त्योहारी रौनक ने बढ़ाई GDP की रफ्तार, दूसरी तिमाही में 7.5% ग्रोथ की उम्मीद; SBI रिपोर्ट में दावा

    GDP Growth Rate: दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर मजबूती के संकेत दे रही है. एसबीआई रिसर्च की नई रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत या उससे ज्यादा हो सकती है.

    Festive excitement increased the pace of GDP 7.5% growth expected in the second quarter SBI report
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    GDP Growth Rate: दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर मजबूती के संकेत दे रही है. एसबीआई रिसर्च की नई रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत या उससे ज्यादा हो सकती है. इस तेज रफ्तार के पीछे सबसे बड़ा कारण है, त्योहारी सीजन में रिकॉर्ड बिक्री, जिसे हाल ही में की गई जीएसटी दरों की कटौती ने और बढ़ावा दिया.

    रिपोर्ट के मुताबिक, निवेश गतिविधियों में तेजी, ग्रामीण खरीदारी में सुधार और सेवाओं व विनिर्माण क्षेत्रों का बेहतर प्रदर्शन मिलकर अर्थव्यवस्था की गति को मजबूत बनाए हुए हैं. संरचनात्मक सुधारों, खासकर जीएसटी दरों के युक्तिकरण ने उपभोक्ताओं की जेब हल्की नहीं होने दी और मांग में एक बड़ा उछाल देखने को मिला.

    खपत और मांग ने पकड़ी रफ्तार

    त्योहारी महीनों में बिक्री के आंकड़ों ने साफ संकेत दिया कि अर्थव्यवस्था की घरेलू मांग मजबूत हो रही है. एसबीआई की आर्थिक शोध रिपोर्ट बताती है कि दूसरी तिमाही में खपत और मांग से जुड़े पॉजिटिव संकेतकों का प्रतिशत बढ़कर 83 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो पहली तिमाही में सिर्फ 70 प्रतिशत था.

    अनुमानित मॉडल के आधार पर एसबीआई रिसर्च का आकलन है कि इस तिमाही में 7.5 प्रतिशत से ऊपर की विकास दर संभव है. वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी जुलाई–सितंबर अवधि के लिए 7 प्रतिशत विकास का अनुमान जताया है. सरकार इस महीने के अंत में आधिकारिक जीडीपी आंकड़े जारी करेगी.

    जीएसटी सुधारों का दिखा असर, बेहतर संग्रह की उम्मीद

    रिपोर्ट अनुमान लगाती है कि नवंबर में जीएसटी संग्रह लगभग 1.49 लाख करोड़ रुपये के आसपास रह सकता है, जो सालाना आधार पर 6.8 प्रतिशत की वृद्धि है. इसके साथ ही आईजीएसटी और आयात पर उपकर मिलाकर कुल जीएसटी संग्रह दो लाख करोड़ रुपये का स्तर पार कर सकता है.

    सितंबर और अक्टूबर में जीएसटी दरों के युक्तिकरण ने लोगों की जेब पर दबाव कम किया, जिसका पहला संकेत क्रेडिट और डेबिट कार्ड खर्च में बढ़ोतरी से मिला. वाहन, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्निशिंग और ट्रैवल से जुड़े श्रेणियों में भारी खर्च दर्ज किया गया. जन-उपयोगी उत्पादों और सेवाओं पर 38 प्रतिशत, सुपरमार्केट और किराना पर 17 प्रतिशत और ट्रैवल पर 9 प्रतिशत खर्च हुआ.

    छोटे और मझोले शहर बने नए ग्रोथ इंजन

    क्रेडिट कार्ड खर्च के भू-आधारित विश्लेषण से पता चलता है कि इस बार मांग सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि मझोले शहरों में सबसे तेज बढ़ोतरी देखी गई. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिक्री हर शहर में मजबूत रही. डेबिट कार्ड खर्च के आंकड़े भी यही कहानी बताते हैं, देश के लगभग सभी प्रमुख राज्यों में बीते साल की तुलना में इस साल त्योहारों के दौरान खर्च में बढ़ोतरी हुई है.

    मजबूत घरेलू मांग ने दी अर्थव्यवस्था को स्थिरता

    रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का वृहद आर्थिक परिदृश्य सतर्क आशावाद के साथ स्थिर बना हुआ है. घरेलू मांग मजबूत है, मुद्रास्फीति का दबाव कम हो रहा है और निवेश गतिविधियां गति पकड़ रही हैं. ग्रामीण खपत में सुधार और सेवाओं एवं विनिर्माण क्षेत्रों की मजबूती भी अर्थव्यवस्था के पक्ष में काम कर रही है. जीएसटी 2.0 सुधारों से भविष्य में निजी खपत और घरेलू मांग को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जो आने वाले महीनों में ग्रोथ को और मजबूती दे सकती है.

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