दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र का नेता अब एक धार्मिक राष्ट्र के क्रॉसहेयर में है और यह कोई थ्योरी या खुफिया अटकल नहीं, बल्कि सार्वजनिक मंच से दी गई धमकी है.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के सबसे करीबी और प्रभावशाली सलाहकार, मोहम्मद जावेद लारीजानी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर जो कहा है, वह किसी कूटनीतिक बयानबाज़ी से कहीं आगे की चीज़ है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा - "ट्रंप के खिलाफ पहले ही फतवा जारी हो चुका है और उन्हें मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. करोड़ों मुसलमान उनके सिर पर वार कर सकते हैं."
ट्रंप अब ‘सिर्फ राष्ट्रपति’ नहीं, एक लक्ष्य हैं
ये बयान सिर्फ एक भड़काऊ भाषण नहीं, बल्कि ईरान की उस गहरी नाराज़गी का विस्तार है जो जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद से अमेरिका और खासतौर पर ट्रंप के प्रति जमा हो चुकी है. हालांकि फतवा पहले जारी हो चुका था, लेकिन अब इसे फिर से खुलेआम दोहराया जाना एक साफ संकेत है - ईरान ने अब कूटनीति की चादर उतार दी है और यह सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है.
40 मिलियन डॉलर: हत्या का बजट
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स की मानें तो ट्रंप की हत्या के लिए बाकायदा 345 करोड़ रुपये (40 मिलियन डॉलर) की फंडिंग तैयार की गई है. यह कोई काल्पनिक हॉलीवुड स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि वास्तविकता है, जिसे CIA और अन्य एजेंसियां बहुत गंभीरता से ले रही हैं.
इस रकम को कहां और कैसे इस्तेमाल किया जाना है, इसकी जानकारी फिलहाल सार्वजनिक नहीं है. लेकिन जो बात ज़्यादा अहम है वो ये - ईरान इस मिशन को किसी आतंकी नेटवर्क या परदे के पीछे के हथियारबंद गुट से नहीं, खुद अपने धार्मिक मंच से वैधता दे रहा है.
इजराइल पर भी फोकस बना हुआ है
ईरान की पूरी आक्रामकता सिर्फ ट्रंप तक सीमित नहीं. हाल ही में ईरान और इजराइल के बीच हुआ 12 दिन का खूनी संघर्ष तो थम गया, लेकिन जंग के मलबे में नफरत अब भी धधक रही है. खामेनेई ने हाल ही में हमास के टॉप कमांडर्स से गुप्त बैठक की, जिसमें उन्होंने कहा कि “इजराइल को हराना नामुमकिन नहीं है.” उनकी इस बात में यकीन करने की वजह भी है - क्योंकि हालिया युद्ध में हमास के रॉकेट और ड्रोन हमलों ने इजराइल को युद्धविराम पर मजबूर किया था.
क्या आने वाले हफ्ते और भी ख़तरनाक हैं?
जिस तरह से ईरान अमेरिका और इजराइल दोनों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है - राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य स्तर पर - वह इस पूरे क्षेत्र को और भी अस्थिर बना सकता है. और अब जब ट्रंप व्हाइट हाउस में वापसी कर चुके हैं, तो ईरान के लिए यह निजी बदले जैसी स्थिति बन चुकी है. इस बीच, अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियां ट्रंप की सुरक्षा को लेकर अलर्ट मोड पर हैं. वॉशिंगटन से लेकर न्यूयॉर्क तक ट्रंप की हर मूवमेंट को मॉनिटर किया जा रहा है.
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