भारतीय नौसेना की ताक़त में एक नया चमकदार सितारा जुड़ गया है. ‘तमाल’ नाम का यह अत्याधुनिक युद्धपोत आज आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल हो गया है. इसे खास बनाया है इसकी जबरदस्त मारक क्षमता, स्टील्थ डिजाइन और हाईटेक तकनीक, जो इसे समुद्र में एक खतरनाक योद्धा बनाती है.
‘तमाल’: सिर्फ एक जहाज़ नहीं, एक प्रेरणा
इस युद्धपोत का नाम ‘तमाल’ रखा गया है, जो भारतीय पौराणिक कथाओं में देवताओं के राजा इंद्र की तलवार का नाम है. यह नाम न केवल इसकी शक्ति का प्रतीक है, बल्कि इसका उद्देश्य भी स्पष्ट करता है — दुश्मनों के लिए विनाश और भारत के लिए सुरक्षा.
रूस में बना, भारत के लिए तैयार
'तमाल' का निर्माण रूस के कालिनिनग्राद स्थित यंतर शिपयार्ड में हुआ है और वहीं इसे भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया. यह भारत को विदेश से मिला अंतिम युद्धपोत है. इसके बाद बनने वाले सभी युद्धपोत भारत में ही तैयार किए जाएंगे, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह युद्धपोत क्रिवाक श्रेणी का आठवां और 'तुशील' क्लास का दूसरा पोत है. इसकी डिजाइन और तकनीक में भारत और रूस दोनों के नौसैनिक अनुभव का मेल है.
ज़बरदस्त हथियार और उन्नत तकनीक
'तमाल' को ऐसे हथियारों और तकनीकी प्रणालियों से लैस किया गया है जो इसे बहु-भूमिकाओं में काम करने में सक्षम बनाते हैं. इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल लगी है, जो समुद्र और जमीन दोनों पर लंबी दूरी तक सटीक वार कर सकती है.
इसके अलावा इसमें सतह से हवा में मार करने वाली वर्टिकल लॉन्च मिसाइलें, 100 मिमी की अत्याधुनिक गन, हेवीवेट टॉरपीडो, और एंटी-सबमरीन रॉकेट भी शामिल हैं. साथ ही इसमें आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर की क्षमताएं हैं, जिससे यह अन्य नौसैनिक प्लेटफॉर्म्स के साथ तालमेल में काम कर सकता है. इसकी गति 30 नॉट्स से अधिक है और यह लंबी समुद्री दूरी तय करने में भी सक्षम है.
भारतीय तकनीक का भी अहम योगदान
तमाल को पूरी तरह विदेशी नहीं कहा जा सकता. इस फ्रिगेट में 26 स्वदेशी उपकरण लगाए गए हैं. इनमें ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम जैसी प्रमुख भारतीय तकनीक भी शामिल है. यह दर्शाता है कि भारत अब केवल हथियार खरीदने वाला नहीं, बल्कि तकनीक में साझेदार भी बन चुका है.
तैयार हैं भारतीय नौसैनिक
इस युद्धपोत पर तैनात होने वाले 250 से अधिक नौसैनिकों ने रूस के बेहद ठंडे इलाकों — सेंट पीटर्सबर्ग और कालिनिनग्राद — में कड़ी ट्रेनिंग ली है. उन्होंने पिछले कुछ महीनों में कई कठिन समुद्री परीक्षण भी पूरे किए हैं, जिससे यह तय हो गया है कि ‘तमाल’ हर चुनौती का सामना करने को तैयार है.
भविष्य की तैयारी, आत्मनिर्भरता की ओर
इस परियोजना के तहत भारत में भी दो युद्धपोत बनाए जा रहे हैं, जिनका निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में रूसी सहयोग से हो रहा है. जैसे ही यह पूरी श्रंखला पूरी होगी, भारतीय नौसेना के पास 10 ऐसे युद्धपोत होंगे जिनकी क्षमताएं समान होंगी. इससे भारत की समुद्री सीमा और अधिक सुरक्षित और मज़बूत हो जाएगी.
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