पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में एक बार फिर भारत से 'सार्थक बातचीत' की अपील की है. उनका कहना है कि पाकिस्तान अपनी सरकार के तहत लंबित विवादों को सुलझाने के लिए भारत के साथ संवाद के लिए तैयार है. शहबाज शरीफ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में हुए पहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों को परखने का मौका दिया है.
पाकिस्तान की ओर से यह अपील कोई नई नहीं है. पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान ने भारत से बातचीत की इच्छा कई बार जाहिर की है, लेकिन भारत का रुख इसमें बिल्कुल अलग रहा है. भारत ने बार-बार कहा है कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवादियों को नहीं खत्म करता, तब तक कोई सार्थक बातचीत संभव नहीं है. भारत का यह रुख, पाकिस्तान की पुरानी हरकतों और विश्वासघात के कारण है.
पाकिस्तान का पुराना इतिहास और भारत की सतर्कता
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों ने पहलगाम हमले के बाद भारत से बातचीत की इच्छा जताई है, लेकिन भारत इसका स्वागत करने की बजाय बेहद सतर्क नजर आ रहा है. इसका कारण पाकिस्तान के साथ पिछले कई दशकों से चली आ रही बातचीतों का इतिहास है. भारत ने हमेशा महसूस किया है कि जब भी पाकिस्तान से शांति की बातें हुईं, उसके बाद कोई न कोई आतंकी हमला हुआ.
1999 के कारगिल युद्ध से कुछ महीने पहले पाकिस्तान ने भारत के साथ शांति की बात की थी, लेकिन वही सरकार उसी साल भारत के साथ धोखा करने के बाद कारगिल युद्ध की स्थिति में बदल गई. इसके बाद 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन हुआ, जिसमें फिर से दोनों देशों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन उसी साल संसद पर आतंकी हमला हो गया.
इन घटनाओं से भारत ने यह निष्कर्ष निकाला कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करना मुश्किल है, क्योंकि हर बार बातचीत के बाद उसकी धरती से आतंकवादियों का नेटवर्क सक्रिय हो जाता है. यही कारण है कि भारत के पास पाकिस्तान की अपीलों पर भरोसा करने का कोई ठोस आधार नहीं है.
भारत की स्पष्ट नीति: आतंकवाद के बिना बातचीत नहीं
भारत सरकार ने हमेशा स्पष्ट रूप से यह कहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. पाकिस्तान जब तक अपनी धरती से आतंकवादी संगठनों को खत्म नहीं करेगा, तब तक भारत किसी प्रकार की बातचीत के लिए तैयार नहीं होगा. भारतीय नेतृत्व का यह मानना है कि पाकिस्तान के साथ विश्वास और शांति की प्रक्रिया तभी शुरू हो सकती है, जब पाकिस्तान अपने आतंकवाद के नेटवर्क को नष्ट करने का ठान लेगा.
पाकिस्तान की ओर से शांति की अपीलों के बावजूद, भारत की सतर्कता और कड़ी नीति ने इसे स्वीकार करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है. भारत ने यह भी कहा है कि जब तक पाकिस्तान अपने अतीत से सीखते हुए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक कोई ठोस बातचीत संभव नहीं हो सकती.
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