नई दिल्ली: जब-जब भारत की सीमाओं पर खतरे के बादल मंडराते हैं, तब-तब यह प्रश्न देश की सामरिक क्षमता और आत्मनिर्भरता पर उठता है: क्या भारत किसी दीर्घकालिक युद्ध के लिए तैयार है? इस बार इसका उत्तर दृढ़ है—हाँ. देश के पास न केवल पर्याप्त मात्रा में गोला-बारूद है, बल्कि वह तेजी से विदेशी निर्भरता से मुक्त होता जा रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक में यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब हथियारों और युद्ध सामग्री के लिए दुनिया का मोहताज नहीं रहा.
राजनाथ सिंह के मुताबिक, भारत की सरकारी रक्षा कंपनियों (PSUs) ने गोला-बारूद उत्पादन की गति को न केवल दोगुना किया है, बल्कि आने वाले समय में इसे और बढ़ाया जा सकता है. इसके साथ ही प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी भी उल्लेखनीय है, जिससे यह साफ़ है कि भारत अब रक्षा उत्पादों का आयातक नहीं, बल्कि निर्यातक बनने की राह पर है.
महंगे गोले से आत्मनिर्भरता तक की यात्रा
1999 के करगिल युद्ध में भारत को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था—गोला-बारूद की कमी. तत्कालीन सरकार को मजबूरी में मित्र देशों से अत्यधिक कीमतों पर हथियार खरीदने पड़े थे. यह एक कड़वा सबक था, जिसने भारत की रक्षा रणनीति की दिशा ही बदल दी. आज, 25 साल बाद, भारत ने उस निर्भरता की बेड़ियों को तोड़कर एक मजबूत, स्वदेशी रक्षा उद्योग खड़ा कर लिया है.
5 सरकारी कंपनियां बनीं रीढ़ की हड्डी
जैसे प्राचीन काल में महर्षि दधीचि ने अपने अस्थियों से देवराज इंद्र के लिए वज्र तैयार करने दिया था, ठीक वैसे ही भारत की पांच प्रमुख सरकारी कंपनियां आज राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपने संसाधन, श्रम और तकनीक को न्योछावर कर रही हैं. ये कंपनियां न केवल भारत के रक्षा ढांचे की रीढ़ हैं, बल्कि सामरिक स्वतंत्रता की मजबूत नींव भी रख रही हैं.
ये पांच कंपनियां हैं:
1. HAL: आसमान का प्रहरी
HAL, भारत की सबसे बड़ी एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी, अब केवल विमानों के निर्माण तक सीमित नहीं है. कंपनी ने FY24 तक 94,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर पूरे कर लिए हैं, और अब यह आंकड़ा जल्द ही 1.2 लाख करोड़ को पार करने वाला है.
प्रमुख प्रोजेक्ट्स:
HAL अब भारत को न केवल आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि मित्र देशों को विमानों का निर्यात भी कर रहा है, जैसे कि वियतनाम और इंडोनेशिया.
2. MDL: भारत की समुद्री ढाल
समुद्र की सीमाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार MDL अब तक का सबसे व्यस्त शिपबिल्डिंग यार्ड बन चुका है. कंपनी के पास 40,400 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं, जिनमें P17A स्टील्थ फ्रिगेट्स और P15B डिस्ट्रॉयर्स शामिल हैं.
प्रमुख बिंदु:
3. GRSE: पूर्वी समुद्र सीमा का संरक्षक
GRSE के पास 25,230 करोड़ रुपये की ऑर्डर बुक है और यह नई पीढ़ी के ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स (NGOPVs) का निर्माण कर रही है. जून 2024 में ही 3,610 करोड़ रुपये के ऑर्डर GRSE को प्राप्त हुए.
महत्वपूर्ण पहलू:
4. BEL: रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स की रीढ़
BEL, एयर डिफेंस रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम में भारत की अग्रणी कंपनी है. सरकार ने हाल ही में एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार खरीदने की मंजूरी दी है, जो BEL के विशेषज्ञता क्षेत्र में आता है.
मुख्य योगदान:
5. BDL: भारत की मिसाइल शक्ति
भारत की मिसाइल निर्माण की सबसे प्रमुख कंपनी BDL ने आत्मनिर्भरता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. यह कंपनी विभिन्न प्रकार की मिसाइलें बनाती है—AKASH, NAG, HELINA, VL-SRSAM, आदि.
आगामी अवसर:
ये भी पढ़ें- पाकिस्तान नेशनल असेंबली में भी मोदी और भारतीय सेना की गुंज, सासंद ने कहा- पीएम शहबाज शरीफ गीदड़ हैं