बीजिंग: चीन के ऐतिहासिक शाओलिन मंदिर से एक बड़ा विवाद जुड़ गया है. मंदिर के प्रमुख महंत शी योंगक्सिन को आध्यात्मिक अनुशासन और वित्तीय नैतिकता के गंभीर उल्लंघनों के आरोपों के चलते उनके पद से हटा दिया गया है. चीन के बौद्ध संघ ने उनकी आधिकारिक मान्यता भी रद्द कर दी है, जिससे अब वे एक भिक्षु के रूप में मान्य नहीं रह गए हैं.
क्या हैं आरोप?
महंत योंगक्सिन पर आरोप है कि उन्होंने मंदिर की संपत्ति और फंड का अनुचित उपयोग किया, कई महिलाओं से निजी संबंध रखे और उन संबंधों से बच्चों के पिता भी बने. चीन की सरकारी एजेंसियां इस पूरे मामले की संयुक्त जांच कर रही हैं. बौद्ध संघ के मुताबिक, उनकी इन गतिविधियों ने न केवल बौद्ध धर्म की छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि भिक्षुओं के प्रति लोगों की श्रद्धा भी डगमगाई है.
1500 साल पुराना मंदिर
हेनान प्रांत की पहाड़ियों में स्थित शाओलिन मंदिर सिर्फ एक आध्यात्मिक स्थल नहीं, बल्कि चीन की पारंपरिक मार्शल आर्ट ‘कुंग फू’ का विश्वविख्यात केंद्र भी है. यह मंदिर दुनियाभर से लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है. शी योंगक्सिन ने 1999 में मंदिर का कार्यभार संभाला और उसके बाद से इसे एक आधुनिक संस्था में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू की.
‘सीईओ मॉन्क’ की छवि
महंत योंगक्सिन को उनके व्यवसायिक दृष्टिकोण के लिए ‘सीईओ मॉन्क’ कहा जाने लगा था. उनके कार्यकाल में शाओलिन ने विदेशों में स्कूल खोले, कुंग फू शो की अंतरराष्ट्रीय प्रस्तुतियां दीं और कई व्यावसायिक साझेदारियों में प्रवेश किया. हालांकि इन प्रयासों ने शाओलिन की पहचान को वैश्विक बनाया, लेकिन साथ ही उन पर धार्मिक मूल्यों की अनदेखी करने के आरोप भी लगे.
विवादों की लंबी सूची
योंगक्सिन पहले भी कई विवादों का हिस्सा रह चुके हैं. 2006 में उन्हें एक महंगी SUV मिलने पर सवाल उठे थे. 2015 में एक पूर्व शिष्य ने उन पर महिलाओं से संबंध और नाजायज बच्चों का आरोप लगाया, जिसे बाद में प्रमाण के अभाव में खारिज कर दिया गया. इसके बाद मंदिर की परियोजनाओं में कथित वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर भी चर्चाएं रहीं. योंगक्सिन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने मंदिर की छवि का इस्तेमाल फिल्मों, टीवी शोज़ और वीडियो गेम्स के जरिए मुनाफा कमाने में किया.
धार्मिक जीवन बनाम भोगवाद
बौद्ध परंपरा में भिक्षुओं से सादगी, संयम और सांसारिक आकर्षणों से दूर रहने की अपेक्षा की जाती है. ऐसे में योंगक्सिन का महंगे वस्त्र पहनना, सोने के धागों वाला कड़ा धारण करना और भव्य परियोजनाएं शुरू करना, उनके धार्मिक चरित्र पर सवाल खड़े करता रहा.
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