नई दिल्ली: भारत ने रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाते हुए दुनिया का पहला ऐसा डुअल स्टेल्थ ड्रोन विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो रडार और इंफ्रारेड सिस्टम—दोनों से बचने में सक्षम होगा. इस अत्याधुनिक ड्रोन को “RAMA” नाम दिया गया है, जो एक अनूठी स्वदेशी स्टेल्थ कोटिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है: Radar Absorption and Multispectral Adaptive टेक्नोलॉजी.
यह तकनीक न केवल ड्रोन को दुश्मन की निगरानी प्रणालियों से अदृश्य बनाती है, बल्कि इसे तेज़ प्रतिक्रिया वाले मिशन में सेकंड्स में हमला करने के लिए भी सक्षम बनाती है.
क्या है RAMA की खासियत?
RAMA कोटिंग एक विशेष नैनो-इंजीनियर्ड मैटेरियल से बनी है, जो रडार तरंगों और इंफ्रारेड सिग्नल को लगभग 97% तक अवशोषित कर सकती है. इससे ड्रोन का थर्मल और रडार सिग्नेचर बेहद कम हो जाता है.
इस कोटिंग की सबसे खास बात यह है कि इसे विभिन्न प्लेटफॉर्म्स—जैसे ड्रोन्स, नेवल वेसल्स और लड़ाकू विमानों—पर भी लागू किया जा सकता है.
तकनीकी साझेदारी और विकास
RAMA ड्रोन का विकास हैदराबाद की दो डिफेंस टेक कंपनियों, Veera Dynamics और Binford Research Labs, द्वारा किया जा रहा है.
यह ड्रोन बिना GPS या रेडियो फ्रीक्वेंसी के भी मिशन को अंजाम देने में सक्षम है, जिससे यह अत्यधिक इलेक्ट्रॉनिक विघ्न वाले (GPS-jammed) युद्धक्षेत्रों में भी प्रभावी रहता है.
डिज़ाइन और कार्यक्षमता
ऑपरेशनल फीचर्स:
इस ड्रोन की सबसे बड़ी विशेषता इसका "लो-ऑब्ज़र्वेबिलिटी प्रोफाइल" है, जो इसे दुश्मन के डिटेक्शन सिस्टम से लगभग अदृश्य बना देता है.
सेना को रणनीतिक लाभ
आज के युद्ध परिदृश्य में ड्रोन युद्ध का निर्णायक हथियार बनते जा रहे हैं. आमतौर पर, जब एक साथ 100 ड्रोन हमले के लिए भेजे जाते हैं, तो केवल 25-30 ही लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं. RAMA तकनीक से युक्त ड्रोन की सहायता से यह आंकड़ा 80-85 तक बढ़ सकता है—यानि मिशन एफिशिएंसी में तीन गुना सुधार.
इस क्षमता से भारतीय सेना, विशेष रूप से नौसेना, को अत्यधिक संवेदनशील समुद्री इलाकों में गुप्त ऑपरेशनों के लिए एक शक्तिशाली और भरोसेमंद संसाधन मिलेगा.
ड्रोन कब होगा ऑपरेशनल?
RAMA ड्रोन के प्रारंभिक संस्करणों को 2025 के अंत तक भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की योजना है. यह परियोजना 2022 में नौसेना द्वारा उठाए गए एक रणनीतिक आवश्यकताविधान से शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य इंफ्रारेड-स्टेल्थ क्षमताओं से युक्त ड्रोन्स विकसित करना था.
पिछले अनुभव और भविष्य की संभावनाएं
हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" (मई 2025) के दौरान भारतीय सेना ने 600 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ड्रोन आधारित हमले और उनसे रक्षा, आने वाले समय में युद्ध की दिशा तय करेंगे.
Veera Dynamics और Binford Labs जैसे घरेलू स्टार्टअप्स का इस क्षेत्र में सक्रिय योगदान, भारत को न केवल आत्मनिर्भर बना रहा है बल्कि उसे उभरती हुई रक्षा तकनीकों में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की ओर भी अग्रसर कर रहा है.
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