भारत तैयार कर रहा है 'ड्रोन आर्मी', 2,000 करोड़ का होगा निवेश, तुर्की-चीन-पाकिस्तान की उड़ेगी नींद!

    भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और भविष्य की युद्ध रणनीतियों के मद्देनज़र एक नई ‘ड्रोन आर्मी’ तैयार करने की योजना को मंज़ूरी दी है.

    India is preparing a drone army 2000 crore will be invested
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    नई दिल्ली: भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और भविष्य की युद्ध रणनीतियों के मद्देनज़र एक नई ‘ड्रोन आर्मी’ तैयार करने की योजना को मंज़ूरी दी है. यह पहल देश की सीमा सुरक्षा को आधुनिक तकनीक से सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. प्रस्तावित योजना के तहत, सरकार ड्रोन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए करीब 2,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराएगी.

    क्या है ‘ड्रोन आर्मी’ का उद्देश्य?

    इस पहल का उद्देश्य भारत की सैन्य क्षमताओं को अपग्रेड करना और सीमा पार से होने वाले खतरों का प्रभावी ढंग से जवाब देने की तैयारी करना है. ड्रोन सेना के निर्माण से देश की ज़मीन और वायु सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, साथ ही युद्ध के समय सैनिकों की जान की जोखिम भी कम होगी.

    योजना के तहत, भारत में ड्रोन बनाने वाली कंपनियों को सरकार प्रोत्साहित करेगी ताकि वे सिविल और मिलिट्री उपयोग के लिए अत्याधुनिक ड्रोन और उससे जुड़ी तकनीकों का निर्माण करें. इस कार्यक्रम में ड्रोन सिस्टम, उनके पार्ट्स, सॉफ्टवेयर, काउंटर ड्रोन टेक्नोलॉजी और सर्विस सेक्टर को शामिल किया गया है.

    ड्रोन टेक्नोलॉजी का बढ़ता वैश्विक प्रभाव

    Statista की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक वैश्विक ड्रोन बाजार का मूल्य 22 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच सकता है. अमेरिका, चीन, तुर्की, इज़राइल और अब भारत इस क्षेत्र में तीव्र गति से निवेश और विकास कर रहे हैं. भारत में अनुमान है कि अगले दशक में ड्रोन बाजार का आकार 3.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है, जिसमें घरेलू उत्पादन की भूमिका अहम होगी.

    हालिया संघर्षों से मिली सीख

    भारत की यह रणनीति हाल ही में पाकिस्तान के साथ हुई सीमावर्ती झड़पों के बाद तेज़ी से आकार ले रही है, जिसमें पहली बार दोनों देशों ने बड़े पैमाने पर यूएवी (Unmanned Aerial Vehicles) का उपयोग किया. इन झड़पों ने स्पष्ट कर दिया कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका निर्णायक होती जा रही है.

    रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के अनुसार, यह ज़रूरी हो गया है कि भारत अपनी ड्रोन उत्पादन क्षमता को बढ़ाए ताकि भविष्य में आयात पर निर्भरता कम हो और देश के भीतर ही अत्याधुनिक सैन्य ड्रोन विकसित किए जा सकें.

    पाकिस्तान, तुर्की और चीन की भूमिका

    पाकिस्तान को ड्रोन तकनीक में चीन और तुर्की का समर्थन प्राप्त है. तुर्की, खासकर अपने Bayraktar TB2 ड्रोन के कारण सैन्य ड्रोन तकनीक में वैश्विक नेता बन चुका है, जिसे यूक्रेन, अज़रबैजान और कतर जैसे देशों ने भी अपनाया है. चीन की स्थिति और भी बड़ी है – उसने हाल ही में 10 लाख ‘कामिकाज़े ड्रोन’ का निर्माण ऑर्डर दिया है, जो 2026 तक पूरे किए जाने की उम्मीद है.

    भारत पारंपरिक रूप से इज़रायल से ड्रोन खरीदता रहा है, लेकिन अब घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की नीति अपनाई जा रही है. इससे विदेशी आपूर्ति पर निर्भरता घटेगी और स्थानीय स्टार्टअप्स को भी सशक्त किया जा सकेगा.

    आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम

    ड्रोन निर्माण को लेकर भारत सरकार का यह कदम 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को मजबूत करता है. 2021 में लॉन्च की गई प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम से भी देश में ड्रोन स्टार्टअप्स को बल मिला है. सरकार का लक्ष्य है कि 2028 तक ड्रोन के कम से कम 40% मुख्य पार्ट्स देश में ही बने.

    ये भी पढ़ें- 10 लाख भारतीय कामगारों को नौकरी देंगे पुतिन, रूस-भारत संबंधों को मिलेगा नया मोड़; जानिए कब कर सकते हैं आवेदन