Deliver Partners Strike: नए साल की पूर्व संध्या जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर ऑर्डर्स की सुनामी आने की तैयारी है. इसी बीच स्विगी, ज़ोमैटो और जेप्टो जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स ने डिलीवरी पार्टनर्स के लिए इंसेंटिव बढ़ाने का फैसला किया है. यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया है, जब देशभर में गिग वर्कर्स की हड़ताल और काम की शर्तों को लेकर असंतोष चरम पर है. कंपनियां चाहती हैं कि पीक टाइम में डिलीवरी की रफ्तार बनी रहे और ऑपरेशंस पर असर न पड़े.
डिलीवरी कर्मचारी यूनियनों ने 25 और 31 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. उनकी मांगें साफ हैं—बेहतर कमाई, सुरक्षित कामकाजी हालात और सोशल सिक्योरिटी. 25 दिसंबर को हुई हड़ताल के दौरान कई शहरों में फूड डिलीवरी सेवाएं प्रभावित हुई थीं. ऐसे में प्लेटफॉर्म्स ने साल के सबसे व्यस्त दिनों में राइडर्स को जोड़े रखने के लिए इंसेंटिव का सहारा लिया है.
ज़ोमैटो का ऑफर: प्रति ऑर्डर ज्यादा भुगतान
डिलीवरी पार्टनर्स को भेजे गए इन-ऐप मैसेज के मुताबिक, ज़ोमैटो ने शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक के पीक आवर में प्रति ऑर्डर 120 से 150 रुपये तक देने का प्रस्ताव रखा है. कंपनी का दावा है कि ऑर्डर की उपलब्धता और काम के घंटों के हिसाब से एक दिन में 3,000 रुपये तक की कमाई संभव हो सकती है.
इसके साथ ही, अस्थायी राहत के तौर पर ऑर्डर रिजेक्ट या कैंसल करने पर लगने वाले जुर्माने को भी फिलहाल हटा दिया गया है. डिलीवरी कर्मचारियों का मानना है कि इससे अचानक बढ़ी मांग और अनियमित ऑर्डर फ्लो के बीच कमाई का जोखिम कुछ हद तक कम होता है.
स्विगी की रणनीति: नए साल पर बड़ी कमाई का लालच
स्विगी ने भी साल के आखिरी दिनों में इंसेंटिव स्ट्रक्चर को और आकर्षक बना दिया है. प्लेटफॉर्म के अनुसार, 31 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच डिलीवरी पार्टनर्स को 10,000 रुपये तक कमाने का मौका दिया जा रहा है. खासतौर पर नए साल की रात, यानी शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक के पीक स्लॉट में स्विगी 2,000 रुपये तक की कमाई का प्रचार कर रहा है. मकसद साफ है. जब ऑर्डर सबसे ज्यादा हों, तब राइडर्स की संख्या भी पर्याप्त रहे.
जेप्टो भी मैदान में उतरा
केवल फूड डिलीवरी ही नहीं, बल्कि क्विक कॉमर्स सेक्टर में भी हलचल है. उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, जेप्टो ने भी अपने डिलीवरी कर्मचारियों के लिए इंसेंटिव बढ़ा दिया है. हालांकि अब तक किसी भी प्लेटफॉर्म की ओर से इस पर औपचारिक बयान नहीं आया है. फिर भी संकेत यही हैं कि हड़ताल और साल के अंत की भारी मांग से निपटने के लिए कंपनियां हर संभव कदम उठा रही हैं.
आखिर इंसेंटिव बढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ी?
25 दिसंबर की हड़ताल ने प्लेटफॉर्म्स को यह एहसास करा दिया कि डिलीवरी नेटवर्क में थोड़ी सी भी रुकावट सीधे कस्टमर एक्सपीरियंस और बिज़नेस पर असर डाल सकती है. भले ही कंपनियों ने बाद में ऑपरेशन सामान्य होने का दावा किया हो, लेकिन यूनियनों का कहना है कि आंदोलन का असर व्यापक रहा है और 31 दिसंबर को भी दबाव बनाए रखा जाएगा. नए साल की रात जहां ग्राहकों के लिए जश्न का समय है, वहीं डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के लिए यह एक बड़ी परीक्षा भी है. ऑर्डर पूरे करना और साथ ही गिग वर्कर्स को संतुष्ट रखना. इसी संतुलन को साधने के लिए इंसेंटिव फिलहाल सबसे बड़ा हथियार बनकर उभरा है.
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