फोन चार्ज कर रहे थे लोग, तभी आसमान से बरस पड़ी मौत; मलबे में बदल गया कैफे

    गाजा की गलियों में अब न सुबह की रौनक बची है, न शाम की शांति. यहां हर इंसान सांस तो ले रहा है, लेकिन उसे नहीं पता कि अगली सांस उसकी आखिरी होगी या नहीं.

    Gaza People were charging their phones when death rained down from sky
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    गाजा की गलियों में अब न सुबह की रौनक बची है, न शाम की शांति. यहां हर इंसान सांस तो ले रहा है, लेकिन उसे नहीं पता कि अगली सांस उसकी आखिरी होगी या नहीं. यहां लोग अब जिंदगी नहीं, बस वक्त काट रहे हैं. इजरायल और ईरान के बीच भले ही युद्ध की गर्मी कुछ ठंडी पड़ी हो, लेकिन गाजा की जमीन आज भी जल रही है. इजरायली सेना के हमले अब भी जारी हैं, और सबसे दर्दनाक बात ये है कि मरने वालों में वो मासूम हैं, जो बस जीने की कोशिश कर रहे थे.

    कैफे में फोन चार्ज कर रहे थे लोग, तभी बरस पड़ी मौत

    सोमवार को गाजा शहर का अल-बाका कैफे उम्मीद का एक छोटा सा ठिकाना था. यहां लोग अपने फोन चार्ज कर रहे थे, इंटरनेट से बाहर की दुनिया की खबरें ले रहे थे. वे जानना चाहते थे कि शायद कहीं युद्ध थमा हो, शायद राहत का कोई रास्ता खुला हो. लेकिन उन्हें क्या पता था कि अगले ही पल मौत उनके सिर के ऊपर मंडरा रही है.

    इजरायली हवाई हमले ने उस कैफे को मलबे में बदल दिया. चश्मदीद अली अबू अतैला ने कांपती आवाज में बताया कि हमला इतने अचानक हुआ कि जमीन मानो भूकंप से हिल गई. वहां मौजूद ज्यादातर लोग मौके पर ही मारे गए. गाजा के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस हमले में कम से कम 30 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए, जिनमें से कई की हालत बेहद गंभीर है.

    जहां राहत की उम्मीद थी, वहीं मिला मौत का पैगाम

    गाजा सिटी में उस दिन मौत ने कई दरवाजे खटखटाए. एक ही दिन में अलग-अलग जगहों पर इजरायली हमलों में करीब 74 नागरिकों की जान चली गई. एक सड़क पर हुए दो हमलों में 15 लोग मारे गए, जबकि ज़वायदा शहर के पास एक इमारत पर हमला हुआ, जिसमें 6 और लोगों की जान गई.

    सबसे ज्यादा दिल तोड़ने वाली घटना दक्षिणी गाजा में हुई. लोग खाना लेने के लिए राहत केंद्र जा रहे थे, भूख से बेहाल थे, लेकिन वहां से लौटते वक्त ही गोलियों की बौछार में मारे गए. खान यूनिस के नासेर अस्पताल के मुताबिक 11 लोगों की मौत तब हुई जब वे गाजा ह्यूमैनिटेरियन फंड (GHF) से जुड़ी सहायता साइट से मदद लेकर लौट रहे थे. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीड़ पर सीधे तोप से हमला हुआ और टैंकों में बैठे सैनिकों ने लोगों पर गोलियां बरसाईं.

    मदद की तलाश में भी मौत पीछा नहीं छोड़ती

    यह कोई पहली बार नहीं हुआ है. बीते एक महीने में 500 से ज्यादा लोग ऐसे मारे जा चुके हैं, जो सिर्फ राहत लेने निकले थे. वे युद्ध से बच भी जाते हैं तो भी भूख और जरूरत की लड़ाई में अपनी जान गंवा रहे हैं. अब गाजा में जिंदगी और मौत के बीच की दूरी एक रोटी जितनी रह गई है.

    इजरायल की सेना का कहना है कि इन घटनाओं की जांच की जा रही है. सेना का दावा है कि अगर कोई व्यक्ति सैनिकों के बहुत करीब आता है या संदिग्ध हरकत करता है तो वे चेतावनी के लिए गोली चलाते हैं. लेकिन गाजा में जो हो रहा है, वो चेतावनी नहीं, सीधे मौत का न्यौता लग रहा है.

    इजरायल की नई योजना और हमास पर आरोप

    इजरायल चाहता है कि GHF उन केंद्रों की जगह ले जो अभी संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां चला रही हैं. इजरायल का आरोप है कि हमास इन मदद केंद्रों का फायदा उठाता है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने इस दावे को बार-बार खारिज किया है. सवाल ये है कि अगर ये सारी मददें जनता तक नहीं पहुंच रही हैं, तो हर दिन राहत पाने की कोशिश में मारे जा रहे लोग आखिर कौन हैं?

    गाजा के लिए हर दिन एक जंग है

    गाजा में अब कोई सुरक्षित जगह नहीं बची. लोग घर से निकलते हैं तो वापस लौटने की गारंटी नहीं होती. फोन चार्ज करने जाएं, खाना लेने जाएं, बच्चों के लिए पानी भरने जाएं – हर कदम जान जोखिम में डालता है. यहां मौत अब दीवारों पर लिखी इबारत बन गई है.

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