चीन के खिलाफ भारत का सबसे बड़ा मिशन, अफ्रीका में सेना ने मचाया 'गदर'; जानिए पूरा मामला

अफ्रीकी देश भारत के लिए इसलिए अहम हैं क्योंकि हिंद महासागर की सुरक्षा इन्हीं पर निर्भर करती है. चीन का पहला विदेशी सैन्य अड्डा जिबूती में पहले से ही काम कर रहा है.

India biggest mission against China in Africa
प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

नई दिल्लीः अफ्रीका में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए भारत ने अब तक का सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धाभ्यास शुरू किया है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह भारत और अफ्रीकी देशों के बीच सबसे बड़ा साझा नौसैनिक अभ्यास है. इसका मकसद अफ्रीकी देशों से रिश्ते मजबूत करना और हिंद महासागर में भारत की मौजूदगी को और मजबूत बनाना है. यह वही इलाका है, जहां चीन अपने व्यापार को बचाने के नाम पर सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है.

छह दिन तक चलेगा अभ्यास

इस अभ्यास की शुरुआत तंजानिया में हुई है, जो इसका सह-मेजबान देश भी है. भारत के उप रक्षा मंत्री संजय सेठ समेत कई बड़े सरकारी और सैन्य अधिकारी इसमें शामिल हुए. यह अभ्यास छह दिन तक चलेगा, जिसमें तंजानिया के अलावा केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका जैसे आठ देश हिस्सा ले रहे हैं.

विशेषज्ञ मानते हैं कि अफ्रीकी देश भारत के लिए इसलिए अहम हैं क्योंकि हिंद महासागर की सुरक्षा इन्हीं पर निर्भर करती है. चीन का पहला विदेशी सैन्य अड्डा जिबूती में पहले से ही काम कर रहा है. इसके अलावा चीन बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के जरिए भी अफ्रीका में अपने पैर पसार रहा है. भारत इस अभ्यास के जरिए यह दिखाना चाहता है कि अफ्रीका में सिर्फ चीन ही ताकतवर देश नहीं है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह युद्धाभ्यास भारत की उस सोच को दिखाता है, जिसमें वह समुद्र में ज्यादा अहम भूमिका निभाना चाहता है. इस अभ्यास का मकसद सिर्फ सैन्य ताकत दिखाना नहीं है, बल्कि समुद्री लुटेरों से निपटना और अफ्रीकी देशों से गहरे रिश्ते बनाना भी है. चीन के अलावा रूस, तुर्की और यूएई जैसे देश भी अफ्रीका में अपने असर को बढ़ा रहे हैं.

दो हिस्सों में होगा अभ्यास

भारतीय अधिकारियों ने बताया है कि यह अभ्यास दो हिस्सों में होगा—एक हिस्सा बंदरगाह पर होगा और दूसरा समुद्र में. यह युद्धाभ्यास हर दो साल में एक बार किया जाएगा.

कुछ दिन पहले भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस सुनयना नाम के एक गश्ती जहाज को हरी झंडी दिखाकर इस अभ्यास के लिए रवाना किया था. इस जहाज के साथ आईएनएस चेन्नई और कुछ और भारतीय नौसैनिक जहाज भी तैनात किए गए हैं. इसमें शामिल नौसैनिक दल भारत और दूसरे देशों के सैनिकों का संयुक्त दल है.

भारतीय नौसेना के पूर्व खुफिया प्रमुख और गोवा के नौसैनिक कॉलेज के प्रोफेसर सुदर्शन श्रीखंडे का कहना है कि यह अभ्यास भारत और अफ्रीका के बीच बढ़ते रिश्तों का सबूत है और चीन जैसे बड़े खिलाड़ी को चुनौती देने की कोशिश है.

कहा जा रहा है कि यह अभ्यास भारत की मल्टी-एलायंस रणनीति का भी हिस्सा है. जैसे भारत अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर Quad के तहत इंडो-पैसिफिक इलाके में चीन के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है, वैसे ही अब अफ्रीका में भी ऐसा ही प्रयास हो सकता है.

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