बिल में छिपे दुश्मन को मारने में माहिर 'अपाचे' हेलिकॉप्टर, ऐसे ही नहीं चीन-पाकिस्तान की पतली हुई हालत

    गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर हाल ही में भारतीय थल सेना को अत्याधुनिक अपाचे AH-64E गार्डियन अटैक हेलीकॉप्टरों की पहली खेप सौंपी गई. यह हेलीकॉप्टर न केवल आधुनिक तकनीक से लैस हैं, बल्कि दुश्मन की किसी भी चाल को नाकाम करने में पूरी तरह सक्षम हैं.

    India got consignment of apache helicopters know its power
    Image Source: Social Media

    गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर हाल ही में भारतीय थल सेना को अत्याधुनिक अपाचे AH-64E गार्डियन अटैक हेलीकॉप्टरों की पहली खेप सौंपी गई. यह हेलीकॉप्टर न केवल आधुनिक तकनीक से लैस हैं, बल्कि दुश्मन की किसी भी चाल को नाकाम करने में पूरी तरह सक्षम हैं. वर्ष 2020 में अमेरिका से करीब 600 मिलियन डॉलर में हुए समझौते के तहत भारत को ये छह घातक हेलीकॉप्टर मिलने हैं, जिनमें से तीन अब आधिकारिक रूप से भारतीय सेना के बेड़े में शामिल हो चुके हैं. इन्हें राजस्थान के जोधपुर स्थित नगटालाओ में पश्चिमी सीमाओं की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा.

    दुश्मन के लिए मौत का साया

    अपाचे AH-64E को अक्सर "फ्लाइंग टैंक" कहा जाता है, और यह नाम इसके अत्यधिक मारक क्षमता और उन्नत तकनीकी फीचर्स के कारण है. इसकी 30 मिमी M230 चेन गन प्रति मिनट 625 राउंड फायर कर सकती है, जो बंकरों, बख्तरबंद गाड़ियों और अन्य दुश्मन ठिकानों को मिनटों में ध्वस्त करने की ताकत रखती है. इसके अलावा, इसमें लेजर-गाइडेड AGM-114 हेलफायर मिसाइलें भी लगी हैं, जो 8 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के टैंकों को निशाना बना सकती हैं. हाइड्रा 70 रॉकेट और AIM-92 स्टिंगर मिसाइलें इसे मल्टी-रोल युद्धक मंच बनाती हैं.

    उड़ान में ताकत और टिकाऊपन

    इस हेलीकॉप्टर में दो जनरल इलेक्ट्रिक T700-GE-701D टर्बोशाफ्ट इंजन लगे हैं, जो मिलकर 1,994 हॉर्सपावर की ऊर्जा पैदा करते हैं. यह अपाचे को 365 किमी प्रति घंटे की रफ्तार और 480 किमी की परिचालन सीमा देता है. इसकी उड़ान की चपलता और इन-फ्लाइट रीफ्यूलिंग क्षमता इसे भारत-पाक सीमा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में लगातार संचालन के लिए आदर्श बनाती है.

    हाई-टेक निगरानी और निशानेबाज़ी

    अपाचे में लगे AN/APG-78 लॉन्गबो फायर कंट्रोल रडार की मदद से यह हेलीकॉप्टर एक साथ 128 लक्ष्यों पर नजर रख सकता है और इनमें से 16 को एक साथ निशाना बना सकता है. "फायर एंड फॉरगेट" तकनीक इसकी खासियत है, जिससे दुश्मन पर वार करने के बाद हेलीकॉप्टर को छुपने की पूरी आज़ादी मिलती है.इसके अतिरिक्त, MTADS (मॉडर्नाइज्ड टारगेट एक्विजीशन एंड डेज़िग्नेशन साइट) और थर्मल इमेजिंग सेंसर इसकी मारक क्षमता को रात में, धुंध में या मुश्किल मौसम में भी बनाए रखते हैं. MUM-T तकनीक के जरिए अपाचे मानव रहित ड्रोन जैसे MQ-1C ग्रे ईगल से जुड़कर वास्तविक समय की खुफिया जानकारी हासिल कर सकता है.

    पायलटों की सुरक्षा और बचाव तंत्र

    अपाचे को पायलटों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बख्तरबंद कॉकपिट और क्रैश-रेज़िस्टेंट ढांचे से तैयार किया गया है. यह 12.7 मिमी की गोलियों को झेलने में सक्षम है. साथ ही, AN/ALQ-144 इंफ्रारेड जैमर और चाफ-फ्लेयर डिस्पेंसर सिस्टम से लैस यह हेलीकॉप्टर दुश्मन की मिसाइलों को भ्रमित कर देता है.

    थल सेना के लिए रणनीतिक बढ़त

    भारतीय वायुसेना के पास पहले से 22 अपाचे हेलीकॉप्टर हैं, लेकिन थल सेना के लिए यह पहला मौका है जब उसे सीधे तौर पर यह घातक हथियार मिल रहा है. इससे सेना को ज़मीनी अभियानों में हवाई समर्थन देने की स्वतंत्रता और दक्षता दोनों में बढ़ोतरी होगी. विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर या अन्य सीमा आधारित मिशनों में यह हेलीकॉप्टर निर्णायक भूमिका निभा सकता है. यह डिलीवरी न केवल भारत की सैन्य क्षमता को एक नया आयाम देती है, बल्कि भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को भी एक मजबूत नींव प्रदान करती है.

    यह भी पढ़ें: ईरान में उबला गुस्सा ट्रंप के खून का प्यासा, क्राउडफंडिंग से मौत का सौदा; ईरान के मौलवियों ने किया इनाम का ऐलान