क्वेटा: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मार्च में हुई जाफर एक्सप्रेस हाईजैकिंग की घटना को लेकर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पहली बार आधिकारिक रूप से एक विस्तृत वीडियो जारी किया है. करीब आधे घंटे की इस वीडियो में विद्रोही संगठन ने इस ऑपरेशन की योजना, क्रियान्वयन और उद्देश्य के बारे में खुलकर जानकारी दी है.
यह वीडियो न केवल हाईजैक की तकनीकी बारीकियों को उजागर करता है, बल्कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया और जमीनी स्थिति के बीच भारी अंतर को भी रेखांकित करता है.
'दर्रा-ए-बोलन 2.0' नामक ऑपरेशन
11 मार्च को क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को उस समय हाईजैक कर लिया गया, जब बलूच विद्रोहियों ने पहले रेलवे ट्रैक को विस्फोट से उड़ा दिया और फिर ट्रेन को नियंत्रित कर लिया. बीएलए के मुताबिक, यह पूरा अभियान "दर्रा-ए-बोलन 2.0" के नाम से पूर्व-नियोजित और सामरिक तैयारी के तहत अंजाम दिया गया.
ट्रेन में उस समय लगभग 450 यात्री सवार थे. बीएलए के अनुसार, उनका उद्देश्य केवल राज्य के प्रतिनिधि अधिकारियों और प्रतीकों को लक्षित करना था- यात्रियों में से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित बाहर निकालने की पूरी कोशिश की गई.
सुरक्षा दावों की पोल खोलता वीडियो
घटना के तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना ने दावा किया था कि इस ऑपरेशन को विफल कर दिया गया और विद्रोहियों को भारी नुकसान पहुंचाया गया. लेकिन बीएलए द्वारा जारी वीडियो इस दावे को चुनौती देता है.
वीडियो में न केवल ऑपरेशन की तैयारी और फील्ड ट्रेनिंग को दिखाया गया है, बल्कि इसमें स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी अधिकारियों को दो दिनों तक बंधक बनाए जाने और हथियारबंद ऑपरेशन की झलकियाँ भी शामिल हैं.
Monitoring:
— Bahot | باہوٹ (@bahot_baluch) May 18, 2025
Baloch Liberation Army media #Hakkal published video of the #JaffarExpress Hijack (Operation Darra-E-Bolan 2.0)#Balochistan pic.twitter.com/ClxM6VIOsy
इससे यह स्पष्ट होता है कि विद्रोहियों ने न केवल उच्चस्तरीय योजना बनाई थी, बल्कि स्थानीय स्तर पर उनकी प्रभावी मौजूदगी भी बनी हुई है.
हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था
वीडियो की शुरुआत एक विद्रोही के वक्तव्य से होती है जिसमें वह बलूच संघर्ष के उस मोड़ की चर्चा करता है जहां, उनके अनुसार, हिंसात्मक कार्रवाई ही इकलौता शेष विकल्प रह गया है.
"हमारे पास अब अन्य विकल्प नहीं हैं. बंदूक को रोकने के लिए बंदूक की आवश्यकता है," वह कहता है.
इस वक्तव्य के माध्यम से बीएलए ने यह स्पष्ट किया है कि उनका आंदोलन केवल वैचारिक नहीं, बल्कि सुनियोजित सैन्य प्रतिरोध में तब्दील हो चुका है.
सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
इस घटना ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और रेलवे नेटवर्क की संरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. देश के भीतर रेलमार्गों को अब तक अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता रहा है, लेकिन इस हाईजैक ने उस धारणा को तोड़ दिया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस ऑपरेशन से बलूच विद्रोही समूहों की खुफिया क्षमता, संसाधन प्रबंधन और जनसमर्थन का अंदाजा लगाया जा सकता है. यह घटना भविष्य में पाकिस्तान के लिए न केवल सामरिक चुनौती बनेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन सकती है.
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