दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से लोग हर दिन प्रभावित हो रहे हैं. खासकर निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल जो PM2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कणों का बड़ा स्रोत है. दिल्ली की हवा को और जहरीला बना रही है. अब इस पर सख्ती से लगाम लगाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने एक नई व्यवस्था लागू की है.
पहले ही कराना होगा पंजीकरण
अगर आप कोई भवन, ऑफिस या प्लॉट बना रहे हैं जिसका क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर या उससे ज्यादा है, तो अब सबसे पहले DPCC के 'डस्ट कंट्रोल पोर्टल' पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. आप रजिस्ट्रेशन का पोर्टल https://dustcontrol.dpcc.delhi.gov.in पंजीकरण कर सकते हैं. जब तक यह रजिस्ट्रेशन पूरा नहीं होगा, तब तक MCD, NDMC या DCB जैसे निकाय आपकी भवन योजना को मंजूरी नहीं देंगे.
दिशा-निर्देश होंगे अनिवार्य
निर्माण सामग्री को ढककर रखना होगा. जगह-जगह पानी का छिड़काव करना होगा. ढके हुए ट्रकों से माल लाना होगा. पूरे स्थल की घेराबंदी करनी होगी. हर साइट पर DPCC रजिस्ट्रेशन ID का डिस्प्ले बोर्ड लगाना होगा. अब हर साइट पर कैमरा और सेंसर लगेगा. जानकारी के मुताबिक, PM2.5 और PM10 प्रदूषण सेंसर लगाने होंगे. हर 15 दिन में सेल्फ-डिक्लेयरेशन रिपोर्ट देनी होगी. अगर किसी साइट पर यह चीजें नहीं पाई गईं, तो DPCC कड़ी कार्रवाई करेगा.
नगर निगमों को दिए गए खास निर्देश
DPCC चेयरमैन संजीव कुमार ने सभी नगर निकायों को आदेश दिया है कि सभी भवन योजनाओं को तभी स्वीकृति दी जाए जब रजिस्ट्रेशन पोर्टल से रजिस्टर्ड हो. MCD की बिल्डिंग अप्रूवल प्रणाली को पोर्टल से API के ज़रिए जोड़ा जाए. इस पूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट नियमित तौर पर DPCC को सौंपी जाए.
आपके लिए क्या है ज़रूरी जानना?
अगर आप बिल्डर, आर्किटेक्ट, ठेकेदार या प्लॉट ओनर हैं, तो इस नियम का पालन अब कानूनी रूप से अनिवार्य है. अगर आप पास में हो रही किसी निर्माण साइट पर धूल, कचरा या गड़बड़ी देखें, तो आप DPCC पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं. यह नियम न सिर्फ निर्माणकर्ताओं के लिए है, बल्कि हर जागरूक नागरिक के लिए भी ज़िम्मेदारी का संकेत है.
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