Bharat 24 Conclave Rajasthan Tourism: भारत 24 की ओर से राजस्थान में खास कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम का नाम 'राजस्थान टूरिजम' रखा गया है. जहां राजस्थान में टूरिजम को किस तरह से बढ़ावा दिया जाए इसपर खुलकर चर्चा हुई. कार्यक्रम में राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भी शिरकत की.
सवाल: एक कहावत है हम सब ने सुनी है दिया तले अंधेरा और हमारा फोकस रहता है उस अंधेरे पे पर मुझे लगता है कि सही मायने में वो एक दिया सारे अंधियारे को खाक कर देता है और आप दिया जी आप राजस्थान की राजनीति का वही दिया है और जिस उम्मीद के साथ आपको इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है शायद इसीलिए आपकी विरासत और विज़न हमेशा उसका जिक्र होता है. दिया जी जब आप आज हमारे सामने यहां पर मौजूद हैं तो मैं आपको और यहां सभी लोग जो हैं आपको एक उप मुख्यमंत्री की तरह देखें. आपको पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर की तरह देखें, महिला बाल विकास की तरह देखें, टूरिज्म के ब्रांड एंबेसडर की तरह समझें. एक समाज सेविका की तरह देखें या एक सशक्त नारी की तरह. यह सवाल इसलिए क्योंकि अभी-अभी नवरात्रि खत्म हुई है और हम हर एक नारी एक शक्ति का प्रतीक है. तो आप को किसका प्रतीक समझे?
जवाब: सबसे पहले तो मैं भारत 24 का बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं और हमारे जगदीश चंद्र जी का, पवन अरोड़ा जी का, पूरी टीम का कि आपने मुझे सबसे पहले तो धन्यवाद कि आपने राजस्थान टूरिज्म हाउ टू मेक राजस्थान ग्लोबल डेस्टिनेशन का जो यह थीम आपने चुना है, यह अपने आप में ही मुझे लगता है कि वन स्टेप फॉरवर्ड है कि हम लोग राइट डायरेक्शन में जा रहे हैं. तो बहुत ही धन्यवाद भारत 24 कि आपने यह थीम चुना है और आपने टूरिज्म का महत्व समझा. आई थिंक सबसे इंपॉर्टेंट ये है कि हम इसका टूरिज्म का पोटेंशियल हमारी स्टेट में रियलाइज करें और सभी स्टेक होल्डर्स को आपने आज इस पैनल पैनल डिस्कशन था इससे पहले उसमें आपने आमंत्रित किया. मैंने उसको मिस किया पर बिल्कुल ही वहां पर बहुत सारे इंपॉर्टेंट पॉइंट्स डिस्कस हुए होंगे. बहुत सारे सजेशंस आए होंगे और डेफिनेटली हम उनको टेक अप करेंगे. मुझे लगता है सरकार हमारी जो यह है यह हम सब नए हैं. फर्स्ट टाइम हमको इतनी बड़ी ओपोरर्चुनिटी मिली है. इसके लिए प्रधानमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगी कि उन्होंने एक बिल्कुल नई टीम चुनी है और यह नई टीम उन्हीं के नेतृत्व में और मार्गदर्शन में आगे बढ़ रही है.
तो सचमुच में ये डबल इंजन की सरकार है राजस्थान में क्योंकि हम लोग जैसा केंद्र को देख रहे हैं कि केंद्र में इतना अच्छा काम हो रहा है. विशेषकर टूरिज्म जो कि प्रधानमंत्री जी खुद इसमें इनिशिएटिव लेते हैं और आपने सही कहा अभी कि जगदीश चंद्र जी ने बोला कि वो असलियत में तो वो ब्रांड एंबेसडर हैं हमारे पूरे देश के जिस तरह से वो टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में खुद जाते हैं. इंपॉर्टेंट सेलिब्रिटीज को लेके जाते हैं और एक बहुत बड़ा जो एक ये पूरा माहौल बन गया है. एक वातावरण बन गया है पूरे देश में और पूरे विश्व में कि भारत में बहुत कुछ देखने को है. जब यह सेलिब्रिटीज जाते हैं, प्रधानमंत्री खुद जाते हैं तो इससे हो जाता है. अपने आप बहुत बड़ी पब्लिसिटी और एक प्लेटफार्म मिलता है हमारे टूरिस्ट डेस्टिनेशंस को. जो आपने मुझे सवाल पूछा. मैं अपने आप को एक इस देश की एक एक सिटीजन मानती हूं सबसे पहले. अह मैं ये नहीं कहूंगी कि महिला या पुरुष आई थिंक यहां पर हम लोग बहुत बड़ी गलती करते हैं. क्योंकि मेरा जो पालन-पोषण हुआ है बचपन से. मुझे कभी मेरे पेरेंट्स ने यह रियलाइज नहीं होने दिया कि मैं बेटी हूं या एक औरत हूं. हूं. एज अ चाइल्ड मतलब आई थिंक हमको भी यह सोचना चाहिए. हम लोग जेंडर इक्वलिटी की बात करते हैं. लेकिन हम हमारी सोच को क्यों नहीं बदलते? आपने मुझे कहा सशक्त नारी क्यों नहीं? सशक्त एक एक सशक्त सिटीजन ऑफ द कंट्री.
