गूगल मैप ने बताया गलत रास्ता, बंद पड़ी पुलिया पर पहुंचाया, नदी में बह गए एक ही परिवार के 9 लोग, 3 की मौत

    भीलवाड़ा से सवाईभोज मंदिर दर्शन कर लौट रहे चित्तौड़गढ़ के कानाखेड़ा गांव निवासी यह परिवार त्रुटिपूर्ण नेविगेशन का शिकार बना. गूगल मैप ने उन्हें सोमी उपरेड़ा पुलिया की ओर मोड़ा जो पिछले तीन साल से बंद पड़ी थी.

    Chittorgarh Google Maps Gone Wrong 3 dead as 9 swept away at night
    Image Source: Social Media

    Google Maps Gone Wrong: रात का अंधेरा, एक बंद पड़ी पुलिया और गूगल मैप की दिशाहीन गाइड इन तीनों ने मिल कर एक वैन यात्रा को खौफनाक हादसे में तब्दील कर दिया. इस घटना ने एक ही परिवार को मौत की साझेदारी में बांध दिया, जहां तकनीक पर अंधा भरोसा जीवन के लिए भारी साबित हुआ.

    भीलवाड़ा से सवाईभोज मंदिर दर्शन कर लौट रहे चित्तौड़गढ़ के कानाखेड़ा गांव निवासी यह परिवार त्रुटिपूर्ण नेविगेशन का शिकार बना. गूगल मैप ने उन्हें सोमी उपरेड़ा पुलिया की ओर मोड़ा जो पिछले तीन साल से बंद पड़ी थी. रात के अंधेरे और तेज पानी के बहाव ने चालक की नजरें धोखा दे दीं और वैन पुलिया में गहरे गड्ढे में जा गिरी, फिर बनास नदी की समतल धार में बह गई.

    बचाई गई जिंदगियां

    वैन से निकलती मदद की पुकार सुनकर ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचित किया. स्थानीय और आधिकारिक बचाव दल लगातार काम करते रहे. नाव के जरिए 9 में से 5 लोग मदनलाल (25), हितेश (16), लीला (18), और नौ महीने के जुड़वा बच्चे काव्यांश व आयांश को बचाया गया.

    तीन की मौत, एक अभी भी लापता

    पुलिस और प्रशासन का बचाव अभियान सुबह हवा जितने चल पड़ा कि दो महिलाओं और एक बच्ची का शव नदी से निकाला जा सका. इनकी पहचान अभी नहीं हो पाई. वहीं एक और बच्ची अभी भी लापता है, जिसकी तलाश में सिविल डिफेंस और पुलिस की टीमें पूरी मेहनत कर रही हैं.

    गंभीर बाधाएं और प्रशासनिक मोर्चा

    घने अंधेरे और नदी में गहरे गड्ढों ने बचाव कार्य को मुश्किल बना दिया. बजरी खनन के कारण नदी का तल अनिश्चित था. इसने खोज और बचाव में प्रशासन का काम विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण बनाया.

    टेक्नोलॉजी पर बढ़ता विश्वास

    गूगल मैप जैसे डिजिटल उपकरणों ने आधुनिक यात्रा की राह आसान बनाई है लेकिन यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि ग्रामीण मार्ग, बंद पुलियां और भौगोलिक बदलाव जैसे संदर्भ टूल्स में अदृश्य रह सकते हैं. सत्यापन स्थानीय लोगों से मार्ग पुष्टि करें, प्रशासनिक अलर्ट देखें ये कदम सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं. राष्ट्रीय परिवहन विभागों और गूगल जैसी कंपनियों से उम्मीद है कि वे मार्गदर्शन की विश्वसनीयता को और बेहतर बनाने में सहयोग करें.

    ये भी पढ़ें: 6 महीने से छोटे कुत्तों की नसबंदी पर रोक, राजस्थान सरकार ने स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने के लिए बनाई नई पॉलिसी