पीएम के तीसरे कार्यकाल का पहला साल, मोदी सरकार के इन फैसलों में दिखी राष्ट्र भक्ति की शक्ति

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले वर्ष को पूरा कर लिया है. यह कार्यकाल कई मायनों में अलग रहा.

    first year of PM third term Modi government
    पीएम मोदी | Photo: ANI

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले वर्ष को पूरा कर लिया है. यह कार्यकाल कई मायनों में अलग रहा—जहां पहले दो कार्यकालों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला था, वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को एनडीए सहयोगियों की मदद से सरकार बनानी पड़ी. बावजूद इसके, प्रधानमंत्री मोदी ने पहले की तरह ही प्रभावी और दृढ़ नेतृत्व से सरकार को आगे बढ़ाया.

    गठबंधन की सियासत में भी 'निर्णायक' मोदी

    भले ही इस बार भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला, लेकिन एनडीए में शामिल दलों के साथ मोदी ने बेहतर तालमेल दिखाया. टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू के नीतीश कुमार जैसे नेताओं के साथ उनकी केमिस्ट्री ने यह साबित किया कि प्रधानमंत्री मोदी केवल 'बहुमत के नेता' नहीं हैं, बल्कि गठबंधन की राजनीति को भी मजबूती से साध सकते हैं. संसद में वक्फ संशोधन बिल जैसे अहम विधेयकों को पारित कराना इसी रणनीतिक कौशल का उदाहरण है.

    राष्ट्रीय सुरक्षा पर सख्त रवैया

    2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा चलाया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह प्रधानमंत्री मोदी के 'नो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म' दृष्टिकोण की झलक भी देता है. भारतीय सेना ने नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर यह संदेश दिया कि अब भारत किसी भी आतंकी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा. इस अभियान ने एक बार फिर मोदी की निर्णायक छवि को पुष्ट किया.

    जातिगत जनगणना का ऐतिहासिक फैसला

    जहां एक ओर विपक्ष लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग करता आ रहा था, वहीं मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर बड़ा फैसला लेते हुए पहली बार स्वतंत्र भारत में जातिगत गणना कराने का निर्णय लिया. यह फैसला राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे सामाजिक न्याय और नीति निर्धारण में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है.

    विधानसभा चुनावों में वापसी की रफ्तार

    लोकसभा में सीटें घटने के बाद भाजपा ने राज्य स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति अपनाई. हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की. दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता में वापसी ने यह साफ कर दिया कि भाजपा का जमीनी आधार अभी भी मजबूत है और पार्टी ने तेजी से खोई हुई राजनीतिक जमीन को फिर से हासिल कर लिया है.

    एक साल में क्या रहा प्रमुख एजेंडा?

    • राष्ट्रीय सुरक्षा: ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पर जवाबी कार्रवाई
    • गठबंधन प्रबंधन: नीतीश-नायडू जैसे नेताओं के साथ तालमेल
    • विधायी काम: वक्फ बोर्ड संशोधन, बजट से जुड़ी अहम घोषणाएं
    • सामाजिक मुद्दे: जातिगत जनगणना का ऐतिहासिक फैसला
    • राजनीतिक वापसी: राज्य चुनावों में प्रदर्शन के जरिए खोई जमीन वापसी

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