आई थिंक वो बहुत जरूरी है. हम सब लोग अगर अपना कंट्रीब्यूशन दें. हम नागरिक कैसे नागरिक हैं? हमारा क्या कंट्रीब्यूशन है? हमेशा ब्लेम गेम ना करें कि हम सरकार को ब्लेम करें, प्रशासन को ब्लेम करें. नहीं लेकिन हमारा उसमें क्या कंट्रीब्यूशन है? कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ गलती तो हमारी भी होगी. तो हम अपने आप को सुधारें और मैं अपने आप को एक मानती हूं कि मैं एक इस देश की नागरिक हूं. मैं पॉलिटिक्स में हूं. बहुत बड़ी ओपोरर्चुनिटी मिली है. लेकिन उससे पहले भी मैं इस देश की नागरिक हूं और मुझे अपना नागरिक कर्तव्य पालन करना है और उसके लिए मैं हर संभव प्रयास करें.
सवाल: अ ट्रू सिटीजन इज अ दैट्स द ट्रू कंट्रीब्यूशन टू द कंट्री. आई बिलीव. फिर भी आपने 10 सितंबर अभी आपकी यह भी देख रहे थे तो वो नजारे भी देखे 10 सितंबर 2013 यादगार दिन आपके लिए नरेंद्र मोदी जी के सामने आपने जयपुर में शपथ ली आपने पार्टी की अध्यक्षता ली उस समय क्या आपने सोचा था क्या सोच के आप राजनीति में आई और आपने तब सोचा था कि आप विधायक से लेकर या संगठन में काम करने से लेकर आप डिप्टी सीएम तक का सफर तय करेंगी या आगे आपका कोई विज़न है अपने लिए.
जवाब: जी नहीं बिल्कुल नहीं जब मैं पॉलिटिक्स में आई पहली बार उस समय बिल्कुल भी ऐसा नहीं सोच के आई थी. हमारी जो एक्स सीएम थी वसुंधरा जी वो हमारी परिवार की बहुत क्लोज रही हैं और उन्होंने मुझे पॉलिटिक्स में उस समय ले आई और ये भी नहीं था. मैं तो क्या है कि बहुत दूसरी चीजें कर रही थी हमारी जो एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन हैं, ट्रस्ट्स हैं और सारा कुछ संभाल रही थी. एकदम से यह हुआ कि नहीं तुमको इलेक्शन लड़ना है और सवाई माधोपुर से तुमको लड़ा रहे हैं. तो बिल्कुल आउट ऑफ द ब्लू था. यह प्लान नहीं था और शुरू में मैं थोड़ा डर भी रही थी कि मुझे करना चाहिए कि नहीं. पर पूरी तरह से फिर कुछ महीने लगे. मैं तैयार हुई. पहली बार मतलब सवाई माधोपुर से रिश्ता है परिवार का. लेकिन इस तरह का नहीं था कि पब्लिक मैं बिल्कुल पब्लिक लाइफ में नहीं थी. तो धीरे-धीरे पर हां परिवार में देखा था. मेरा हमारा परिवार हमेशा पब्लिक लाइफ से जुड़ा हुआ है.
मेरे पिताजी भी इस सेना में रहे हैं. उसके बाद भी कभी भी अगर कोई भी ऐसी बात होती थी कहीं भी जयपुर में कोई भी ऐसी घटना होती थी या कहीं भी कोई समाजों से जुड़े हुए थे. हमेशा वो जुड़े हुए रहते थे पब्लिक के साथ. उससे पहले मेरी दादी सा भी रही भी हैं पॉलिटिक्स में और उनका भी बहुत जुड़ाव था. दादू सा का भी था. मेरी मर भी हमेशा लोगों से मिलना और ये सब बहुत रखती थी. तो वो देखा था. यू हैव मतलब एक वो कि नहीं सर्व करना है हमारे लोग हैं. हमको उनके लिए हमेशा साथ रहना है. वो चीज मन में थी. लेकिन पॉलिटिक्स मेरे लिए एक बहुत नई चीज थी. तो बिल्कुल मैं उसमें आई. उसके बाद ऐसा कुछ भी नहीं था कि क्या होगा आगे वो सब कुछ पार्टी का डिसीजन था. जो भी पार्टी ने मुझे अपॉर्चुनिटी दी मैंने किया.
