पाकिस्तान के खिलाफ एक साथ आए भारत-अमेरिका, UN में आतंकी संगठनों पर की प्रतिबंध लगाने की मांग

    ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई को तेज करने की मांग जोर पकड़ने लगी है.

    India and America come together against Pakistans terrorism
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    वॉशिंगटन: ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग और तेज हो गई है. इस घटना की पृष्ठभूमि में भारत और अमेरिका ने संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र में सक्रिय भूमिका निभाते हुए उन आतंकी संगठनों और नेटवर्क के खिलाफ कड़े कदम उठाने की अपील की है, जिनका संचालन या समर्थन पाकिस्तान से जुड़ा माना जाता है. दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1267 प्रतिबंध तंत्र के तहत अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत पर जोर दिया है.

    भारत और अमेरिका की ओर से जिन संगठनों को निशाने पर लिया गया है, उनमें इस्लामिक स्टेट (आईएस) और अल-कायदा से जुड़े गुटों के साथ-साथ लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन शामिल हैं. दोनों देशों का कहना है कि ये संगठन और इनके सहायक नेटवर्क लंबे समय से दक्षिण एशिया में हिंसा और अस्थिरता फैलाने में सक्रिय रहे हैं. हालांकि पाकिस्तान इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का दावा करता रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार इनके कई नेटवर्क अब भी सक्रिय हैं और अलग-अलग नामों व माध्यमों से काम कर रहे हैं.

    प्रतिबंधों के प्रस्ताव में क्या शामिल

    संयुक्त रूप से सुझाए गए प्रतिबंधों के तहत आतंकवादी संगठनों और उनसे जुड़े व्यक्तियों की वैश्विक संपत्तियों को फ्रीज करने, उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर रोक लगाने और हथियारों व सैन्य उपकरणों की आपूर्ति पर सख्त नियंत्रण लगाने की बात कही गई है. इसका उद्देश्य इन संगठनों की आर्थिक और लॉजिस्टिक क्षमता को कमजोर करना है, ताकि वे नए हमलों की योजना बनाने या उन्हें अंजाम देने में सक्षम न रह सकें. इसे भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ बढ़ते रणनीतिक सहयोग के रूप में भी देखा जा रहा है.

    संयुक्त बयान में पाकिस्तान का  उल्लेख क्यों नहीं

    दिलचस्प बात यह रही कि इस पूरी पहल के बावजूद संयुक्त बयान में पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया. कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि इसके पीछे अमेरिका की क्षेत्रीय संतुलन नीति काम कर रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, वाशिंगटन एक ओर भारत के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूत कर रहा है, तो दूसरी ओर दक्षिण एशिया में अपने व्यापक रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए शब्दों का चयन सावधानी से कर रहा है.

    हालिया हमलों की निंदा और सहयोग पर जोर

    भारत और अमेरिका के प्रतिनिधियों ने हाल के आतंकी हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं हो सकता. दोनों देशों ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद को समर्थन देने वालों और उसे अंजाम देने वालों को जवाबदेह ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी है. इस संदर्भ में प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, कानूनी और न्यायिक सहयोग तथा खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया.

    TRF पर साझा सख्ती

    दोनों देशों ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को लेकर भी समान रुख अपनाया है. इस संगठन को विदेशी आतंकवादी संगठन और वैश्विक आतंकवादी इकाई के रूप में चिन्हित किए जाने को आतंकवाद के खिलाफ अहम कदम माना जा रहा है. भारत का कहना है कि यह संगठन हालिया हिंसक घटनाओं में शामिल रहा है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना जरूरी है, ताकि इसके नेटवर्क और संसाधनों पर प्रभावी रोक लगाई जा सके.

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