आखिर क्यों इजरायल के हत्थे नहीं चढ़ रहा न्यूक्लियर सेंटर? खिलौना साबित हो रहे F35

    Iran and Israel War: हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच छिड़े सैन्य टकराव ने एक बार फिर दुनिया को परमाणु खतरे की आशंका से भर दिया है. इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को जड़ से खत्म करने के इरादे से कई न्यूक्लियर ठिकानों पर मिसाइल और बम बरसाए.

    How Irani Nuclear Centers are safe from israel till now
    Image Source: Social Media

    Iran and Israel War: हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच छिड़े सैन्य टकराव ने एक बार फिर दुनिया को परमाणु खतरे की आशंका से भर दिया है. इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को जड़ से खत्म करने के इरादे से कई न्यूक्लियर ठिकानों पर मिसाइल और बम बरसाए. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इन हमलों से वाकई ईरान की परमाणु क्षमता को कोई गहरा धक्का लगा है?

    सैटेलाइट तस्वीरों और रिपोर्ट्स में क्या सामने आया?

    अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स और सैटेलाइट इमेजेस के अनुसार, इजरायली हमलों से ईरान के परमाणु केंद्रों के सतही ढांचे और रिसर्च यूनिट्स को कुछ हद तक नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन गहराई में चल रही यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया और हजारों सेंटरफ्यूज मशीनें अब भी सुरक्षित हैं. ईरानी अधिकारियों ने भी दावा किया है कि उनके पास मौजूद 60% तक संवर्धित यूरेनियम की भंडारियों को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है. जबकि इनका उपयोग भविष्य में 90% शुद्ध यूरेनियम, यानी परमाणु बम निर्माण की दिशा में किया जा सकता है.

    फोर्डो: ईरान का अभेद्य न्यूक्लियर किला

    इजरायल के हमलों का एक मुख्य निशाना था ईरान का फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी, जो कोम शहर से 20 मील दूर, एक पहाड़ी के भीतर स्थित है. यह ठिकाना 90 मीटर गहराई में बंकर जैसी संरचना में बना है. इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के पास है. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 2009 में इस साइट का दुनिया के सामने खुलासा किया था. इजरायली हमले के वक्त इलाके में भूकंप जैसी हलचल महसूस की गई, लेकिन फोर्डो को कोई निर्णायक क्षति नहीं पहुंची.

    फोर्डो को उड़ाने के लिए चाहिए खास हथियार

    इस केंद्र को पूरी तरह नष्ट करने के लिए ‘बंकर बस्टर बम’ और B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स की जरूरत होती है, जो सिर्फ अमेरिका के पास हैं. इजरायल के पास ऐसे हथियार नहीं हैं. इसलिए, अब तक फोर्डो जैसा केंद्र केवल छोटे स्तर पर ही प्रभावित हुआ है.

    IAEA की पुष्टि: नुकसान सीमित है

    अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्ट के अनुसार, नतांज़ और इस्फहान जैसे अन्य परमाणु ठिकानों को भी केवल सतही नुकसान हुआ है. इन पर हमला करने के बाद भी यूरेनियम संवर्धन में कोई बड़ी बाधा नहीं आई है.

    अमेरिका क्यों नहीं दे रहा इजरायल को निर्णायक हथियार?

    जब अमेरिका के पास वो हथियार हैं जो फोर्डो को खत्म कर सकते हैं, तो वह इजरायल को क्यों नहीं दे रहा? द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में विशेषज्ञ पीटर वाइल्डफोर्ड का कहना है. "अमेरिका फोर्डो को ध्वस्त करने की पूरी क्षमता रखता है, लेकिन उसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. वहीं इजरायल के पास इच्छाशक्ति तो है, लेकिन आवश्यक हथियार नहीं. जब तक ये दोनों एक साथ नहीं मिलते, तब तक ईरान का परमाणु कार्यक्रम चलता रहेगा."

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