सवाल: मैंने एक नोटिस बहुत लंबे समय जब मैं पॉलिटिक्स कवर करा या जब भी हम जाते हैं तो एक क्रेज होता है राज परिवार के लिए उनके सदस्यों के लिए आपको लगता था जब आप 10 सितंबर 2013 से पहले और अब में जब जनप्रतिनिधि के रूप से आप में गई तो जनता का रिएक्शन क्योंकि वो सब देखना चाहते हैं कि कैसे होते हैं राजा महाराजा राजकुमारी कुछ डिफरेंस लगा आपके अंदर या लोगों के अंदर आपके लिए?
जवाब: ये तो मैं नहीं बता पाऊंगी कि लोगों ने लोग क्या सोचते हैं या नहीं सोचते पर आई आई थिंक एक बार तो ठीक है आप अपनी फैमिली बैकग्राउंड की वजह से आप एक इलेक्शन ज्यादा से ज्यादा निकाल लोगे जीत जाओगे उसके बाद आपको परफॉर्म करना पड़ता है. मुझे लगता है मैंने प्रयास 100% किया चाहे मैं एमएलए थी सवाई माधोपुर से उस समय या मैं राजसमंद से जब सांसद थी उस समय और अब मैं जो विद्याधर नगर से एमएलए हूं अभी और हां अब यह इतनी बड़ी अपॉर्चुनिटी है इसमें भी प्रयास करेंगे कि जितने भी आप लोगों ने इतने एक्सपेक्टेशंस इतने ज्यादा हैं और क्यों ना हो मोदी सरकार है तो डेफिनेटली भारतीय जनता पार्टी की सरकार और प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में एक्सपेक्टेशंस भी बहुत हैं तो उस पे खरा उतरने का प्रयास करेंगे लेकिन आई थिंक जो आप बैकग्राउंड की बात कर रहे हैं बैकग्राउंड से आप एक बार तो निकाल लेंगी सीट एक बार तो होता है लेकिन उसके बाद आपको परफॉर्म करना पड़ता है डिलीवरी मैटर अब बिल्कुल डिलीवरी अब जब बहुत कुछ बदल गया है विद सोशल मीडिया मीडिया लोगों की एक्सपेक्टेशंस अब अब हमारी पपुलेशन बहुत यंग पपुलेशन है. वो ये बहुत कुछ अब देखना चाहते हैं. रिजल्ट ओरिएंटेड वोटर्स हैं हमारे.
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सवाल: मैं विद्याधर नगर गई तो वहां पे मुझे कई लोगों ने कहा जाहिर तौर पे आपके दादी से आपको जरूर रिलेट किया. पर कई लोगों ने ये कहा कि आप चाहे राजसमंद में थी, चाहे आप सवाई माधोपुर में थी या यहां थी. तीनों आप पुराने अपने वोटर्स को या पुराने जिन लोगों को नहीं भूलिए. आप उनका भी काम आज भी करती हैं और अपने विधानसभा के लोगों का तो करती हैं. आप सबसे कनेक्टेड हैं. यह आपके लिए कहा गया. लेकिन सबसे इंपॉर्टेंट बात आपने डिलीवरी की कही. यहां पे मैं सवाल टूरिज्म से रिलेटेड इसलिए करूंगी क्योंकि केंद्र सरकार का फोकस टूरिज्म को लेकर, टेंपल टूरिज्म को लेकर बहुत ज्यादा है और राजस्थान बहुत स्टैंड आउट करता है. अगर केंद्र की बैठक होती है तो राजस्थान को काउंट किया जाता है. केंद्र डिपेंड करता है. ऐसे में जिम्मेदारी आपके कंधों पर है. आपने जयपुर से दिल्ली तक का सफर भी तय किया. तो कितनी बड़ी चुनौती आपको लगती है? और उसके लिए विज़न क्या है? सरकार कितना तैयार है? आपका डिपार्टमेंट उस को डिलीवर करने के लिए कितना तैयार है?
