जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के तहत ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती की, तो उसकी आवाज़ सिर्फ इस्लामाबाद में ही नहीं, वॉशिंगटन तक गूंजी. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत की इस सैन्य कार्रवाई ने अमेरिका को भी बेचैन कर दिया था. तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह डर सताने लगा था कि मामला कहीं परमाणु युद्ध में न बदल जाए.
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, ब्रह्मोस एक अत्याधुनिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है. इसकी मारक क्षमता और सटीकता ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी थी. उन्हें यह इनपुट मिला कि भारत ने पाकिस्तान के भीतर कई एयरबेस पर हमला करने के लिए ब्रह्मोस का उपयोग किया है.
ट्रंप को सता रहा था परमाणु संघर्ष का डर
डोनाल्ड ट्रंप को आशंका थी कि यदि हालात बिगड़े, तो भारत इन मिसाइलों को परमाणु हथियारों से लैस कर सकता है या फिर पाकिस्तान जवाब में परमाणु हमला कर सकता है. यही वजह रही कि ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भारत-पाकिस्तान के समकक्षों से तत्काल संपर्क करने को कहा. ऑपरेशन सिंदूर:
पाक एयरबेस पर ब्रह्मोस की तबाही ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने करीब 15 ब्रह्मोस मिसाइलें पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर दागीं. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 11 मिसाइलें सीधे एयरबेस पर गिरीं. पाकिस्तान इन मिसाइलों को न रोक पाया, न उनके प्रभाव से बच पाया. नतीजा यह रहा कि कई एयरबेस तीन महीने तक ऑपरेशनल नहीं हो सके.पाकिस्तानी सेना को बार-बार नोटम जारी कर मरम्मत कार्यों की जानकारी देनी पड़ी. हालांकि भारत ने बार-बार यह स्पष्ट किया कि ब्रह्मोस सिर्फ पारंपरिक (non-nuclear) मिसाइल है और उसका परमाणु हथियारों से कोई लेना-देना नहीं है.
व्हाइट हाउस में बढ़ती बेचैनी
WSJ की रिपोर्ट के अनुसार, वॉशिंगटन को लगने लगा था कि हालात नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं और भारत-पाकिस्तान के बीच जंग परमाणु स्तर तक न पहुंच जाए. ट्रंप प्रशासन ने तात्कालिक कूटनीतिक पहल शुरू की और अपने निजी संपर्कों का सहारा लेकर दोनों देशों के साथ बातचीत की. हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर यह कहा है कि युद्धविराम की पहल पाकिस्तान की ओर से की गई थी. संसद में भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि संघर्षविराम के लिए पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को कॉल किया था.
ब्रह्मोस: भारत की मारक ताकत
भारत की ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है, जिसकी रफ्तार Mach 2.8 तक जाती है. इसे थल, वायु और जल – तीनों माध्यमों से लॉन्च किया जा सकता है. इस मिसाइल की खासियत इसकी ‘फायर एंड फॉरगेट’ टेक्नोलॉजी है, जो इसे दुश्मन के रडार से बच निकलने की क्षमता देती है.
ब्रह्मोस का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों को जोड़कर रखा गया है. इसकी मारक क्षमता 200 से 300 किलोमीटर के बीच होती है और यह 200-300 किलो के पारंपरिक विस्फोटक ले जाने में सक्षम है.
भारत की नीति: 'No First Use'
वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास ने WSJ को दिए जवाब में कहा कि भारत 'पहले इस्तेमाल नहीं' (No First Use) की परमाणु नीति पर कायम है. ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों को केवल पारंपरिक युद्ध में इस्तेमाल किया जाता है, न कि परमाणु हथियारों के रूप में.दूतावास ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रह्मोस को भारत के न्यूक्लियर कमांड के तहत नहीं रखा गया है. यानी इसका परमाणु हथियारों से कोई सीधा संबंध नहीं है.
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