जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले ने न केवल भारत को हिला दिया, बल्कि इससे उपजा तनाव अब अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बनता जा रहा है. भारत और पाकिस्तान के बीच तल्ख़ रिश्तों में अचानक आए उबाल ने माहौल को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है. इस बीच रूस ने जो कदम उठाया है, उसने स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा दिया है.
रूस की यात्रा चेतावनी: सिर्फ सावधानी या खुफिया संकेत?
रूसी विदेश मंत्रालय ने 25 अप्रैल को अपने नागरिकों को पाकिस्तान की यात्रा से दूर रहने की सख्त हिदायत दी है. यह चेतावनी सामान्य नहीं मानी जा रही, क्योंकि रूस आमतौर पर इस तरह के बयान बहुत कम देता है. विश्लेषकों का मानना है कि यह संकेत हो सकता है कि रूस की खुफिया एजेंसियों को क्षेत्र में किसी बड़े टकराव की आशंका है.
रूस के इस बयान में भारत-पाकिस्तान के बीच ‘बढ़ते तनाव’ और ‘युद्ध जैसी भाषा’ का ज़िक्र किया गया है. पाकिस्तान स्थित रूसी दूतावास ने स्पष्ट रूप से कहा कि नागरिकों को स्थिति के सामान्य होने तक पाकिस्तान जाने से बचना चाहिए.
दूसरे देशों की एडवाFजरी, लेकिन तुलना में अलग रवैया
रूस से पहले अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने भी भारत-पाक तनाव को लेकर यात्रा सलाह जारी की थी, लेकिन दोनों देशों ने केवल सीमावर्ती क्षेत्रों और जम्मू-कश्मीर को लेकर चेतावनी दी थी. उन्होंने पाकिस्तान को लेकर रूस जैसी कोई व्यापक चेतावनी नहीं दी, जो इस बात को और भी अहम बनाता है.
कूटनीतिक टकराव तेज, भारत ने लिए सख्त फैसले
हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाया है. सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया है, अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया गया है, पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित किया गया है और सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दे दिया गया है. इन कदमों से यह साफ है कि भारत अब हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार है.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और संभावित दिशा
पाकिस्तान ने भी प्रतिक्रिया में भारत के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है और व्यापारिक रिश्ते निलंबित कर दिए हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी कि मौजूदा हालात ‘पूर्ण युद्ध’ की ओर बढ़ सकते हैं, हालांकि उन्होंने संवाद के ज़रिए समाधान की उम्मीद भी जताई.
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