जवाब: बिल्कुल सरकार पूरी तरह से तैयार है. इस बार हमने टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 5000 करोड़ बजट में घोषणा की है और उस पे काम ऑलरेडी चल रहा है. हम लोगों ने इस बार बहुत सारे नए टूरिस्ट डेस्टिनेशंस और सर्किट्स अनाउंस किए हैं. जिसमें महाराणा प्रताप सर्किट भी है. पुष्कर को भी और अच्छा बनाने का भी पूरी योजना है. आपने रिलीजियस टूरिज्म की बात की. खाटू श्याम जी का काम अभी चल रहा है. उसको प्रसाद योजना में लिया गया है. बूंदी में भी काम हो रहा है. ऐसे बहुत सारे जो डेस्टिनेशंस हैं, ट्राइबल सर्किट है वो भी हमने अनाउंस किया. अ ऐसा है शेखावट की की हवेलियां. तो देखिए हमारे जो ये मुख्य टूरिस्ट सिटीज हैं जयपुर, जोधपुर, उदयपुर यहां तो लोग जाते ही हैं. लेकिन हम लोग यह चाहते हैं कि नए टूरिस्ट डेस्टिनेशंस डेवलप हो और उसके लिए और लोग ज्यादा समय बिताएं राजस्थान में क्योंकि क्या होता है लोग अब जयपुर आ गए तो जयपुर के आसपास कुछ देखने को होगा अगर शेखावाटी में और चीजें होंगी देखने को तो वहां पर वो जाएंगे वो दो रात एक्स्ट्रा रहेंगे फिर वापस आएंगे उसके बाद वो हो सकता है अगर कोई उदयपुर जा रहा है उदयपुर से कोटा भी जा सकता है उदयपुर से राजसमंद जा सकता है बांसवाड़ा जा सकता है डूंगरपुर जा सकता है तो ये ये जो हम लोगों ने किया है फिर हम लोग हमारे बॉर्डर जो हमारे एरियाज है बॉर्डर जैसे जैसलमेर है बाड़मेर है, बीकानेर है. वहां पर भी हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि हम लोग कुछ नया करें. नए ऐसे स्पॉट्स डेवलप करें. चाहे वो रिलीजियस हो, चाहे वो रूरल हो, चाहे वो वाइल्ड लाइफफ़ से जुड़े हुए हो. उन चीजों को डेवलप किया जाए और उनका थोड़ा सा और प्रचार किया जाए. बिकॉज़ आई थिंक अ लॉट डिपेंड्स ऑन मार्केटिंग. बिकॉज़ लोगों को पता ही नहीं होगा तो फिर कैसे होगा. तो हम लोग उस पे भी पूरी तरह से काम कर रहे हैं. बहुत सारी चीजें हैं जो अनाउंस की हैं. इन सब चीजों पे बहुत तेज गति से काम चल रहा है.
सवाल: लोगों को पता ही नहीं है. अभी अगर एक आंकड़ा देखें पिछले साल का तो लगभग 23 करोड़ 41 लाख पर्यटक आए. उसमें से 23 करोड़ के लगभग केवल टेंपल टूरिज्म के लिए आए थे. जबकि राजस्थान में थार डेजर्ट का जिक्र कर लें. हम परिधान का, खान-पान का, हम वाइल्ड लाइफ का जिक्र कर लें. वाइड वैरायटी है. लेकिन लोग आते हैं टेंपल के लिए. तो इसके लिए उस वाइड वैरायटी तक लोगों तक पहुंचे. आपने उस सर्किट्स का जिक्र किया. तो सवाल यह है कि मैंने जैसे कुछ मेरे जानने वाले जब आते हैं बाहर से आते हैं या डोमेस्टिक टूरिज्म होता है. वो कहते हैं कि हमको मेक माय ट्रिप से कहना पड़ता है कि हमें वाइल्ड लाइफ भी कवर करना है. हमें उदयपुर भी जाना है. हमें थार भी जाना है. तो कोई सरकार की तरफ से ऐसा इनिशिएटिव जिससे एक छतरी के नीचे यह सब कुछ आ जाए. जिस सर्किट का आप जिक्र कर रहे हैं.
जवाब: अब ये सरकार तो इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा कर सकती है. कनेक्टिविटी और बेटर कर सकती है. हमारे बहुत सारे एयरपोर्ट्स हैं. अभी इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स भी आ रहे हैं. आपने देखा होगा सभी एयरपोर्ट्स चाहे उदयपुर हो, जयपुर हो. नए एयरपोर्ट्स बन रहे हैं. कोटा में बन रहा है. बीकानेर में भी और फ्लाइट्स हो रहे हैं. जैसलमेर में भी और डेवलपमेंट हो रहा है. जोधपुर में भी हो रहा है. ये सब चीजें हैं. और छोटे एयरपोर्ट्स भी हम लोग कर रहे हैं. चाहे वो सवाई माधोपुर हो या और दूसरे एरियाज हो. वहां पर हम लोग कनेक्टिविटी अच्छी कर रहे हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा कर रहे हैं. बाकी मुझे लगता है जो हॉस्पिटिटी की जो बात है हॉस्पिटिटी तो मुझे लगता है कि प्राइवेट सेक्टर को ही आगे बढ़ के आना पड़ेगा. आई डोंट थिंक गवर्नमेंट शुड वेंचर इंटू दैट. वो एक ऐसा एरिया है जिसमें बेस्ट रहता है पीपीपी मोड या प्राइवेट सेक्टर आगे बढ़े. लेकिन हां हमारी टूरिज्म यूनिट पॉलिसी आ चुकी है. उसमें बहुत अच्छे इंसेंटिव्स हैं जिसमें कि उनको बहुत सारी ऐसी चीजें दी गई हैं जिससे कि वो अपना जो यूनिट है या होटल है वो बहुत ईजीली वहां पर स्थापित कर सकते हैं.
