जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तेजी और सख्ती से कूटनीतिक मोर्चे पर कदम उठाए हैं, उसने पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. भारत ने न केवल पाकिस्तान में अपना दूतावास बंद करने का फैसला लिया, बल्कि सिंधु जल समझौते को रद्द कर पाकिस्तानी उच्चायोग को 48 घंटे में देश छोड़ने का अल्टीमेटम भी थमा दिया. इन निर्णायक फैसलों को विशेषज्ञ ‘सर्जिकल डिप्लोमैटिक स्ट्राइक’ कह रहे हैं.
इसी बीच पाकिस्तान की राजनीति में एक अप्रत्याशित मोड़ आया है—नवाज शरीफ लंदन से पाकिस्तान लौटने जा रहे हैं. ऐसे समय में जब पाकिस्तान की सियासत भारत के दबाव में झुलस रही है, नवाज की वापसी को रणनीतिक मास्टरमूव के तौर पर देखा जा रहा है.
PML-N में मंथन तेज, नवाज की घर वापसी
पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के सुप्रीमो नवाज शरीफ गुरुवार को पाकिस्तान पहुंच सकते हैं. उन्होंने अपने छोटे भाई और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को 25 अप्रैल को लाहौर स्थित जाटी उमरा में आपात बैठक के लिए बुलाया है. इस बैठक में भारत-पाक रिश्तों की मौजूदा स्थिति, कूटनीतिक दबाव और आंतरिक राजनीतिक रणनीति पर मंथन होगा.
बताया जा रहा है कि नवाज शुक्रवार से लेकर रविवार तक कई वरिष्ठ नेताओं के साथ हाई-लेवल बैठकें करेंगे, जिनमें आने वाले दिनों की सियासी दिशा तय की जाएगी.
भारत के बढ़ते दबाव के बीच सियासी समीकरणों में हलचल
पार्टी के करीबी सूत्रों का मानना है कि इन बैठकों का मुख्य फोकस भारत के तीखे रुख से उत्पन्न हुए आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय दबावों का सामना करना है. एक ओर भारत पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करने की ओर बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर नवाज की वापसी इमरान खान की PTI और शहबाज सरकार के बीच राजनीतिक शक्ति संतुलन को फिर से बदल सकती है.
लंदन में इलाज, पाकिस्तान में अब ‘राजनीतिक ऑपरेशन’?
नवाज शरीफ 2019 से लंदन में ‘इलाज’ के नाम पर रह रहे थे और 2023 में कुछ समय के लिए पाकिस्तान लौटे थे. लेकिन, अब उनकी टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे वक्त में जब भारत कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बना रहा है, नवाज की वापसी सिर्फ इत्तेफाक नहीं मानी जा रही.
नजरें अब नवाज पर
क्या नवाज शरीफ पाकिस्तान की डूबती राजनीतिक नैया के नए खेवनहार बनेंगे? या फिर यह वापसी सिर्फ मौजूदा हालात को भुनाने की रणनीति है? जो भी हो, एक बात तो तय है—भारत के कड़े फैसलों ने सिर्फ सीमा पर नहीं, पाकिस्तान की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है.
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