प्रशांत क्षेत्र में क्या कर रहे चीन के दो एयरक्राफ्ट कैरियर? जापान-अमेरिका में मचा हड़कंप, समुद्र में तनातनी

    चीन ने अपने दो विमानवाहक पोत – 'शेडोंग' और 'लियाओनिंग' को एक साथ समुद्री अभ्यास के लिए तैनात किया है.

    China two aircraft carriers in Pacific region Japan America
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    प्रशांत महासागर में इस समय सैन्य गतिविधियों की गूंज सुनाई दे रही है. पहली बार, चीन ने अपने दो विमानवाहक पोत – 'शेडोंग' और 'लियाओनिंग' को एक साथ समुद्री अभ्यास के लिए तैनात किया है. इस रणनीतिक कदम से न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं, बल्कि जापान जैसे पड़ोसी देशों की चिंता भी गहराती जा रही है.

    जापान के रक्षा मंत्रालय ने इस अभूतपूर्व सैन्य तैनाती की पुष्टि करते हुए बताया कि इन दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर को उनके युद्धपोतों और विमानों के साथ समुद्र में अभ्यास करते देखा गया है. जापान का कहना है कि यह पहली बार है जब दोनों कैरियर एक साथ प्रशांत क्षेत्र में सक्रिय दिखे हैं. जापानी रक्षा मंत्री जनरल नाकाटानी के मुताबिक, यह चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताओं और उसकी समुद्री रणनीति में तेजी से विस्तार का संकेत है.

    चीन की सफाई: यह सिर्फ एक नियमित अभ्यास

    इस पर चीन की ओर से प्रतिक्रिया भी आई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीनी नौसेना का यह अभ्यास अंतरराष्ट्रीय नियमों और समुद्री कानूनों के तहत आता है और यह किसी को धमकाने की कोशिश नहीं है. उन्होंने जापान से आग्रह किया कि वह इस स्थिति को "तटस्थ और व्यावहारिक" दृष्टिकोण से देखे.

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    हालांकि, जापान की बात अलग है. टोक्यो का कहना है कि चीनी विमानवाहक पोत 'शेडोंग' उनके विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर ओकिनोटोरी के पास देखे गए, जो एक संवेदनशील क्षेत्र है. इनके साथ चार अन्य युद्धपोत भी थे, जिनमें एक मिसाइल विध्वंसक शामिल है. वहां लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों की उड़ान और लैंडिंग गतिविधियां भी दर्ज की गईं.

    इससे पहले, चीन का 'लियाओनिंग' कैरियर भी जापान के EEZ में प्रवेश कर चुका है और उसने भी सैन्य अभ्यास किया था. जापानी और अमेरिकी सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि चीन का मकसद ‘फर्स्ट आइलैंड चेन’ से अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को पीछे धकेलना है, जो जापान से लेकर फिलीपींस तक फैली हुई है.

    बढ़ती टकराव की आशंका

    इस घटनाक्रम ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पहले से मौजूद सामरिक तनाव को और बढ़ा दिया है. जापान का कहना है कि वह इन गतिविधियों की निगरानी तेज कर रहा है और आवश्यकता पड़ी तो उपयुक्त जवाब भी देगा. यह देखना बाकी है कि चीन का यह “सैन्य अभ्यास” वाकई केवल शक्ति प्रदर्शन है या इसकी आड़ में कोई बड़ा रणनीतिक कदम छिपा है.

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