उनको बहुत सारे इंसेंटिव्स दिए जाएंगे. टैक्स रिबेट्स भी मिलेंगी. उसके अलावा टूरिज्म पॉलिसी आ रही है जिसमें भी हमने अगेन उसमें भी हम लोग इनकरेज कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग आके अपना टूरिज्म जो भी वो करना चाहते हैं चाहे वो एडवेंचर टूरिज्म से रिलेटेड हो या किसी और चीज से रिलेटेड हो वेलनेस टूरिज्म भी बहुत बड़ा हो चुका है. लोग बहुत सारे लोग सर अपना इलाज करने के लिए भारत आते हैं और राजस्थान भी उसमें जुड़े. तो हम लोग क्या है कि उनके लिए जो माहौल है पूरी पूरी तरह से जो पॉलिसीज हैं वो हम लोग इजी बनाएं. सो दैट वो लोग आके अपना एक्सपीरियंस उनका अच्छा हो. उनको प्रॉब्लम्स नहीं हो राजस्थान में आके.
सिक्योरिटी ऑफ़ टूरिस्ट बहुत बड़ी एक इशू है जिसमें हम लोग बहुत जल्दी मैंने कल ही बात की थी हमारी डीजीपी से और उन्होंने कहा कि बहुत जल्दी हम लोग बैठेंगे और इसको भी देखेंगे. कैसे हम सिक्योरिटी इन टूरिस्ट प्लेसेस और अच्छी कर सकते हैं. स्पेशली फीमेल टूरिस्ट के लिए और सिक्योर बना सकते हैं राजस्थान को. वैसे तो राजस्थान वन ऑफ द मोस्ट पीस लविंग स्टेट्स है. यहां पर ऐसी समस्याएं नहीं है जो दूसरी स्टेट्स में है. और रोड कनेक्टिविटी और अच्छी हो, एयर कनेक्टिविटी हो. रेलवे से तो बहुत अच्छी कनेक्टिविटी हो गई राजस्थान की. मुझे लगता है यह जरूरी है. अगर इसी पे सरकार अच्छा काम करेगी तो मुझे लगता है बहुत जल्दी हम लोग फर्स्ट चॉइस होंगे. हर ट्रैवलर के लिए.
सवाल: मैम आपने बहुत इंपॉर्टेंट पॉइंट रेज किया. इसी से मेरा जुड़ा एक सवाल है कि जैसे मैंने गुड़गांव या एनसीआर में देखा कि ताजमहल जाना है. सुबह जाएंगे आगरा घूमेंगे चाट भी खा लेंगे. रात को वापस दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव आएंगे. वैसे ही आजकल शायद इंफ्रास्ट्रक्चर या लिमिटेड जो होटल्स जो अच्छे हैं, उस वजह से ऐसा होता है कि हम सुबह जाएंगे, शाम आ जाएंगे. जयपुर जाएंगे, सुबह हवा महल जाएंगे, आमेर चले जाएंगे और वापस दिल्ली चले जाएंगे. एक टूरिस्ट को होल्ड जब अगर हम करते हैं अगर तीन दिन के लिए कर पाते हैं एक दिन में 13 लोग कहीं ना कहीं अगर कोई स्टैट्स को देखें तो वो इनवॉल्व होते हैं. टैक्सी ड्राइवर से लेकर, एयरपोर्ट से लेकर होटल यानी कि वो 13 लोगों की नौकरी और उनको नौकरी मिलती है. उनको काम मिलता है. उनको होल्ड करना, उनको जयपुर में, उदयपुर में, जोधपुर में रोकना तीन दिन वो रुके और टूरिस्ट प्लेसेस को एक्सप्लोर करें. उसके लिए क्या?
जवाब: उसके लिए मैंने आपको बताया कि जैसा अगर कोई जयपुर आ रहा है तो वो जयपुर आए तो उसको शेखावाटी वो जा सकता है. सवाई माधोपुर वो जा सकता है. वहां पर हम लोग और चीजें डेवलप कर रहे हैं. बहुत कुछ हम लोग प्लान कर रहे हैं. और सबसे इंपॉर्टेंट तो ये है ऑलरेडी बहुत कुछ है. पर बात यह है लोगों को पता ही नहीं है. तो बहुत इंपॉर्टेंट है कि हमारे जो मार्केटिंग टूल्स हैं वो थोड़े और अच्छे हो. इस बार हम लोगों ने मार्केटिंग के बजट को बढ़ाया है. अगले बजट में उसको और बढ़ाने की योजना है. अ तो और हमारा एक टूरिज्म ऐप है फोन ऐप वो भी बहुत जल्दी ल्च होने वाला है. उस पे काम चल रहा है. उस पे ये सारी चीजें होंगी. व्हाट टू डू, वेयर टू गो, वेयर टू स्टे ये इंपॉर्टेंट है. बिकॉज़ लोगों को पता ही नहीं होता.
