आग के दरवाजे पर खड़ा आइसलैंड, Reykjanes Peninsula में एक और ज्वालामुखी फटा; सात महीनों में नौवां विस्फोट

    आइसलैंड के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित रेयक्जानेस प्रायद्वीप फिर से लावा की चपेट में आ गया.

    Iceland volcano erupts in Reykjanes Peninsula
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    आइसलैंड एक ऐसा देश है जहां धरती के नीचे की आग हर वक्त नींद में नहीं रहती. कभी भी जाग सकती है. और जब जागती है, तो इंसानों को अपनी सबसे खूबसूरत जगहों से भागना पड़ता है.

    इसी हफ्ते, आइसलैंड के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित रेयक्जानेस प्रायद्वीप फिर से लावा की चपेट में आ गया. ग्रिंडाविक गांव और देश का मशहूर ब्लू लैगून स्पा, दोनों को खाली कराना पड़ा. पुलिस आयुक्त मारग्रेट क्रिस्टिन पाल्सडॉत्तिर ने बताया कि इस बार सिर्फ स्थानीय लोगों को नहीं, बल्कि पर्यटकों को भी इलाके से बाहर कर दिया गया है. कुछ लोग इन लावे की धाराओं को देखने की जिद कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने साफ कर दिया—यह ‘देखने लायक’ नहीं, ‘भागने लायक’ स्थिति है.

    ज़हर हवा में घुल चुका है

    स्थानीय प्रशासन और आइसलैंडिक मौसम विभाग (IMO) ने चेतावनी दी है कि हवा में सल्फर डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है. लोगों को सलाह दी गई है कि वे घर के अंदर ही रहें और खिड़कियां तक बंद रखें. इस बार विस्फोट की तीव्रता उतनी नहीं है, लेकिन खतरा कम नहीं हुआ है.

    ग्रिंडाविक, जो कभी गांव था, अब खाली ज़मीन है

    ग्रिंडाविक नाम का मछुआरा गांव जो ज्वालामुखी के ठीक बगल में बसा है, उसे पूरी तरह खाली कर दिया गया है. वहां पहले करीब 4,000 लोग रहते थे, लेकिन 2023 के बाद जब लगातार विस्फोट शुरू हुए, तो ज़्यादातर लोगों ने अपना घर छोड़ दिया. कुछ ने तो सरकार को अपने घर तक बेच दिए, क्योंकि वहां लौटना अब एक जोखिम भरा सपना बन चुका है.

    ब्लू लैगून स्पा भी बंद

    दुनियाभर के टूरिस्ट जिस ब्लू लैगून स्पा की गर्म, दूधिया नीली झीलों में आराम करने आते थे, वो भी फिलहाल सुनसान पड़ा है. किसी ने नहीं सोचा था कि जिस जगह की गर्मी एक आरामदायक स्नान लगती थी, वही गर्मी किसी दिन ज़मीन को चीर कर बाहर निकलेगी.

    यह अब नया ‘नॉर्मल’ है

    आइसलैंडिक जियोफिजिसिस्ट बेनेडिक्ट ओफेइग्सन का कहना है कि यह सिलसिला अब एक नई नियमितता की तरफ बढ़ रहा है. यानी अब यह मान लिया जाना चाहिए कि कुछ महीनों में एक बार विस्फोट होना आम बात बन गई है. मार्च 2021 से इस क्षेत्र में भूगर्भीय हलचल बढ़ती जा रही है. और ध्यान रहे, इससे पहले पिछले 800 सालों में इस इलाके में कोई ज्वालामुखी सक्रिय नहीं हुआ था.

    उड़ानों पर असर नहीं, लेकिन इतिहास गवाह है

    इस बार के विस्फोट से इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर कोई असर नहीं पड़ा है. लेकिन आइसलैंड के लिए यह कोई गारंटी नहीं है. साल 2010 में जब Eyjafjallajökull ज्वालामुखी फटा था, तो उसकी राख ने यूरोप के आसमान को जाम कर दिया था. हज़ारों उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं.

    आइसलैंड: एक ज्वालामुखीय प्रयोगशाला

    आइसलैंड यूरोप का सबसे अधिक ज्वालामुखीय देश है. यहां 33 सक्रिय ज्वालामुखी प्रणालियां हैं—दूसरे किसी भी यूरोपीय देश से कहीं ज्यादा. यह देश मिड-अटलांटिक रिज पर बैठा है, यानी वो दरार जहां यूरोप और नॉर्थ अमेरिका की टेक्टॉनिक प्लेटें आपस में भिड़ रही हैं. नतीजा? हर कुछ महीनों में धरती चीर जाती है, और उसके भीतर छुपी आग बाहर बहने लगती है.

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