को ऐसी तकनीक से लैस करने की है जो न केवल अत्यधिक ऊंचाई पर तेज़ी से बन सकें, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं जैसे भारी बर्फबारी और भूकंप का भी डटकर सामना कर सकें. इसके लिए भूमिगत बंकर और यूटिलिटी एरिया भी बनाए जाएंगे, जो नैचुरल इन्सुलेशन प्रदान करेंगे.
मौजूदा चुनौतियों से निपटने की दिशा में ठोस कदम
ITBP की कई पोस्टें आज भी ऐसी जगहों पर हैं जहां सड़क नहीं पहुंचती, और जवानों को पैदल या खच्चरों की मदद से आपूर्ति पहुंचानी पड़ती है. तापमान शून्य से बहुत नीचे चला जाता है, जिससे पीने के पानी तक की व्यवस्था एक चुनौती बन जाती है. ऐसे में ये नई चौकियां न सिर्फ बुनियादी ढांचे की दृष्टि से बड़ी राहत देंगी, बल्कि देश की सीमाओं पर सुरक्षा को और मजबूत करेंगी.
डोकलाम से गलवान तक...
2017 में डोकलाम और 2020 में गलवान घाटी में हुए टकरावों के बाद भारत ने एलएसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. यह नई पहल उसी श्रृंखला की अगली कड़ी है. इसका मकसद साफ है— हमारे जवानों को हर मौसम और हर चुनौती के लिए तैयार रखना.
इन आधुनिक चौकियों से न सिर्फ जवानों की जिंदगी आसान होगी, बल्कि उनकी तैनाती भी ज्यादा प्रभावी और टिकाऊ होगी. यह पहल केवल निर्माण नहीं, बल्कि राष्ट्र सुरक्षा में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मजबूत क़दम है.
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