नई दिल्ली: भारतीय रक्षा क्षमताओं को एक नई मजबूती मिली है. पिछले कुछ महीनों से परीक्षण, विश्लेषण और संशोधन के दौर से गुजर रही तीन प्रमुख सैन्य परियोजनाओं ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है. इनमें अग्रणी है स्वदेशी एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) ध्रुव, जिसे अब औपचारिक रूप से उड़ान की अनुमति दे दी गई है. इसके साथ ही, DRDO की हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक और INS सूरत से मिसाइल टेस्टिंग ने भारत के रक्षा आत्मनिर्भरता अभियान को नया आयाम दिया है.
ध्रुव तकनीकी सुधार के बाद फिर से सेवा में
भारत में निर्मित ALH ध्रुव को HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) द्वारा तैयार किया गया है. जनवरी 2025 में गुजरात के पोरबंदर में हुए एक दुर्घटना के बाद, जिसमें भारतीय तटरक्षक बल के तीन कर्मियों की मौत हुई थी, स्वैशप्लेट यूनिट में तकनीकी खामी सामने आई थी.
इस हादसे के बाद देशभर में 300 से अधिक ध्रुव हेलिकॉप्टरों की उड़ानें एहतियातन रोक दी गई थीं. HAL ने व्यापक तकनीकी जांच, आवश्यक सुधार और जमीनी परीक्षणों के बाद अब इन हेलिकॉप्टरों को ऑपरेशनल क्लीयरेंस प्रदान कर दिया है.
भारतीय वायुसेना, नौसेना और थलसेना के बेड़े में मौजूद ध्रुव हेलिकॉप्टर अब दोबारा अपने अभियानों में लौटने को तैयार हैं.
हाइपरसोनिक हथियार तकनीक में छलांग
25 अप्रैल 2025 को DRDO की हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी (DRDL) ने भविष्य के हाइपरसोनिक हथियारों की दिशा में बड़ा कदम उठाया.
स्क्रैमजेट सब-स्केल कंबस्टर का 1,000 सेकंड का ग्राउंड रन टेस्ट एक मील का पत्थर साबित हुआ. यह टेस्ट DRDO की एडवांस स्क्रैमजेट कनेक्ट टेस्ट फैसिलिटी में हुआ. इससे पहले जनवरी 2025 में इस इंजन का 120 सेकंड का सफल परीक्षण किया गया था.
यह परीक्षण दर्शाता है कि भारत अब हाइपरसोनिक प्रणालियों की वास्तविक उड़ान परीक्षणों की ओर तेजी से अग्रसर है.
INS सूरत से मिसाइल परीक्षण
24 अप्रैल को, भारतीय नौसेना के अत्याधुनिक युद्धपोत INS सूरत से एक सटीक मिसाइल लॉन्च किया गया. इस मिसाइल ने समुद्र में मौजूद एक छोटे लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट किया.
गुजरात के दमन सी फेस पर तैनात INS सूरत, भारत में डिज़ाइन और निर्मित किया गया एक शक्तिशाली विध्वंसक पोत है. यह:
इस परीक्षण ने भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं को समुद्र में एक और कदम आगे बढ़ाया है.
आत्मनिर्भर भारत की रक्षा तैयारी को नई उड़ान
एक ओर जहां ALH ध्रुव के दोबारा परिचालन से तीनों सेनाओं की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता फिर से सशक्त होगी, वहीं स्क्रैमजेट टेक्नोलॉजी और INS सूरत जैसे परीक्षण भविष्य के युद्धों में निर्णायक बढ़त देने की तैयारी का संकेत हैं.
भारत की रक्षा प्रणाली न केवल सुधार और आत्मावलोकन से गुजर रही है, बल्कि उसमें निरंतर नवाचार और आत्मनिर्भरता की भावना स्पष्ट दिखाई दे रही है.
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