हम मैंने तो यह तक कहा है कि हम लोग हमारे टूर जो हमारे एयरपोर्ट्स हैं, रेलवे स्टेशनंस हैं या बस बस स्टॉप्स हैं, ऐसी जगहों पर पब्लिक प्लेसेस में हम लोग साइनेजेस लगाएं और वहां पर पूरा एक्सप्लेन करें कि व्हाट एल्स टू डू इन जयपुर. मतलब कहां-कहां जा सकते हो. लोगों को पता ही नहीं है कि सो एंड सो म्यूजियम है या और कोई जगह कहां पर है. लोगों को पता नहीं होता. मैंने अभी हम लोगों ने अजमेर में एक म्यूजियम का दोबारा से उसको रनोवेट करके उद्घाटन किया. लेकिन मैंने उनको कहा कितने लोग आते हैं? उन्होंने कहा बहुत ज्यादा नहीं आते. जब तक हम लोग हमारे दूसरे टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में हमारे दूसरे टेस्ट जैसे कि म्यूजियम का हम लोग बोर्ड लगा दें, दरगाह में लगा दें या वहां पर जो रेलवे स्टेशन है वहां लगा दें. जहां पर ऑलरेडी बहुत सारे लोग आ रहे हैं. तो वो फुटफॉल ऑटोमेटिकली बढ़ेगा. तो आई थिंक दैट्स प्रमोशनल एक्टिविटीज और उनके एडवर्टाइजमेंट्स को और बेहतर जहां ऑलरेडी लोग जा रहे हैं जहां फुटफॉल है जैसे आमेर में फुटफॉल है पर लेकिन बहुत सारे लोग आमेर से शायद और कहीं नहीं जाते तो उनको पता हो कि भ यहां पर और भी बहुत कुछ करना है. बहुत कुछ चीजें हैं.
सवाल: कल बहुत रोचक एक इंसिडेंट हुआ कि बापू बाजार और जहरी बाजार में बहुत लंबी बस थी और सारे फॉरेनर्स उतरे. सिर्फ इसलिए कि उनको जहरी बाज़ार देखना है. दिवाली का समय है और बापू बाज़ार देखना है. उनका सिर्फ यही एक्साइटमेंट था. तो शायद राजस्थान के लिए अपने आप में इतनी खूबसूरत बात है कि जरी बाजार बापू बाजार के लिए भी इतना एक्साइटमेंट है फॉरेन टूरिस्ट को. लेकिन सवाल इसी से जुड़ा अभी हम इंटरनेशनल टूरिस्ट का अगर जिक्र करें कि जयपुर से हम ज्यादा से ज्यादा दुबई जा सकते हैं. जोधपुर से उदयपुर से दूसरे जगहों से कोई कनेक्टिविटी नहीं है. ये एक बहुत बड़ा चैलेंज है और इसमें सिर्फ एक राजस्थान का टूरिज्म डिपार्टमेंट नहीं बहुत सारे ऐसे स्टेक होल्डर्स हैं और केंद्र सरकार है जो इनवॉल्व्ड है. लेकिन ये एक बहुत ठोस काम है. इसके लिए सर सरकार कितना आगे बढ़े?
जवाब: जयपुर से आप लंदन जा सकते हैं. वैसे अभी थ्री टाइम्स अ वीक फ्लाइट है. मैं बोलूंगी नहीं कौन से एलाइन कि मैं किसी और को एडवर्टाइज नहीं कर रही. पर हां आजकल कनेक्टिविटी काफी है. तो डायरेक्ट फ्लाइट्स तो नहीं होंगी लेकिन वन स्टॉप या टू स्टॉप्स की फ्लाइट्स बहुत सारी हैं. जैसा कि मुझे लगता है धीरे-धीरे जैसे ही एयरपोर्ट और डेवलप हो जाएगा तो हम लोग प्रयास करेंगे इंटरनेशनल फ्लाइट्स और कनेक्शंस थोड़े से और हो जाए. जरूरत है. मैं भी मानती हूं इस चीज की. दूसरा हम लोग जैसे ऑफ सीजन जो हमारे मंथ्स होते हैं उन महीनों में भी हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट आए. क्योंकि सारा कंसंट्रेशन हो जाता है नवंबर टू मार्च या अक्टूबर टू मार्च. पर वो जो बीच का टाइम होता है जब इतनी गर्मी नहीं होती है. इतनी भी अनवेरेबल गर्मी नहीं होती राजस्थान में. उस टाइम पर भी ज्यादा टूरिस्ट कैसे आ सकते हैं? तो जहां उस समय हमारे फेस्टिवल्स होते हैं. इस बार हम लोगों ने तीज को बड़े स्तर पर किया. उस टाइम गणगौर भी होती है. उस टाइम पे कॉन्फ्रेंसेस हो सकती हैं जो मीट इन इंडिया जो प्रधानमंत्री जी ने भी कहा कि माइस टूरिज्म को और बढ़ावा देना. वैसे ही मीट इन राजस्थान हो सकता है. ज्यादा से ज्यादा कॉन्फ्रेंसेस जो बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स हैं वो अपनी राजस्थान में करें. ग्लोबल स्तर पे के जो कॉर्पोरेट्स हैं वो भी हम लोग कोशिश कर रहे हैं. उसमें क्या है बहुत सारे होटल्स भी उसमें अगर उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि वो इंडोर्स ही होगा मोस्टली पर इवनिंग में राजस्थान ठंडा हो जाता है तो वो बाहर बाहर भी घूम सकते हैं. वो भी हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा कुछ चीजें भी हो.
