गाजा में जारी संघर्ष और नाकेबंदी के बीच मानवीय हालात भयावह होते जा रहे हैं. मार्च में युद्धविराम टूटने के बाद इजराइल ने न केवल हमले तेज कर दिए, बल्कि गाजा में किसी भी तरह की मानवीय सहायता पर पाबंदी भी लगा दी.
इससे पहले, अमेरिकी समर्थित गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) को राहत वितरण की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन आरोप है कि इसके सुरक्षा कर्मियों ने इजराइली सैनिकों के साथ मिलकर भोजन वितरण की कतारों में खड़े फिलिस्तीनियों पर गोलीबारी की. इन घटनाओं में 800 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिसके बाद इस संगठन को भंग कर दिया गया.
एयरड्रॉप बनी नई मुसीबत
GHF के बंद होने के बाद अलग-अलग देशों ने गाजा में हवाई रास्ते से सहायता भेजनी शुरू की, लेकिन यह राहत भी लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. गाजा के सरकारी मीडिया कार्यालय के अनुसार, असुरक्षित एयरड्रॉप के कारण 23 लोगों की मौत हो चुकी है और 124 लोग घायल हुए हैं. कई बार सहायता पैकेज इजराइल-नियंत्रित इलाकों या खाली कराए गए क्षेत्रों में गिरते हैं, जिससे वहां पहुंचने वाले लोगों को सीधे निशाना बनाया जा सकता है. पिछले साल भी समुद्र में गिरे पैकेजों के कारण 13 फिलिस्तीनी डूब गए थे, जबकि भीड़ पर गिरे पैकेज ने कई को घायल कर दिया.
जमीनी मदद में अड़चन
गाजा प्रशासन का आरोप है कि इजराइल जानबूझकर जमीनी रास्ते से आने वाली सहायता में रुकावट डाल रहा है. स्थानीय अधिकारियों ने सड़क मार्ग से भोजन, शिशु आहार, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाने की मांग की है. उनका कहना है कि मौजूदा नाकेबंदी भूख, बीमारी और अराजकता को बढ़ावा दे रही है.
राहत की बजाय प्रचार
मानवीय संगठनों का मानना है कि हवाई सहायता न केवल अपर्याप्त है, बल्कि खतरनाक भी है. पैराशूट फेल होने, समुद्र में पैकेज गिरने और गलत स्थानों पर ड्रॉप होने से लगातार जानें जा रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये एयरड्रॉप ज़्यादा तर प्रचार के हथकंडे हैं, न कि वास्तविक मानवीय समाधान.
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