ग्रैंड मुफ्ती की पहल रंग लाई! केरल की बेटी को यमन में मिला इंसाफ, टली फांसी की सजा

    Nimisha Priya In Yemen: वर्षों से यमन की जेल में बंद और हत्या के आरोप में मौत की सजा झेल रही केरल की भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को आखिरकार जीवनदान मिल गया है.

    Grand Mufti initiative paid off! Kerala nimisha priya gets justice in Yemen death sentence postponed
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    Nimisha Priya In Yemen: वर्षों से यमन की जेल में बंद और हत्या के आरोप में मौत की सजा झेल रही केरल की भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को आखिरकार जीवनदान मिल गया है. लंबे समय से चली आ रही इस संवेदनशील और मानवीय लड़ाई में भारत को एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई है.

    ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद, जो भारत में इस्लामी मामलों के प्रमुख ज्ञाता माने जाते हैं, और ऑल इंडिया जमीयतुल उलेमा के प्रयासों से यह संभव हो सका. उनकी मध्यस्थता और पहल पर यमन की हूती सरकार ने पहले मौत की सजा को निलंबित किया और अब उसे पूरी तरह से रद्द कर दिया है.

    गौरतलब है कि 16 जुलाई को निमिषा प्रिया को फांसी दी जानी थी, लेकिन अंतिम समय में इसे टाल दिया गया था. भारत सरकार ने मृतक तलाल अब्दो महदी के परिवार को "ब्लड मनी" की पेशकश की थी, लेकिन परिवार इसके लिए राजी नहीं हुआ। इसके बावजूद, धार्मिक और कूटनीतिक हस्तक्षेपों ने इस केस को नया मोड़ दे दिया.

    कौन हैं ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद?

    भारत में सुन्नी समुदाय के प्रमुख चेहरों में से एक शेख अबू बकर अहमद, जिन्हें कंथापुरम एपी अबू बकर मुस्लियार के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामी शरिया के गहन विद्वान माने जाते हैं. हालांकि उनका "ग्रैंड मुफ्ती" का खिताब सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन धार्मिक समाज में उनकी बात का विशेष महत्व है.

    निमिषा प्रिया की संघर्षमय कहानी

    साल 2018 से शुरू हुई यह कहानी केवल कानून और अपराध की नहीं, बल्कि एक महिला के संघर्ष, सपनों और गलत फैसलों की भी है. केरल की गरीब पृष्ठभूमि से आने वाली निमिषा प्रिया ने मेहनत कर नर्सिंग की पढ़ाई की और बेहतर भविष्य के लिए यमन का रुख किया, जहां उन्हें एक सरकारी अस्पताल में नौकरी मिली.

    जीवन में स्थिरता लाने के बाद उन्होंने टॉमी थॉमस नामक व्यक्ति से शादी की और एक बेटी को जन्म दिया. हालात कुछ साल ठीक रहे, लेकिन बाद में जटिलताओं ने जीवन को झकझोर कर रख दिया.

    क्लिनिक, धोखा और हत्या

    यमन में खुद का क्लिनिक खोलने के लिए निमिषा ने स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी से साझेदारी की. लेकिन यह साझेदारी जल्द ही अत्याचार, शोषण और धोखे में बदल गई. महदी ने निमिषा का पासपोर्ट छीन लिया, झूठ फैलाया कि वे पति-पत्नी हैं और क्लिनिक को हड़प लिया. मानसिक और शारीरिक शोषण से तंग आकर निमिषा ने महदी को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन दवा की अधिक मात्रा से महदी की मौत हो गई.

    डर के कारण निमिषा ने शव के टुकड़े कर एक टैंक में डाल दिया और फरार हो गई. लेकिन कुछ ही समय बाद वह गिरफ्तार हो गई और साल 2024 में यमन की अदालत ने उसे मौत की सजा सुना दी.

    भारत सरकार की बड़ी सफलता

    लगभग एक साल तक चले कूटनीतिक और धार्मिक प्रयासों के बाद आज निमिषा को नया जीवन मिला है. यह केवल एक महिला के लिए न्याय की बात नहीं है, बल्कि उन तमाम प्रवासी भारतीयों के लिए भी आशा की किरण है, जो विदेशी धरती पर संघर्ष कर रहे हैं.

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