सवाल: 12 महीने के लिए राजस्थान टूरिज्म फ्रेंडली हो. मैम ऐसा कुछ होता है जैसे आज आपने अभी-अभी जिक्र किया कि आज एक पैनल बैठा तो अलग-अलग स्टेक होल्डर्स थे. सबके आइडियाज आए. ऐसा होते रहना चाहिए. सरकार भी ऐसा कुछ प्रयास करती है कि होटल्स के लोग या अलग-अलग स्टेक होल्डर्स आए और उनसे उनका आईडिया लें और उनसे सुझाव लेकर उसको इंप्लीमेंट किया जाए क्योंकि मेरा सवाल एग्जीक्यूशन से रिलेटेड इसलिए है कोई ऐसे ही जानने वाले होते हैं. उन्होंने उनसे बोला गया कि राजस्थान में बहुत अपार संभावनाएं हैं. आप इन्वेस्ट करें. तो उनका ये मानना था कि जो ई ऑफ डूइंग या सिंगल विंडो सिस्टम में अभी तकलीफें हैं. जैसे कि सरकार ने कहा कि आप इन्वेस्ट करें. लेकिन होता यह है कि सरपंच ने कह दिया जमीन साइन करने के लिए मना कर दिया. तो ई ऑफ डूइंग और सिंगल विंडो को लेकर क्या सोचती है सरकार?
जवाब: अब देखिए सरकार हमारी जो सरकार है वो तो पूरी तरह से इसमें लगी हुई है कि थोड़ा और इजी हो जाए सिस्टम. ये रेड टेपिज्म हो या ब्यूरोक्रेटिक पूरा जो प्रोसेस है उसको और सिंपलीफाई किया जाए. अह हमारे डिपार्टमेंट में तो सिर्फ हम लोगों ने एक या दो अधिकारी हैं, वही लोग इसको हैंडल करते हैं. और इवन सीएमओ में अब उन्होंने अ नोडल ऑफिसर्स अपॉइंट कर दिए हैं राइजिंग राजस्थान के बाद कि वही लोग पर्टिकुलर अलग-अलग डिपार्टमेंट्स का वो लोग देखेंगे. तो प्रयास चल रहा है. आई थिंक इसमें टाइम लगता है. कोई भी चीज या कोई भी परिवर्तन लाने में और परिवर्तन एक्चुअल में सेट होने में भी टाइम लगता है. माइंडसेट चेंज होने में भी टाइम लगता है. तो बिल्कुल पर हम लोग जा रहे हैं राइट डायरेक्शन में जा रहे हैं और होपफुली ये चीजें अब बहुत ईजी ईजीली हो जाएंगी.
सवाल: जैसे 13% राजस्व रेवेन्यू हम टूरिज्म से राजस्थान में एक्सपेक्ट करते हैं. जब केंद्र सरकार कहती है कि 2047 का विज़न है या तीसरी अर्थव्यवस्था तक पहुंच रहा है तो उसमें राजस्थान का चाहे मेडिकल टूरिज्म हो चाहे टेंपल टूरिज्म हो और चाहे एक जनरिक टूरिज्म हो उससे राजस्थान में भी कितनी नौकरियां सृजन हो सकती हैं टेंटेटिव अगर कुछ आईडिया क्योंकि बहुत नौकरियां मिलेंगी और देश भर में कितना सपोर्ट जीडीपी के लिहाज से मिलेगा?
