इस्लामाबाद: पाकिस्तान के भोलारी एयरबेस पर भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक बड़ा नुकसान सामने आया है. पाकिस्तान का एक AWACS (एयरबॉर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) विमान, जो वायुसेना की निगरानी और रणनीतिक संचालन की रीढ़ माना जाता था, पूरी तरह तबाह हो गया है.
यह विमान चीन से खरीदा गया था और पाकिस्तान की सीमाओं की रक्षा में प्रमुख भूमिका निभा रहा था. इसकी क्षति को पाकिस्तान के पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ (रिटा.) मसूद अख्तर ने एक इंटरव्यू में खुलकर स्वीकार किया है.
क्या बोले पूर्व एयरचीफ मसूद अख्तर?
पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत करते हुए मसूद अख्तर ने बताया कि 9-10 मई की रात भारत ने चार ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें भोलारी एयरबेस पर दागीं.
उन्होंने कहा: "हमारे पायलट विमानों को बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मिसाइलें एक के बाद एक आती रहीं. चौथी मिसाइल सीधे उस हैंगर पर गिरी, जहां हमारा एक अत्यधिक संवेदनशील AWACS विमान खड़ा था. वह पूरी तरह नष्ट हो गया."
AWACS: निगरानी का केंद्रबिंदु
AWACS विमान दुश्मन की गतिविधियों पर नज़र रखने और हवाई संचालन में निर्णायक बढ़त देने वाला सिस्टम है. इसकी क्षमताओं में शामिल हैं:
लंबी दूरी तक रडार कवरेज
कराची से महज 100 किमी दूर भोलारी एयरबेस
भोलारी एयरबेस, जो पाकिस्तान के प्रमुख नौसैनिक शहर कराची से महज 100 किलोमीटर दूर स्थित है, रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जाता है.
भारत की ओर से किए गए इस ऑपरेशन में एक हैंगर को सटीक निशाना बनाया गया, जो सैटेलाइट तस्वीरों में भी स्पष्ट रूप से क्षतिग्रस्त दिखाई देता है. तस्वीरों में जले हुए ढांचे और मलबे से हमले की तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
क्यों हुआ ऑपरेशन सिंदूर?
इस हमले की प्रत्यक्ष वजह बना 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी. भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की साजिश बताया और इसका जवाब देने के लिए “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया.
ऑपरेशन का उद्देश्य स्पष्ट था – सीमा पार मौजूद आतंकी ठिकानों और सैन्य संपत्तियों को जवाब देना.
एक सटीक, संदेशपूर्ण प्रतिक्रिया
भोलारी एयरबेस पर यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि यह भारत की ओर से एक रणनीतिक संदेश भी था – कि आतंकी हमलों की कीमत चुकानी होगी, और यदि जरूरत पड़ी तो सटीक और घातक जवाब दिया जाएगा.
AWACS जैसे क्रिटिकल एसेट को नष्ट करना पाकिस्तान के लिए केवल सैन्य नुकसान नहीं, बल्कि तकनीकी और मनोवैज्ञानिक क्षति भी है.
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