भारत के खिलाफ साजिश या कुछ और... पाकिस्तान-तालिबान के बीच 'दोस्ती' कराने के लिए परेशान क्यों है चीन?

    बीजिंग ने तालिबान सरकार और पाकिस्तान दोनों को साथ लाने के लिए दबाव बनाया है ताकि वे अपने विवादों को सुलझाएं और क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे.

    Conspiracy against India Why China worried about Pakistan Taliban
    जिनपिंग | Photo: ANI

    बीजिंगः पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन अब इस जटिल स्थिति में सुधार की उम्मीदें दिखने लगी हैं. इस सुधार के पीछे चीन की अहम भूमिका है, जो दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की तरह काम कर रहा है. बीजिंग ने तालिबान सरकार और पाकिस्तान दोनों को साथ लाने के लिए दबाव बनाया है ताकि वे अपने विवादों को सुलझाएं और क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे.

    चीन ने तालिबान को स्पष्ट कर दिया है कि अगर वह आर्थिक और राजनीतिक मदद पाना चाहता है तो उसे पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय गुटों को रोकना होगा. हाल के महीनों में काबुल में भारत की बढ़ती मौजूदगी ने चीन की चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिसके चलते वह पाकिस्तान और तालिबान के बीच तालमेल बढ़ाने में तेजी से जुट गया है. चीन का मकसद न सिर्फ क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना है बल्कि पाकिस्तान के साथ चल रहे बड़े आर्थिक प्रोजेक्ट्स, खासकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है.

    CPEC परियोजना खतरे में

    तालिबान ने भी पाकिस्तान विरोधी संगठनों को अपनी ज़मीन पर पनाह देने से इनकार किया है और चीन के दबाव के बाद उसने इस बात का भरोसा दिलाया है कि वह अपनी सीमाओं को शांति और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रखेगा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर मुत्तकी ने हाल ही में चीन का दौरा किया, जहां चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने तीनों पक्षों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया. इस बैठक ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चीन की मध्यस्थता की भूमिका को और मजबूत किया है.

    विशेषज्ञ मानते हैं कि तालिबान का यह रुख पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के आसपास सक्रिय आतंकवादी समूहों, विशेष रूप से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और उसके सहयोगियों के लिए चेतावनी है. यह चीन के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस क्षेत्र में अस्थिरता उसके अरबों डॉलर के निवेश, विशेषकर CPEC परियोजना को खतरे में डाल सकती है. चीन चाहता है कि पाकिस्तान की पश्चिमी सीमाएं शांत रहें ताकि उसका आर्थिक विकास बिना बाधा जारी रहे.

    तालिबान की नरम होती नीति

    पाकिस्तान के लिए चीन का यह समर्थन बड़ी सफलता है. तालिबान की नरम होती नीति और राजनयिक संपर्कों में बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि चीन का दबाव असरदार साबित हो रहा है. इससे पाकिस्तान को अपनी पश्चिमी सीमा पर शांति बनाए रखने की उम्मीद जगी है, जो उसकी भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बीच बहुत महत्वपूर्ण है. वर्तमान समय में जब पाकिस्तान को दो मोर्चों पर सामना करना पड़ रहा है, चीन की सहायता उसके लिए बेहद मददगार साबित हो रही है.

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