जवाब: बिल्कुल संभावनाएं बहुत हैं. जैसे आपने कहा 13% जो हमारा कंट्रीब्यूशन है इकॉनमी में लेकिन ये 13 से बढ़कर एटलीस्ट 25% इफ नॉट 50% हो सकता है. मेहनत तो करनी पड़ेगी. अब इसमें क्या है कि टूरिज्म एक ऐसा सेक्टर है जिसमें बहुत सारे फैक्टर्स हैं. अब कोविड की वजह से आपने देखा दो साल सब कुछ बंद था. सो ये सारी चीजें भी है जो फैक्टर इन करनी पड़ती है जब हम 2047 की अगर बात करें लेकिन हां कोशिश पूरी है कि हम लोग कैसे इस सेक्टर को और बढ़ा सकें कैसे हम लोग हमारे ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट भी आए ज्यादा से ज्यादा हॉस्पिटिटी वेंचर्स भी यहां पर हो और भी एक बिकॉज़ सब कुछ आजकल एक्सपीरियंस है. हर टूरिस्ट अब चाहता है कि हर बार अब रिपीट टूरिज्म है वो भी इंपॉर्टेंट है. एक बार आ गए उसके बाद दोबारा क्यों आऊं मैं राजस्थान पर राजस्थान में वैसे देखने को बहुत कुछ है और हर तरीके की चीजें मतलब कि उदयपुर और जयपुर और बीकानेर और जोधपुर इटसेल्फ में सब कुछ अलग है. दोनों कोई भी सिटीज एक से एक सी नहीं है. खानपान भी अलग है. सब कुछ अलग है. मतलब ये तो रिपीट टूरिज्म की संभावनाएं बहुत हैं राजस्थान में.
मैं मेरा यह वापस से मैं घूम फिर के एक चीज पे आऊंगी कि हमको थोड़ा सा अग्रेसिवली मार्केट करना पड़ेगा. वो जरूरी है और आजकल तो सोशल मीडिया है. आजकल तो हर प्रकार के टूल्स हैं. उसको लेकर हम लोग और कोशिश करेंगे कि राजस्थान को हम लोग क्योंकि राजस्थान में सब कुछ है. ऐसा कुछ भी नहीं है कि नहीं है. लोग दूसरी स्टेट्स में क्यों जाएं यहां पर सब कुछ है. लेकिन थोड़ा और जरूरत है अग्रेसिवली मार्केट करने की और पोटेंशियल बहुत है. जॉब क्रिएशन में तो टूरिज्म एक ऐसी चीज है जिससे नॉट जस्ट 15 पीपल गेट एंप्लॉयमेंट. आई थिंक मोर पीपल गेट. अभी आपने बताया 14-15 लोगों को एंप्लॉयमेंट मिलती है डायरेक्टली और इनडायरेक्टली ऑन वन टू पर पर उससे ज्यादा भी मिल सकती है. ये है कि थोड़ा और जरूरत है कि और नई चीजें हो और नए डेस्टिनेशंस डेवलप हो और नए एक्सपीरियंसेस डेवलप हो.
सवाल: कितना डिफिकल्ट होता है कि आप राजघराने की परंपराओं को आगे बढ़ाना और साथ में एक जनप्रतिनिधि जो पॉलिटिकल लेगसी और पॉलिटिकल लेगसी दोनों को एक साथ आगे बढ़ाना.
जवाब: नहीं वो तो मुझे लगता है देखा जाए तो किसी जमाने में तो इंटरकनेक्टेड ही था. तो अभी ऐसा नहीं है. आई थिंक मैंने जैसे आपको कहा कि बचपन से मैंने देखा है कि मेरे चाहे पेरेंट्स हो ग्रैंड पेरेंट्स को तो इतना नहीं देखा क्योंकि मैं बहुत छोटी थी लेकिन सुना है और मुझे लगता है कि वो एक नेचुरल चीज होती है कि मतलब आप बचपन से देख रहे हो कि सब आ रहे हैं मिलने के लिए और एक रिस्पांस एक सेंस ऑफ रिस्पांसिबिलिटी जिसको कहते हैं. वो चीज मैंने देखी है मेरे पेरेंट्स में भी है और मुझ में भी मुझे लगता है कहीं ना कहीं वो संस्कार ऐसे आ ही जाते हैं तो ऐसा मुझे नहीं कभी भी ऐसा नहीं लगा कि ये बिल्कुल अलग है और ये बिल्कुल अलग है ऐसा कभी नहीं लगा और ये एक ऐसी चीज है एक बार अगर आप पॉलिटिक्स में होते हो तो या जनता की सेवा में होते हो किसी भी प्रकार से आप सोशल वर्कर भी हो सकते हो या आप किसी भी प्रकार जरूरी नहीं है कि पॉलिटिक्स ही हो अगर आपको जनता के जनता जनता की सेवा करनी है, समाज की सेवा करनी है या कुछ अच्छा काम करना है तो किसी भी सेक्टर में हो सकता है. तो वो तो ऑटोमेटिकली पब्लिक इंटरेक्शन तो वहां भी होगा. चाहे एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विज में भी होता ही है ना. तो ऐसा नहीं है. आई थिंक ऐसा कभी मेरे दिमाग में भी नहीं आया और आई थिंक ये हो जाता है अपने आप.
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