Congo-Rwanda Ceasefire: अफ्रीकी महाद्वीप का हिंसा-प्रभावित क्षेत्र पूर्वी कांगो अब एक नई उम्मीद की ओर बढ़ रहा है. करीब तीन दशकों तक चले सशस्त्र संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है, जिसमें कांगो सरकार और रवांडा समर्थित एम23 विद्रोही गुट ने स्थायी युद्धविराम के लिए सहमति जताई है. यह समझौता न सिर्फ कांगो, बल्कि पूरे अफ्रीका के लिए शांति और स्थिरता की दिशा में एक निर्णायक मोड़ हो सकता है.
सीजफायर पर हस्ताक्षर, संघर्ष पर विराम
यह ऐतिहासिक समझौता शुक्रवार को कतर में अफ्रीकी संघ और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में हुआ. समझौते के अनुसार, दोनों पक्ष तत्काल प्रभाव से हिंसा को समाप्त करेंगे, कब्जे वाले क्षेत्रों से पीछे हटेंगे और शांति प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभाएंगे. कांगो के राष्ट्रपति फेलिक्स चिसेकेदी ने इसे “शांति की ओर पहला ठोस कदम” करार दिया है, जबकि रवांडा सरकार ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए इसे एक सकारात्मक संकेत बताया.
घोषणापत्र में क्या हैं मुख्य बिंदु?
इस घोषणापत्र की अंतिम रूपरेखा पर 18 अगस्त से पहले हस्ताक्षर किए जाने हैं.
क्यों है यह समझौता इतना अहम?
पूर्वी कांगो में दशकों से जारी संघर्ष को ‘अफ्रीका का विश्व युद्ध’ कहा गया है, जिसमें अब तक 9 से अधिक देश शामिल हो चुके हैं और 50 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 70 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. एम23 विद्रोही गुट, जो खनिज-समृद्ध क्षेत्रों पर नियंत्रण चाहता है, इन संघर्षों में प्रमुख भूमिका निभाता आया है और इसे रवांडा का समर्थन प्राप्त है, हालांकि रवांडा सरकार इन आरोपों से इनकार करती है.
कांगो और रवांडा का ऐतिहासिक संघर्ष
संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक प्रतिक्रियाएं
UN महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने इस समझौते का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह प्रयास पूर्वी कांगो के लाखों नागरिकों के जीवन में शांति और स्थिरता लाएगा. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों पक्ष ईमानदारी से इसका पालन करते हैं या नहीं.
एक युग का अंत, एक नए युग की शुरुआत?
पूर्वी कांगो के घने जंगलों और खनिजों से भरपूर पहाड़ियों में जहां कभी सिर्फ बारूद की गूंज सुनाई देती थी, वहां अब शांति के स्वर गूंजने की उम्मीद है. इस समझौते के साथ ही अफ्रीकी इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है, जिसमें युद्ध नहीं, संवाद और सहमति प्रमुख हथियार होंगे.
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