ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की पीएम मोदी से खास मुलाकात, जानें क्या हुई दोनों के बीच बात, देखें वीडियो

    Group Captain Shubhanshu Shukla PM Modi: जब कोई भारतीय अंतरिक्ष में कदम रखता है, तो सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे देश का सपना ऊँचाई छूता है. इसी गर्व और उम्मीद का प्रतीक बनकर उभरे हैं एक्सिओम-4 मिशन के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.

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    Image Source: Social Media/X

    Group Captain Shubhanshu Shukla PM Modi: जब कोई भारतीय अंतरिक्ष में कदम रखता है, तो सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे देश का सपना ऊँचाई छूता है. इसी गर्व और उम्मीद का प्रतीक बनकर उभरे हैं एक्सिओम-4 मिशन के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. यह मुलाकात सिर्फ एक शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि भारत के अंतरिक्ष भविष्य की नींव पर एक गंभीर और उत्साहजनक संवाद भी था.

    प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रेरणादायक बातचीत का लगभग 10 मिनट का वीडियो मंगलवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर साझा किया, जिसमें कई रोचक और विचारोत्तेजक बातें सामने आईं. बातचीत की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने शुक्ला से उनके पिछले 'होमवर्क' के बारे में पूछा, खासकर मूंग और मेथी के प्रयोगों को लेकर, जो अंतरिक्ष में भारतीय खाद्य सामर्थ्य की एक झलक पेश करते हैं.

    गगनयान मिशन की तैयारी और वैश्विक उत्साह

    इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का अनुभव आने वाले गगनयान मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने यह भी बताया कि भारत को भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए 40 से 50 प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्रियों की आवश्यकता होगी. इस पर शुभांशु ने बताया कि भारत के गगनयान मिशन को लेकर दुनियाभर में उत्सुकता और उम्मीदें बहुत अधिक हैं.

    उन्होंने यह भी साझा किया कि उनके अंतरिक्ष मिशन के साथी भी भारतीय गगनयान मिशन से इतने प्रभावित हैं कि उन्होंने शुक्ला से हस्ताक्षर करवाकर वादा लिया है, "जब भी भारत का मिशन शुरू हो, हमें न्योता जरूर देना."

    अंतरिक्ष में भोजन: एक अनदेखी चुनौती

    बातचीत के दौरान शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन पर भोजन एक बड़ी चुनौती होती है. कम जगह, सीमित संसाधन और वजन की पाबंदी, इन सभी के बीच वैज्ञानिकों की कोशिश रहती है कि कम से कम स्थान में अधिकतम पोषण और कैलोरी को समेटा जाए. भारत इस दिशा में लगातार प्रयोग कर रहा है.

    हर भारतीय की आंखों में गगनयान का सपना

    शुक्ला ने बेहद भावुक अंदाज़ में बताया, "मैं जहां भी गया, वहां लोगों ने मुझसे मिलकर गर्व महसूस किया. लेकिन सबसे सुंदर बात यह रही कि लोग मुझसे भी ज्यादा गगनयान को लेकर उत्साहित थे. वे मुझसे पूछते कि भारत का मिशन कब शुरू हो रहा है, और यह देखकर मैं न सिर्फ भावुक हुआ, बल्कि भारत के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आश्वस्त भी."

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