Bihar Heatwave Insurance: गर्मी का कहर इस बार कुछ ज्यादा ही बेक़ाबू हो चला है. देश के कई हिस्सों में सूरज की तपिश ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. चिलचिलाती धूप और झुलसा देने वाली लू के बीच सबसे ज़्यादा परेशानी उन महिलाओं को हो रही है, जो खेतों, घरों और अन्य असंगठित क्षेत्रों में काम करती हैं. ऐसे में बिहार सरकार ने एक सराहनीय पहल की है, जो न केवल राहत देने वाली है, बल्कि महिलाओं की मेहनत और मुश्किलों को समझने का एक प्रयास भी है. इस नई योजना के तहत अगर किसी दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है, तो राज्य की 1.5 लाख महिला श्रमिकों को प्रतिदिन 300 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. इस भत्ते की शुरुआत एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर की गई है.
किन जिलों की महिलाओं को मिलेगा लाभ?
फिलहाल यह योजना बिहार के 8 जिलों में लागू की गई है. इनमें पटना, गया, मुंगेर, भागलपुर, बांका, कटिहार, पूर्णिया और सीवान शामिल हैं. यहां की असंगठित क्षेत्र की महिला कामगार जैसे घरेलू सहायिका, खेतों में काम करने वाली महिलाएं, या पशुपालन में लगी महिलाएं इस योजना का सीधा लाभ उठा सकती हैं. इसका उद्देश्य है कि इन महिलाओं को भीषण गर्मी में जान जोखिम में डालकर काम करने के लिए मजबूर न होना पड़े.
क्या है हीटवेव इंश्योरेंस स्कीम?
यह योजना असल में एक तरह का "हीटवेव इंश्योरेंस" है. इसकी अवधि अप्रैल से लेकर सितंबर तक होगी यानी उस दौर में जब गर्मी अपने चरम पर होती है. अगर इस दौरान किसी दिन पारा 40 डिग्री से ऊपर चला जाए और महिला काम पर न जा सके, तो उसे उस दिन के लिए 300 रुपये का भुगतान स्वतः ही उसके खाते में कर दिया जाएगा. इस बीमा को गुजरात की Self Employed Women Association (SEWA) ने शुरू किया है और इसे ICICI Bank के सहयोग से लागू किया गया है. शुरुआत में इस बीमा के लिए 300 रुपये की फीस ली जाती थी, लेकिन अब इसे पूरी तरह मुफ्त कर दिया गया है.
कैसे मिलेगा रजिस्ट्रेशन?
इस योजना से जुड़ने के लिए इच्छुक महिलाओं को SEWA के ज़िला कार्यालय में जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. उन्हें आधार कार्ड, बैंक पासबुक की कॉपी और मोबाइल नंबर जैसे कुछ आवश्यक दस्तावेज़ जमा करने होंगे. पटना में इसका कार्यालय पाटलिपुत्र गोलंबर के पास अटल पार्क में स्थित है, जहां फ्लैट नंबर 30 में महिलाएं अपना पंजीकरण करा सकती हैं.
एक सार्थक पहल की शुरुआत
भीषण गर्मी में जहां अधिकांश लोग एसी-कूलर के भीतर खुद को सुरक्षित रखते हैं, वहीं कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो घर का चूल्हा जलाने के लिए झुलसती धूप में भी मेहनत करती हैं. यह योजना उन महिलाओं के लिए एक छोटा लेकिन जरूरी सहारा बन सकती है. अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा, तो जल्द ही इसे पूरे बिहार में लागू करने की उम्मीद है. यह न केवल एक सामाजिक सुरक्षा कवच है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक अहम कदम है.
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