अब आर्मी में तैनात होंगे कमांडो ‘कॉकरोच’, रूस को चित करने के लिए ये यूरोपिय देश कर रहा बड़ी तैयारी

    यह अनोखी पहल म्यूनिख स्थित स्टार्टअप कंपनी हेल्सिंग द्वारा की गई है. इस कंपनी ने पहले भी युद्ध के लिए ड्रोन बनाए हैं, और अब यह यूरोप की सबसे मूल्यवान डिफेंस स्टार्टअप बन चुकी है.

    Germany will deploy commando cockroaches Military Russia ukraine war
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    यूक्रेन-रूस युद्ध दिन-प्रतिदिन और भी भीषण होता जा रहा है, और इस संघर्ष में अब यूरोप ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. रूस के हवाई हमलों का जवाब देने के बाद, अब यूक्रेन ने यूरोपीय मदद से रूस के दिल यानी मॉस्को तक हमला करना शुरू कर दिया है. लेकिन इस जंग का असली खेल अभी बाकी है, क्योंकि अब जर्मनी ने एक नई, हाईटेक रणनीति अपनाई है, कमांडो कॉकरोच.

    म्यूनिख की कंपनी का अद्भुत कारनामा

    यह अनोखी पहल म्यूनिख स्थित स्टार्टअप कंपनी हेल्सिंग द्वारा की गई है. इस कंपनी ने पहले भी युद्ध के लिए ड्रोन बनाए हैं, और अब यह यूरोप की सबसे मूल्यवान डिफेंस स्टार्टअप बन चुकी है. इसके सह-संस्थापक गुंडबर्ट शेर्फ के मुताबिक, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण ने यूरोप की रक्षा नीति को पूरी तरह से बदल दिया है. अब जर्मनी में ऐसे बायो रोबोट बनाए जा रहे हैं जो भविष्य में साइंस फिक्शन के हथियारों से भी ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं.

    'कॉकरोच' की सर्विलांस की शक्ति

    स्टार्टअप Swarm Biotics ने एक खास तरह का कॉकरोच तैयार किया है, जो अब युद्ध क्षेत्र में सर्विलांस का काम करेगा. इस कॉकरोच में एक बैक पैक होगा, जिसमें जासूसी उपकरण होंगे जैसे कैमरे, सेंसर और रेडियो ट्रांसमीटर. यह तकनीकी रूप से इतना एडवांस होगा कि दुश्मन की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी जुटाने में सक्षम होगा. इन कॉकरोचों को दूर से ऑपरेट किया जा सकेगा, और ये अकेले या समूह में भेजे जा सकते हैं.

    इन कॉकरोचों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये दुश्मन की नजरों से बचकर उसकी सीमा में घुसकर खुफिया जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं. रॉयटर्स के अनुसार, कंपनी के सीईओ स्टीफन विल्हेम का कहना है कि यह तकनीक भविष्य में युद्ध के नियम ही बदल देगी.

    जर्मनी सरकार का स्टार्टअप्स को समर्थन

    जर्मनी सरकार अब रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप्स को प्राथमिकता दे रही है. यह कदम एक नई दिशा की ओर बढ़ने का संकेत है, जहां रक्षा क्षेत्र में नए नवाचारों को समय पर अपनाया जा सके. जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने कहा कि अब रक्षा शक्ति में पैसा कोई मुद्दा नहीं है, बल्कि नवाचार सबसे बड़ी जरूरत है. इसके चलते जर्मन सरकार ने रक्षा नीति में नौकरशाही को सरल और तेज बनाया है, ताकि नई तकनीकों को आसानी से बुंडेसवेयर (जर्मन सेना) तक पहुंचाया जा सके.

    यूक्रेन युद्ध में जर्मनी का अहम योगदान

    यूक्रेन युद्ध में जर्मनी अब तक अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा सैन्य मदद देने वाला देश बन चुका है. जर्मनी ने अपना रक्षा बजट तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जिसका अधिकांश हिस्सा रोबोटिक्स, एआई और ड्रोन जैसे आधुनिक हथियारों पर खर्च किया जाएगा. जर्मनी के हेल्सिंग और ARX Robotics जैसे स्टार्टअप्स अब देश के लिए अत्याधुनिक हथियार बना रहे हैं और सरकार को समय-समय पर सलाह भी दे रहे हैं.

    जर्मनी की नई रक्षा नीति और भविष्य

    विशेषज्ञों के मुताबिक, जर्मनी की यह नई रक्षा नीति न सिर्फ उसकी सैन्य शक्ति को मजबूत करेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगी. जर्मनी के इस कदम से यह साफ है कि भविष्य में युद्ध सिर्फ तकनीकी और बायोटेक्नोलॉजी के माध्यम से लड़ा जाएगा, और इसमें कमांडो कॉकरोच जैसे अद्भुत हथियार अहम भूमिका निभा सकते हैं.

    ये भी पढ़ें: चीन में कई महिलाओं से अवैध संबंध रखने पर शाओलिन मंदिर के महंत बर्खास्त, बौद्ध संघ ने रद्द की मान्यता